परिचय: साइलेंट महामारी का संकट
एंटीबायोटिक प्रतिरोध (Antimicrobial Resistance - AMR) आज वैश्विक स्वास्थ्य के लिए सबसे गंभीर चुनौतियों में से एक बन गया है। भारत में यह समस्या और भी चिंताजनक है, जहाँ 2019 में 2,97,000 मौतें सीधे तौर पर एंटीबायोटिक प्रतिरोध के कारण हुईं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में वैश्विक स्तर पर 47.1 लाख मौतें बैक्टीरियल AMR से जुड़ी थीं, जिनमें से 11.4 लाख मौतें सीधे AMR के कारण हुईं।
एंटीबायोटिक से प्रतिरोध तक का सफर
20वीं सदी की शुरुआत में एंटीबायोटिक्स को 'मैजिक बुलेट' कहा जाता था, क्योंकि इन्होंने पहली बार मानवता को बैक्टीरियल संक्रमणों से निपटने की शक्ति दी थी। परंतु आज स्थिति उल्टी हो गई है। एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) तब होता है जब बैक्टीरिया दवाओं के विरुद्ध बचाव करना सीख जाते हैं, जिससे सामान्य संक्रमणों का इलाज भी मुश्किल हो जाता है।
भारत में AMR की वर्तमान स्थिति
राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC) के आंकड़ों के अनुसार:
भारत में 70% से अधिक E. coli और 80% से अधिक Klebsiella pneumoniae एक्सटेंडेड-स्पेक्ट्रम बीटा-लैक्टामेज़ (ESBL) उत्पादक हैं
2017 से 2022 तक E. coli में कार्बापेनेम प्रतिरोध 19% से बढ़कर 34% हो गया
Klebsiella pneumoniae में कार्बापेनेम प्रतिरोध 41% से बढ़कर 58% हो गया
90% से अधिक Acinetobacter baumannii कार्बापेनेम के प्रति प्रतिरोधी हैं
AMR बढ़ने के मुख्य कारण
1. अनियंत्रित दवा वितरण
बिना प्रिस्क्रिप्शन के एंटीबायोटिक्स की आसान उपलब्धता
कमज़ोर नियम और निगरानी व्यवस्था
2. गलत धारणाएं और दुरुपयोग
लोगों में यह भ्रम कि एंटीबायोटिक हर बीमारी का इलाज है
वायरल संक्रमणों में भी एंटीबायोटिक का उपयोग
3. स्वास्थ्य अवसंरचना की कमी
भारत में केवल 7.8% मरीज़ों को कार्बापेनेम-प्रतिरोधी संक्रमण के लिए उपयुक्त एंटीबायोटिक मिल पाते हैं
चिंताजनक भविष्य की संभावनाएं
The Lancet की भविष्यवाणी
2025 से 2050 के बीच AMR के कारण 3.9 करोड़ से अधिक मौतें हो सकती हैं. यदि तत्काल कार्रवाई नहीं की गई तो:
2030 तक एंटीबायोटिक का उपयोग 2016 की तुलना में 20% तक बढ़ सकता है
2050 तक वार्षिक मौतों की संख्या 20 लाख तक पहुंच सकती है - जो 2021 की तुलना में 70% अधिक होगी
भारत-विशिष्ट आंकड़े
निम्न और मध्यम आय वाले देशों में एंटीबायोटिक का उपयोग 20-30% तक बढ़ा है
भारत का दक्षिण एशियाई क्षेत्र 2050 में सबसे अधिक AMR मृत्यु दर वाला क्षेत्र हो सकता है
भारत सरकार की पहल
राष्ट्रीय कार्य योजना (NAP-AMR)
2017 में भारत ने AMR पर राष्ट्रीय कार्य योजना शुरू की जिसमें 6 मुख्य प्राथमिकताएं हैं:
शिक्षा और जागरूकता में सुधार
निगरानी के माध्यम से ज्ञान को मजबूत करना
संक्रमण नियंत्रण के द्वारा संक्रमण दर में कमी
स्वास्थ्य क्षेत्र में एंटीमाइक्रोबियल एजेंटों का अनुकूलित उपयोग
AMR गतिविधियों में निवेश को बढ़ावा देना
अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करना
NARS-Net नेटवर्क
राष्ट्रीय AMR निगरानी नेटवर्क (NARS-Net) में जून 2024 तक 27 राज्यों और 6 केंद्र शासित प्रदेशों में 60 राज्य मेडिकल कॉलेज प्रयोगशालाएं शामिल हैं.
समाधान की दिशा
बेहतर स्वास्थ्य सेवा का प्रभाव
The Lancet के अध्ययन के अनुसार, बेहतर स्वास्थ्य सेवा और एंटीबायोटिक्स की पहुंच से 2025-2050 के बीच 9.2 करोड़ मौतें बचाई जा सकती हैं.
आर्थिक कारक
अनुसंधान से पता चला है कि प्रति व्यक्ति GDP में ₹1000 की वृद्धि से निजी क्षेत्र में एंटीबायोटिक का उपयोग 10.2 डोज़ प्रति 1000 व्यक्ति प्रति वर्ष कम हो जाता है.
Why this matters for your exam preparation
UPSC मुख्य परीक्षा की दृष्टि से:
GS Paper-2: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधन से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय
GS Paper-3: विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियां; प्रौद्योगिकी का स्वदेशीकरण
प्रारंभिक परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण तथ्य:
NARS-Net की स्थापना वर्ष: 2013
NAP-AMR लॉन्च वर्ष: 2017
WHO-GLASS में भारत की सदस्यता: 2017
NCDC का AMR में केंद्रीय भूमिका: राष्ट्रीय समन्वय केंद्र
अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए:
राज्य स्तरीय सिविल सेवा परीक्षाओं में स्वास्थ्य नीति के प्रश्न
बैंकिंग परीक्षाओं में करंट अफेयर्स सेक्शन
SSC में जनरल अवेयरनेस
इस विषय से जुड़े संभावित प्रश्न: कार्बापेनेम प्रतिरोध, WHO की प्राथमिकता वाले रोगजनक, One Health अप्रोच, और भारत की राष्ट्रीय कार्य योजना पर आधारित प्रश्न आ सकते हैं।
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