2024 में शहरी महिलाओं की सशुल्क काम में भागीदारी बढ़ी, लेकिन घरेलू कामों का बोझ अब भी अधिकतर उनके कंधों पर है। UPSC, SSC छात्रों के लिए जरूरी डेटा।
परिचय: शहरी भारत में क्यों नहीं बदली जेंडर की स्थिति?
Time Use Survey (TUS) 2024, जिसे सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने जारी किया है, यह दिखाता है कि भले ही शहरी महिलाएं अब अधिक सशुल्क कामों में भाग ले रही हैं, लेकिन घरेलू कामों का भार अभी भी मुख्य रूप से उन्हीं के हिस्से में आ रहा है।
पुरुषों की भागीदारी घरेलू कामों में कुछ हद तक बढ़ी है, लेकिन महिलाओं की भागीदारी पहले से ही बहुत अधिक है और और भी बढ़ रही है। यह अंतर लगभग सभी राज्यों में एक जैसा है, सिवाय कुछ पूर्वोत्तर राज्यों के, जहां पुरुषों की भागीदारी अपेक्षाकृत अधिक है।
यह लेख उन छात्रों के लिए महत्वपूर्ण है जो "करंट अफेयर्स मार्च 2025", डेली जीके अपडेट, और UPSC, SSC, बैंकिंग जैसी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं।
सशुल्क काम में महिलाओं की भागीदारी थोड़ी बढ़ी
1: शहरी पुरुषों और महिलाओं की सशुल्क काम में भागीदारी (2019 बनाम 2024)
महिलाएं: 2019 में 15.5% से बढ़कर 2024 में 18%
पुरुष: 58.1% से बढ़कर 61.2%
सशुल्क कार्यों में स्वरोजगार, वेतनभोगी नौकरी और अस्थायी मजदूरी शामिल है। हालांकि, पुरुषों की भागीदारी अभी भी महिलाओं से तीन गुना अधिक है।
घरेलू कामों का बोझ अभी भी महिलाओं पर
2: अपने उपयोग के लिए किए गए बिना वेतन के कार्य (2019 बनाम 2024)
महिलाएं: 79.3% से बढ़कर 81%
पुरुष: 23% से बढ़कर 28.5%
इस श्रेणी में खरीदारी, खाना बनाना, सफाई, घर का प्रबंधन, कचरा प्रबंधन आदि आते हैं। पुरुषों की भागीदारी बढ़ी है, परंतु अधिकांश काम आज भी महिलाएं ही करती हैं।
देखभाल का काम: पुरुषों की भागीदारी बढ़ी, लेकिन महिलाओं का प्रभुत्व बरकरार
3: बच्चों, बीमारों, बुजुर्गों और दिव्यांगों की देखभाल (2019 बनाम 2024)
महिलाएं: 25.9% से बढ़कर 31.8%
पुरुष: 12.9% से बढ़कर 17.3%
देखभाल जैसे कामों में पुरुषों की भागीदारी में सुधार है, लेकिन महिलाएं अब भी दो गुना ज़्यादा हिस्सा ले रही हैं।
राज्य-वार ट्रेंड: पूर्वोत्तर राज्यों में लैंगिक संतुलन बेहतर
4: घरेलू सदस्यों के लिए किए गए बिना वेतन के काम (2024)
अधिकांश राज्य: महिलाओं की भागीदारी 75%–85%, पुरुषों की 20%–40%
अपवाद – पूर्वोत्तर राज्य:
सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड: 50% से अधिक पुरुष घरेलू कामों में भाग लेते हैं
केरल भी उल्लेखनीय राज्य है जहाँ 44% पुरुष घरेलू काम करते हैं
यह दर्शाता है कि इन राज्यों में घरेलू जिम्मेदारियों का विभाजन अधिक संतुलित है।
सशुल्क काम में महिलाएं: दक्षिण और पर्वतीय राज्यों की स्थिति बेहतर
5: सशुल्क कार्यों में पुरुष और महिलाओं की भागीदारी (2024)
तमिलनाडु: 25% महिलाएं सशुल्क कार्यों में
अन्य अग्रणी राज्य:
तेलंगाना – 24%
कर्नाटक – 22%
हिमाचल प्रदेश – 23%
बिहार (9%) और उत्तर प्रदेश (10%) जैसे राज्यों में महिला भागीदारी सबसे कम है।
महत्वपूर्ण बात यह है कि तमिलनाडु, कर्नाटक जैसे राज्यों में 80% से अधिक महिलाएं घरेलू कार्यों के साथ-साथ सशुल्क कार्य भी कर रही हैं, जिससे यह साफ होता है कि महिलाएं दोहरी जिम्मेदारी निभा रही हैं।
📌 परीक्षा की दृष्टि से मुख्य तथ्य
शहरी महिलाओं की सशुल्क काम में भागीदारी 18% हो गई है
81% महिलाएं अब भी घरेलू बिना वेतन वाले कार्य कर रही हैं, जबकि पुरुष 28.5%
देखभाल कार्यों में महिलाओं की भागीदारी 31.8%, पुरुषों की 17.3%
सिक्किम, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश में पुरुषों की भागीदारी सबसे अधिक
तमिलनाडु में महिलाओं की सशुल्क कार्य में भागीदारी 25%, यूपी और बिहार में सबसे कम
यह परीक्षा के लिए क्यों जरूरी है?
UPSC: यह विषय GS पेपर I (समाज) और GS पेपर II (शासन व लैंगिक समानता) में आ सकता है।
SSC और बैंकिंग परीक्षाओं में यह करंट अफेयर्स, सामाजिक मुद्दे, और डाटा इंटरप्रिटेशन के रूप में महत्वपूर्ण है।
निबंध, एथिक्स, और इंटरव्यू के लिए अच्छा केस स्टडी बन सकता है।
Time Use Survey जैसे सरकारी डेटा पर आधारित सवालों की संभावना बढ़ जाती है।
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