भारत की प्राकृतिक हाइड्रोजन क्षमता, चुनौतियाँ और वैश्विक रणनीतियाँ जानें। UPSC, SSC और बैंकिंग परीक्षाओं के लिए जरूरी। Atharva Examwise के साथ अपनी तैयारी बढ़ाएँ!
भारत की प्राकृतिक हाइड्रोजन क्षमता: ऊर्जा स्वतंत्रता की ओर
भारत की हाइड्रोजन की मांग 2020 में 6 मिलियन टन/वर्ष से बढ़कर 2070 तक 50 मिलियन टन/वर्ष तक पहुँचने का अनुमान है, ताकि नेट-जीरो लक्ष्यों को पूरा किया जा सके। प्रारंभिक अध्ययन दर्शाते हैं कि भारत में 3,475 मिलियन टन प्राकृतिक हाइड्रोजन भंडार हो सकते हैं, जिससे महंगे हाइड्रोजन उत्पादन की आवश्यकता समाप्त हो सकती है। अल्ट्रामाफिक चट्टानों वाले क्षेत्र (जैसे अंडमान द्वीप, डेक्कन ट्रैप्स) और तेल-गैस क्षेत्र संभावित खोज के लिए उपयुक्त हैं।
प्राकृतिक हाइड्रोजन खोज की चुनौतियाँ
तकनीकी चुनौतियाँ: तेल/गैस की तुलना में उन्नत खोज तकनीकों की कमी। हाइड्रोजन के छोटे अणु आकार के कारण विशेष निष्कर्षण तकनीक की आवश्यकता।
सुरक्षा जोखिम: उच्च विसरणशीलता और प्रतिक्रियाशीलता के कारण हाइड्रोजन-प्रतिरोधी सामग्री (जैसे मिश्र धातु कोटिंग, संशोधित सीमेंट) की जरूरत।
इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी: सीमित पाइपलाइन और भंडारण सुविधाएँ; मौजूदा गैस इन्फ्रास्ट्रक्चर को अपग्रेड करना महंगा।
आर्थिक व्यवहार्यता: खोज लागत और अनिश्चित भंडार आकार निवेशकों के आत्मविश्वास को प्रभावित करते हैं।
प्राकृतिक बनाम उत्पादित हाइड्रोजन: लागत और व्यवहार्यता
पैरामीटर | प्राकृतिक हाइड्रोजन | ग्रीन हाइड्रोजन |
---|---|---|
लागत | ~₹2/किग्रा (अनुमानित) | ₹2–2.5/किग्रा (2030 लक्ष्य) |
उत्सर्जन | शून्य (यदि स्वच्छ निष्कर्षण हो) | शून्य (नवीकरणीय ऊर्जा आधारित) |
इन्फ्रास्ट्रक्चर | विकसित हो रही तकनीक | उच्च प्रारंभिक निवेश |
सैद्धांतिक रूप से प्राकृतिक हाइड्रोजन सस्ता है, लेकिन इसकी वाणिज्यिक व्यवहार्यता बड़े और सुलभ भंडार खोजने तथा निष्कर्षण लागत कम करने पर निर्भर करती है।
अमेरिका में नवाचार: पारंपरिक निष्कर्षण से आगे
अमेरिका के ऊर्जा विभाग की ARPA-E परियोजना हाइड्रोजन उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए फंडिंग दे रही है:
जल इंजेक्शन: लौह-समृद्ध चट्टानों (जैसे पेरिडोटाइट) में ड्रिलिंग कर हाइड्रोजन उत्पन्न करने वाली प्रतिक्रियाएँ शुरू करना।
कार्बन पृथक्करण: CO₂-पानी मिश्रण को चट्टानों में इंजेक्ट कर हाइड्रोजन उत्पादन और कार्बन को चूना पत्थर के रूप में संग्रहित करना।
ये तरीके उत्पादन बढ़ाने और आकस्मिक खोजों पर निर्भरता घटाने के लिए हैं।
भारत की हाइड्रोजन मांग और रणनीतिक कदम
भारत की हाइड्रोजन खपत 2030 तक 12 मिलियन टन/वर्ष तक पहुँचने वाली है, जिसमें रिफाइनरी, उर्वरक और इस्पात क्षेत्र मुख्य चालक हैं। प्राकृतिक हाइड्रोजन के दोहन के लिए:
भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण: सौर विकिरण संसाधन आकलन (SRRA) जैसी PPP मॉडल परियोजनाएँ शुरू करें।
तेल-गैस विशेषज्ञता का लाभ: ONGC और Oil India के ड्रिलिंग डेटा का उपयोग कर हाइड्रोजन-समृद्ध क्षेत्रों की पहचान करें।
नीति समर्थन: सुरक्षित खोज के लिए विनियामक ढाँचा बनाएं और R&D को प्रोत्साहित करें।
इन्फ्रास्ट्रक्चर अपग्रेड: मौजूदा पाइपलाइनों को संशोधित करें और भूमिगत भंडारण विकसित करें।
प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
UPSC: ऊर्जा सुरक्षा, नेट-जीरो नीतियाँ, और हाइड्रोजन के भू-राजनीतिक प्रभाव।
SSC/राज्य PSC: इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास और सार्वजनिक-निजी भागीदारी।
बैंकिंग परीक्षाएँ: आर्थिक व्यवहार्यता, नवीकरणीय ऊर्जा वित्त, और ESG मानदंड।
मुख्य निष्कर्ष: प्राकृतिक हाइड्रोजन भारत की ऊर्जा व्यवस्था को बदल सकता है। अभ्यर्थियों को नीति परिवर्तनों (जैसे राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन) और तकनीकी प्रगति पर नजर रखनी चाहिए, जो निबंध/उत्तर लेखन में सहायक होंगे।
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