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प्रमुख बिंदु (Key Highlights)

मध्यप्रदेश अब अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में एक बड़ी छलांग लगाने की तैयारी कर रहा है। 13 नवंबर 2025 को इंदौर में आयोजित मध्यप्रदेश टेक ग्रोथ कॉन्क्लेव 2.0 में हैदराबाद की अनंत टेक्नोलॉजी ने राज्य सरकार के साथ मिलकर लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) सैटेलाइट बनाने का प्रस्ताव दिया है. यह परियोजना पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल पर आधारित होगी और राज्य में डिजिटल डेटा ट्रांसफर की गति को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाएगी.​

इस महत्वाकांक्षी कॉन्क्लेव में राज्य को ₹15,896 करोड़ के निवेश प्रस्ताव मिले हैं, जिससे 64,085 नई नौकरियां सृजित होंगी. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने घोषणा की कि भोपाल में 2,000 एकड़ में नॉलेज और AI सिटी विकसित की जाएगी, जो मध्यप्रदेश को भारत का AI हब बनाएगी.​

लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) सैटेलाइट: तकनीकी विवरण

LEO सैटेलाइट क्या हैं?

लो अर्थ ऑर्बिट सैटेलाइट पृथ्वी की सतह से 200 से 2,000 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थापित होते हैं. ये सैटेलाइट पारंपरिक जियोस्टेशनरी सैटेलाइट की तुलना में बहुत कम ऊंचाई पर परिक्रमा करते हैं, जो 35,000 किलोमीटर की दूरी पर होते हैं.​

LEO सैटेलाइट की प्रमुख विशेषताएं

कम विलंबता (Low Latency): LEO सैटेलाइट पृथ्वी के करीब होने के कारण 2ms से 27ms के बीच की अत्यंत कम विलंबता प्रदान करते हैं. यह रियल-टाइम संचार, ऑनलाइन गेमिंग, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और टेलीमेडिसिन जैसी सेवाओं के लिए आदर्श है.​

उच्च डेटा ट्रांसफर स्पीड: इन सैटेलाइट्स से 25 Mbps से 195 Mbps तक की डाउनलोड स्पीड प्राप्त की जा सकती है. कुछ एडवांस्ड LEO कॉन्स्टेलेशन जैसे स्टारलिंक 1 Gbps तक की गति प्रदान करते हैं.​

कम ऊर्जा खपत: LEO सैटेलाइट को लॉन्च करने और संचालित करने में कम ऊर्जा और कम शक्ति वाले एम्प्लीफायर की आवश्यकता होती है. इनका निर्माण भी कम लागत में संभव है.​

उच्च रिज़ॉल्यूशन इमेजिंग: पृथ्वी के करीब होने के कारण, LEO सैटेलाइट उच्च रिज़ॉल्यूशन वाली तस्वीरें प्रदान करते हैं, जो पर्यावरण निगरानी, आपदा प्रबंधन और कृषि में उपयोगी हैं.​

LEO सैटेलाइट के अनुप्रयोग और लाभ

डिजिटल संचार में सुधार

LEO सैटेलाइट ई-मेल, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, पेजिंग और डेटा कम्युनिकेशन को अत्यंत सरल और तेज बनाते हैं. ये दूरस्थ और ग्रामीण क्षेत्रों में हाई-स्पीड ब्रॉडबैंड सेवाएं प्रदान करने में सक्षम हैं, जहां पारंपरिक फाइबर नेटवर्क उपलब्ध नहीं हैं.​

प्रमुख अनुप्रयोग क्षेत्र

शिक्षा और स्वास्थ्य: AR/VR आधारित शैक्षिक सामग्री, ऑनलाइन कक्षाएं, टेलीमेडिसिन और रोबोटिक सर्जरी जैसी सेवाएं संभव होंगी. अनंत टेक्नोलॉजी का Ka-band उच्च-थ्रूपुट सैटेलाइट विशेष रूप से शिक्षा और स्वास्थ्य सेक्टर के लिए डिज़ाइन किया गया है.​

कृषि और IoT: स्मार्ट कृषि, IoT उपकरणों की कनेक्टिविटी और रियल-टाइम डेटा संग्रह में सुधार होगा.​

परिवहन और रक्षा: विमान और समुद्री संचार, स्वायत्त वाहन, और रक्षा नेटवर्क को विश्वसनीय कनेक्टिविटी मिलेगी.​

आपदा प्रबंधन: प्राकृतिक आपदाओं के दौरान, जब भूमि-आधारित नेटवर्क बाधित हो जाते हैं, LEO सैटेलाइट निर्बाध संचार सुनिश्चित करते हैं.​

अनंत टेक्नोलॉजी: भारत का अंतरिक्ष निर्माण में अग्रणी

कंपनी का परिचय

अनंत टेक्नोलॉजीज लिमिटेड की स्थापना 1992 में डॉ. सुब्बा राव पवुलुरी ने की थी. हैदराबाद में मुख्यालय वाली यह कंपनी भारत की पहली प्राइवेट सेक्टर स्पेस कंपनियों में से एक है. कंपनी के 1,600+ कर्मचारी हैदराबाद और बेंगलुरु में काम करते हैं.​

प्रमुख उपलब्धियां

अनंत टेक्नोलॉजी ने भारत के कई महत्वपूर्ण अंतरिक्ष मिशनों के लिए सैटेलाइट निर्माण किया है, जिनमें चंद्रयान-2, मंगल ऑर्बिटर मिशन और एस्ट्रोसैट शामिल हैं. कंपनी ने भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (IRNSS) का भी निर्माण किया.​

फरवरी 2020 में, कंपनी ने बेंगलुरु के देवनहल्ली में एयरोस्पेस पार्क में एक नई सैटेलाइट निर्माण सुविधा खोली. यह कंपनी फ्रांस और स्वीडन के ग्राहकों के लिए 50 किलोग्राम से 250 किलोग्राम वजन वाले 6 सैटेलाइट निर्माण के लिए अनुबंध प्राप्त करने वाली पहली भारतीय प्राइवेट कंपनी बनी.​

नवीनतम विकास

सितंबर 2025 में, अनंत टेक्नोलॉजी भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 के तहत जियोस्टेशनरी (GSO) संचार सैटेलाइट प्रदान करने वाली पहली निजी भारतीय सैटेलाइट ऑपरेटर बन गई. IN-SPACe द्वारा अधिकृत, कंपनी शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा क्षेत्रों के लिए Ka-band उच्च-थ्रूपुट सैटेलाइट विकसित कर रही है.​

मध्यप्रदेश टेक ग्रोथ कॉन्क्लेव 2.0: विस्तृत विवरण

कॉन्क्लेव का अवलोकन

13 नवंबर 2025 को इंदौर के ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में आयोजित इस कॉन्क्लेव का थीम था "Powering Tier-2, Propelling India". मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस कार्यक्रम का उद्घाटन किया.​​

प्रमुख उपलब्धियां

इस कॉन्क्लेव के दौरान 68 गतिविधियां हुईं, जिनमें उद्घाटन, भूमि पूजन समारोह, आवंटन पत्र, समझौते, MoU, नीति और पोर्टल लॉन्च शामिल थे. मुख्यमंत्री ने 9 कंपनियों को भूमि आवंटन के लिए लेटर्स ऑफ इंटेंट (LOI) जारी किए, जिससे ₹10.61 करोड़ का निवेश और 740 नई नौकरियां सृजित होंगी.​

सरकार ने 7 नए MoU भी साइन किए, जिससे लगभग ₹800 करोड़ का निवेश और 10,500 नए रोजगार अवसर बनेंगे.​

ड्रोन और सेमीकंडक्टर में निवेश

कॉन्क्लेव में थॉमसन सेमीकंडक्टर की ओर से श्रीनिवासन अनंत ने 5 हजार करोड़ के निवेश को लेकर चर्चा की. यह निवेश पीथमपुर में आ सकता है, जहां पहले से ही ₹5,432 करोड़ का निवेश प्रस्तावित है.​

मध्यप्रदेश ने ड्रोन प्रमोशन एंड यूज़ पॉलिसी 2025 भी जारी की है, जो 40% कैपिटल इन्वेस्टमेंट सब्सिडी, 25% लीज रेंट सब्सिडी और ₹2 करोड़ तक का R&D ग्रांट प्रदान करती है. अगले पांच वर्षों में ड्रोन सेक्टर में ₹370 करोड़ का निवेश और 8,000 नौकरियों का लक्ष्य है.​

पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल: महत्व और संरचना

PPP मॉडल क्या है?

पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप एक सहयोगात्मक ढांचा है जहां सरकार सार्वजनिक सेवाओं या बुनियादी ढांचे को प्रदान करने के लिए निजी संस्थाओं के साथ साझेदारी करती है. यह संसाधन साझाकरण, जोखिम वितरण और विशेषज्ञता के आदान-प्रदान को सक्षम बनाता है.​

PPP के प्रमुख मॉडल

Build-Operate-Transfer (BOT): निजी भागीदार परियोजना को डिजाइन, निर्माण, संचालन (अनुबंधित अवधि के दौरान) और फिर सार्वजनिक क्षेत्र को हस्तांतरित करता है. NHAI द्वारा PPP मोड पर अनुबंधित राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाएं इसका प्रमुख उदाहरण हैं.​

Build-Own-Operate (BOO): निजी भागीदार परियोजना का निर्माण, स्वामित्व और संचालन करता है.​

Hybrid Annuity Model (HAM): इस मॉडल में सरकार और निजी क्षेत्र दोनों वित्तीय जिम्मेदारी साझा करते हैं.​

PPP के लाभ

सरकार के पास बड़ी परियोजनाओं के लिए अक्सर पर्याप्त धन नहीं होता। PPP सार्वजनिक और निजी वित्तपोषण को संयुक्त करने में मदद करता है. भारत ने परिवहन, ऊर्जा और शहरी विकास सहित विभिन्न क्षेत्रों में 1,800+ PPP परियोजनाएं लागू की हैं, जिनमें ₹24 लाख करोड़ से अधिक का संचयी निवेश है.​

Viability Gap Funding (VGF) Scheme के तहत, सामाजिक क्षेत्र की बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए 30% तक VGF प्रदान किया जाता है.​

भारत में LEO सैटेलाइट का भविष्य

ISRO की योजनाएं

ISRO के सैटेलाइट एप्लीकेशन सेंटर के निदेशक नीलेश देसाई ने बताया कि भारत पहले से ही 140 सैटेलाइट के कॉन्स्टेलेशन पर काम कर चुका है, जो शहरी क्षेत्रों की ब्रॉडबैंड आवश्यकताओं को तत्काल आधार पर पूरा करेगा. अगले 15 वर्षों में, ISRO 103 परिचालन सैटेलाइट और 16 प्रौद्योगिकी प्रदर्शन सैटेलाइट लॉन्च करने की योजना बना रहा है.​

प्राइवेट सेक्टर की भूमिका

भारत में 200+ स्पेसटेक स्टार्टअप उभरे हैं, जिनमें पिक्सल, ध्रुव स्पेस और स्काईरूट शामिल हैं. ये स्टार्टअप लॉन्च व्हीकल, अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट और रियल-टाइम स्पेस-डेटा एनालिटिक्स विकसित कर रहे हैं.​

भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 सैटेलाइट निर्माण में 100% FDI की अनुमति देती है और निजी भागीदारी के लिए स्पष्ट ढांचा प्रदान करती है. IN-SPACe ने 658+ आवेदन प्राप्त किए हैं, जो सैटेलाइट विकास और गहन अंतरिक्ष अन्वेषण जैसे क्षेत्रों में हैं.​

वैश्विक प्रतिस्पर्धा

SpaceX 6,000+ LEO सैटेलाइट का संचालन करती है, जबकि OneWeb और Telesat भी समान सैटेलाइट संचालित करती हैं. भारत के लिए इस क्षेत्र में प्रतिस्पर्धी बनना आवश्यक है। INR 13 बिलियन तक पहुंचने का अनुमान है भारत का LEO सैटेलाइट बाजार 2025 तक.​

मध्यप्रदेश की तकनीकी महत्वाकांक्षाएं

AI और Knowledge City

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने घोषणा की कि भोपाल में 2,000 एकड़ में विश्व स्तरीय Knowledge और AI City विकसित की जाएगी. यहां विश्व स्तरीय संस्थान, रिसर्च सेंटर और स्टार्टअप एक साथ आएंगे.​

Science City Project के लिए 25 एकड़ भूमि आवंटित की जाएगी, जिसमें विज्ञान, नवाचार और तकनीकी अनुसंधान के लिए विश्व स्तरीय सुविधाएं बनाई जाएंगी.​

Drone Data Repository

मुख्यमंत्री ने Drone Data Repository का शुभारंभ किया, जो भूमि प्रबंधन, शहरी योजना, वन संरक्षण, सिंचाई और आपदा प्रबंधन में ड्रोन-आधारित डेटा के उपयोग को बढ़ावा देगा.​

Global Capability Centers (GCC)

कॉन्क्लेव में 30+ Global Capability Centers (GCC) ने भाग लिया, जो मध्यप्रदेश को GCC के लिए पसंदीदा गंतव्य के रूप में स्थापित करने पर केंद्रित थे. राज्य की प्रगतिशील नीतियां, मजबूत बुनियादी ढांचा, निवेशक-अनुकूल वातावरण और कुशल कार्यबल वैश्विक निवेशकों को आकर्षित कर रहे हैं.​

Why this matters for your exam preparation

UPSC के लिए प्रासंगिकता

Science & Technology - General Studies Paper 3: LEO सैटेलाइट प्रौद्योगिकी, उनकी विशेषताएं, अनुप्रयोग और GEO सैटेलाइट से तुलना महत्वपूर्ण विषय हैं. भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी भागीदारी और अंतरिक्ष नीति 2023 के प्रावधान भी पूछे जा सकते हैं.​

Indian Economy - GS Paper 3: PPP मॉडल, इसकी संरचना, लाभ और चुनौतियां नियमित रूप से प्रश्नों में आती हैं. विशेष रूप से बुनियादी ढांचा विकास में PPP की भूमिका और Kelkar Committee की सिफारिशें महत्वपूर्ण हैं.​

Current Affairs & Regional Development: मध्यप्रदेश के तकनीकी विकास, ड्रोन पॉलिसी 2025, टेक ग्रोथ कॉन्क्लेव और राज्य की निवेश आकर्षण रणनीतियां राज्य और केंद्रीय प्रशासन के प्रश्नपत्रों में पूछी जा सकती हैं.​

अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए

Madhya Pradesh State Exams (MPPSC): यह विषय विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह राज्य की प्रगति और विकास योजनाओं से सीधे जुड़ा है.​

Banking & SSC Exams: अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, डिजिटल इंडिया पहल और तकनीकी नवाचारों से संबंधित करंट अफेयर्स प्रश्न नियमित रूप से पूछे जाते हैं.

Defence Exams (NDA, CDS): LEO सैटेलाइट के रक्षा अनुप्रयोग, संचार सुरक्षा और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी की रणनीतिक भूमिका महत्वपूर्ण विषय हैं.​

प्रमुख फैक्ट्स जो याद रखें

LEO सैटेलाइट की ऊंचाई: 200-2,000 किमी​

विलंबता (Latency): 2ms-27ms​

डेटा स्पीड: 25-195 Mbps (कुछ में 1 Gbps तक)​

अनंत टेक्नोलॉजी स्थापना: 1992, संस्थापक डॉ. सुब्बा राव पवुलुरी​

मध्यप्रदेश टेक कॉन्क्लेव 2.0 निवेश: ₹15,896 करोड़, 64,085 नौकरियां​

भारत की LEO योजना: 140 सैटेलाइट कॉन्स्टेलेशन​

ड्रोन पॉलिसी सब्सिडी: 40% कैपिटल सब्सिडी, ₹30 करोड़ तक​

PPP में VGF: सामाजिक परियोजनाओं के लिए 30% तक​

मध्यप्रदेश का यह कदम न केवल राज्य को तकनीकी हब बनाएगा, बल्कि भारत के डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन और आत्मनिर्भर भारत मिशन में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा.