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मिनुटमैन-3 परीक्षण और बढ़ता वैश्विक तनाव

5 नवंबर 2025 को अमेरिका ने कैलिफोर्निया के वैंडेनबर्ग स्पेस फोर्स बेस से अपने मिनुटमैन-3 अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) का सफल परीक्षण किया, जिसे “GT 254” नाम दिया गया। यह परीक्षण उस समय हुआ जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने लगभग तीन दशकों बाद परमाणु परीक्षण फिर से शुरू करने की तैयारी के आदेश दिए। इस कदम ने वैश्विक परमाणु संतुलन और निवारक रणनीति (Deterrence Strategy) पर नई बहस छेड़ दी है।

रूस, चीन और अन्य परमाणु शक्तियाँ इस परीक्षण पर बारीकी से नजर रख रही हैं। परीक्षा की दृष्टि से मिनुटमैन-3 मिसाइल, परमाणु त्रिमूर्ति (Nuclear Triad) और प्रतिरोध सिद्धांत (Deterrence Theory) को समझना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

मिनुटमैन-3 क्या है?

LGM-30G मिनुटमैन-3 एक ठोस ईंधन आधारित तीन-चरणीय अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल है जिसे 1970 के दशक में विकसित किया गया था। यह अमेरिका की भूमि-आधारित परमाणु शक्ति का मूल स्तंभ है।

मुख्य तकनीकी विवरण:

मारक दूरी: 6,700 से 10,000+ कि.मी. तक

वजन: लगभग 30 टन

लंबाई: लगभग 18 मीटर

गति: लगभग 24,000 कि.मी./घंटा (हाइपरसोनिक स्तर)

वारहेड क्षमता: कई स्वतंत्र रूप से लक्षित पुनःप्रवेश वाहन (MIRVs)

सटीकता: आधुनिक मार्गदर्शन प्रणाली से सुसज्जित

तैनाती: 5 अमेरिकी राज्यों में लगभग 400 मिसाइलें 24/7 कार्यरत

लॉन्च प्रणाली: भूमिगत नियंत्रण केंद्रों से दो अधिकारियों द्वारा संचालित

इन विशेषताओं के कारण इसे विश्व की सबसे घातक रणनीतिक हथियार प्रणालियों में से एक माना जाता है।

क्यों कहा जाता है “डूम्सडे वेपन”?

“डूम्सडे वेपन” वे हथियार हैं जिनका प्रयोग मानव सभ्यता के विनाश का कारण बन सकता है — जो “Mutually Assured Destruction (MAD)” की अवधारणा पर आधारित है।

MAD की अवधारणा:

परमाणु हमला किसी भी देश को पूरी तरह तबाह कर सकता है

कोई पूर्ण रक्षा संभव नहीं

पहला आक्रमण झेलने के बाद भी दूसरा देश विनाशकारी पलटवार कर सकता है

इस भय के कारण युद्ध अव्यावहारिक बन जाता है — यही “Peace Through Terror” है

अमेरिका की परमाणु त्रिमूर्ति (Nuclear Triad)

घटकप्रक्षेपण माध्यमउदाहरणमुख्य लाभ
भूमि आधारित (ICBM)ज़मीन से लॉन्चमिनुटमैन-3त्वरित प्रतिक्रिया, सभी ठिकानों को एक साथ निशाना बनाना कठिन
समुद्र आधारित (SLBM)पनडुब्बी से लॉन्चओहायो-क्लास SSBN, ट्राइडेंट मिसाइलेंसबसे सुरक्षित और छिपी हुई क्षमता
वायु आधारित (ALCM)बमवर्षक विमानों सेB-52, B-21 रेडरलचीला और नियंत्रित प्रतिशोध

 

मिनुटमैन-3 इस त्रिमूर्ति का भूमि आधारित हिस्सा है।

“डूम्सडे” की उपमा के कारण

प्रत्येक मिसाइल कई शहरों को नष्ट करने की क्षमता रखती है

किसी भी परमाणु हमले के बाद पलटवार अवश्यम्भावी

ऐसी हथियार प्रतिस्पर्धा ने अंतरराष्ट्रीय रणनीतिक गतिरोध (stalemate) बना दिया है

हालिया परीक्षण (5 नवंबर 2025)

परीक्षण परिणाम:
मिनुटमैन-3 को वैंडेनबर्ग बेस से लॉन्च कर मार्शल द्वीप समूह के रोनाल्ड रीगन मिसाइल परीक्षण केंद्र तक 6,700 कि.मी. की दूरी पर परीक्षण किया गया। मिसाइल बिना वारहेड के थी लेकिन सफल रही।

महत्व:

मिसाइल की विश्वसनीयता की पुष्टि

प्रतिरोध संदेश (Deterrence signaling)

सहयोगी देशों को सुरक्षा का भरोसा

चीन और रूस को रणनीतिक संकेत

पिछले परीक्षण:

19 फरवरी 2025

21 मई 2025

राष्ट्रपति ट्रम्प की परमाणु परीक्षण नीति

पृष्ठभूमि:
राष्ट्रपति ट्रम्प ने 1992 के बाद पहली बार परमाणु हथियार परीक्षण तैयारी का आदेश दिया।

मुख्य कारण:

चीन का बढ़ता परमाणु भंडार (लगभग 600 वारहेड)

रूस की आधुनिकीकरण रणनीति

पुरानी अमेरिकी मिसाइलों के विश्वासपात्र परीक्षण की आवश्यकता

वैश्विक प्रभाव:

रूस और चीन ने भी परीक्षण तैयारियाँ शुरू कीं

CTBT (1996) टूटने की आशंका

नए शीत युद्ध और हथियारों की दौड़ की संभावना

प्रमुख परमाणु शक्तियाँ: तुलना

देशकुल वारहेडतैनात वारहेडप्रमुख ICBMविशेषताएँ
अमेरिका~5,177~1,770400 मिनुटमैन-3त्रिमूर्ति; आधुनिकीकरण जारी
रूस~5,459~1,912333 ICBMs“Dead Hand” प्रणाली
चीन~600<10DF-41पारदर्शिता कम
भारत160–2000अग्नि-श्रृंखला“No First Use” नीति
पाकिस्तान170–1900शाहीन, ग़ौरीबढ़ता जखीरा
उत्तर कोरिया30–400नोडोंगअप्रत्याशित नीति

 

अमेरिका का आधुनिकीकरण कार्यक्रम

LGM-35A Sentinel ICBM:

मिनुटमैन-3 का उत्तराधिकारी

अधिक दूरी, साइबर-प्रतिरोधी, सटीक मार्गदर्शन प्रणाली

2030 तक तैनाती शुरू होने की संभावना

अन्य पहलें:

कोलंबिया-क्लास SSBN (पनडुब्बियाँ)

B-21 रेडर स्टेल्थ बमवर्षक

नई एधीक्रूज़ मिसाइलें (ACM-N)

वैश्विक प्रतिक्रियाएँ

रूस:
पुतिन ने “Poseidon” परमाणु टॉरपीडो और “Dead Hand” स्वचालित प्रणाली प्रदर्शित की, जिससे परमाणु संघर्ष की आशंका बढ़ी है।

चीन:
DF-41, हाइपरसोनिक मिसाइलों जैसे उन्नत सिस्टम विकसित कर रहा है। सालाना 100 नए वारहेड जोड़ रहा है।

भारत:
2018 में पूर्ण परमाणु त्रिमूर्ति हासिल की।

भूमि आधारित: अग्नि-V और अग्नि-VI

समुद्री आधारित: INS अरिहंत (K-15/K-4)

वायु आधारित: राफेल, मिराज 2000, सुखोई-30MKI

भारत की नीति: “No First Use (NFU)”
2003 में घोषित सिद्धांत —

सिर्फ प्रतिशोध के लिए परमाणु हथियारों का उपयोग

नागरिक नियंत्रण वाली “Nuclear Command Authority”

“Minimum Credible Deterrence” की रणनीति

कुछ विशेषज्ञ “Conditional No First Use” की वकालत करते हैं, लेकिन आधिकारिक नीति वही बनी हुई है।

ऐतिहासिक संदर्भ: शीत युद्ध से वर्तमान तक

1950–1989: MAD सिद्धांत, क्यूबा संकट, SALT एवं START संधियाँ

1990–2020: शीत युद्धोत्तर निरस्त्रीकरण

2020–वर्तमान: नया प्रतिस्पर्धी युग — अमेरिका बनाम चीन/रूस, परमाणु परीक्षण विवाद

UPSC परीक्षा दृष्टिकोण से उपयोगी बिंदु

GS पेपर-II (अंतरराष्ट्रीय संबंध):

परमाणु निवारक सिद्धांत

CTBT, NPT, New START जैसी संधियाँ

अमेरिका-रूस-चीन त्रिकोणीय समीकरण

उदाहरण प्रश्न:

“संयुक्त राज्य अमेरिका के परमाणु परीक्षण से वैश्विक स्थिरता पर क्या प्रभाव पड़ सकता है?”

“परमाणु त्रिमूर्ति क्या है और इसका रणनीतिक महत्व समझाइए।”

GS पेपर-III (सुरक्षा):

परमाणु सुरक्षा नीति

समुद्र आधारित प्रतिरोध

साइबर खतरों का प्रभाव

निष्कर्ष

5 नवंबर 2025 का मिनुटमैन-3 परीक्षण मात्र तकनीकी सफलता नहीं, बल्कि अमेरिकी परमाणु नीति में रणनीतिक संकेत है। “डूम्सडे वेपन” कहलाने का कारण यह है कि यह मानव सभ्यता के विनाश की क्षमता का प्रतीक है — किंतु इसी भय ने दशकों तक शक्तियों के बीच स्थायित्व बनाए रखा है।

जैसे-जैसे अमेरिका, रूस और चीन के बीच प्रतिस्पर्धा तेज हो रही है, भारत जैसे राष्ट्रों के लिए इन रणनीतिक परिवर्तनों की समझ अति आवश्यक है। UPSC अभ्यर्थियों को न केवल इन घटनाओं का तथ्यात्मक ज्ञान, बल्कि उनके सिद्धांतिक और ऐतिहासिक विश्लेषण का दृष्टि-कोण भी विकसित करना चाहिए।