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INS Ikshak: भारत का स्वदेशी सर्वे वेसल — UPSC के लिए जानिए क्या है खास

भारतीय नौसेना ने आज, 6 नवम्बर 2025 को, कोच्चि के नौसैनिक अड्डे पर INS Ikshak को औपचारिक रूप से कमीशन कर लिया है।
यह भारत की आत्मनिर्भर भारत यात्रा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो स्वदेशी रक्षा विनिर्माण में मील का पत्थर साबित होती है। UPSC या अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों के लिए यह खबर इसलिए भी अहम है क्योंकि यह भारत की रणनीतिक समुद्री नीति, तकनीकी उन्नति और राष्ट्रीय सुरक्षा — तीनों को जोड़ती है।

त्वरित झलक: INS Ikshak के 5 मुख्य बिंदु

1. नाम का अर्थ – “Ikshak” का क्या मतलब है?

‘Ikshak’ शब्द संस्कृत से लिया गया है, जिसका अर्थ है मार्गदर्शक या अन्वेषक (Scout)। रक्षा मंत्रालय के अनुसार, यह नाम जहाज की उस भूमिका को दर्शाता है जिसमें वह भारत की समुद्री सीमाओं का सटीक मानचित्रण और नौवहन सुरक्षा सुनिश्चित करता है। नामकरण भारत की सांस्कृतिक परंपरा के साथ-साथ जहाज के रणनीतिक महत्व को भी रेखांकित करता है।

2. GRSE द्वारा निर्मित – स्वदेशी जहाज निर्माण का उदाहरण

INS Ikshak को गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (GRSE), कोलकाता ने बनाया है, जो भारत का प्रमुख रक्षा PSU है।
GRSE ने पिछले 63 वर्षों में भारतीय नौसेना और तटरक्षक बल के लिए 108 से अधिक युद्धपोत और गश्ती पोत बनाए हैं।
यह जहाज GRSE की विश्वस्तरीय निर्माण क्षमता और अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरे उतरने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

3. 80% से अधिक स्वदेशी सामग्री – आत्मनिर्भर भारत का वास्तविक उदाहरण

INS Ikshak की एक सबसे बड़ी विशेषता है कि इसका 80% से अधिक हिस्सा स्वदेशी सामग्री से निर्मित है
यह सफलता निम्न सहयोगों का परिणाम है:

GRSE और भारतीय MSMEs के बीच साझेदारी

स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL) द्वारा निर्मित स्वदेशी हुल स्टील (DMR 249-A)

भारतीय नौसेना के Warship Design Bureau द्वारा डिज़ाइन और इंजीनियरिंग

विदेशी रक्षा आयातों पर निर्भरता में कमी

यह आत्मनिर्भर भारत नीति की दिशा में एक ठोस कदम है, जो UPSC के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।

4. अत्याधुनिक हाइड्रोग्राफिक और ओशनोग्राफिक सिस्टम्स

INS Ikshak में अनेक आधुनिक तकनीकी प्रणालियाँ स्थापित की गई हैं, जो इसे भारत का सबसे सक्षम सर्वे वेसल बनाती हैं:

हाई-रिज़ॉल्यूशन मल्टी-बीम इको साउंडर (MBES): समुद्र की तलहटी के विस्तृत मानचित्र तैयार करने हेतु।

ऑटोनॉमस अंडरवाटर व्हीकल (AUV): स्वचालित समुद्री सर्वेक्षण और डेटा संग्रह के लिए।

रिमोटली ऑपरेटेड व्हीकल (ROV): गहरे समुद्री अभियानों के लिए।

चार सर्वे मोटर बोट्स (SMBs): उथले और तटीय जल सर्वेक्षण हेतु।

हेलिकॉप्टर डेक: हवाई सर्वे, रसद सहायता और बहु-क्षेत्रीय मिशनों के लिए।

एडवांस डेटा एक्विज़िशन सिस्टम: DGPS, डिजिटल साइड-स्कैन सोनार आदि सहित आधुनिक डाटा प्रोसेसिंग तकनीक।

5. मुख्य भूमिका – भारत के समुद्री हितों की रक्षा

INS Ikshak की प्रमुख जिम्मेदारियाँ होंगी:

भारतीय बंदरगाहों और तटों का हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण

नौवहन मार्गों और चैनलों का सटीक मानचित्रण

समुद्री और भौगोलिक डाटा एकत्र करना

भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) और विस्तारित महाद्वीपीय शेल्फ का सर्वेक्षण

द्वितीयक भूमिकाएँ: खोज एवं बचाव कार्य, समुद्री अनुसंधान और आपदा राहत संचालन।

तकनीकी विनिर्देश (Technical Specifications)

पैरामीटरविवरण
वर्गीकरणचार सर्वे वेसल (लार्ज) में तीसरा
निर्माताGRSE, कोलकाता
विस्थापन~3,400 टन
लंबाई110 मीटर
चौड़ाई (Beam)16 मीटर
दल (Crew)231–235 कर्मी
प्रणोदनदो डीज़ल इंजन
अधिकतम गति18 नॉट से अधिक
क्रूज़ गति14 नॉट
सहन क्षमता6,500 समुद्री मील
स्वदेशी सामग्रीलागत का 80% से अधिक
कमीशनिंग तिथि6 नवम्बर 2025
मुख्य अड्डानौसेना बेस कोच्चि (दक्षिणी नौसेना कमान)

सर्वे वेसल (लार्ज) परियोजना – भारत के हाइड्रोग्राफिक बेड़े का विकास

परियोजना पृष्ठभूमि:
1980 के दशक में निर्मित Sandhayak-class सर्वे वेसल को बदलने हेतु Survey Vessel (Large) परियोजना शुरू की गई।
30 अक्टूबर 2018 को रक्षा मंत्रालय और GRSE के बीच चार SVL श्रेणी के जहाजों के निर्माण के लिए अनुबंध हुआ।

बेड़े की स्थिति (नवम्बर 2025 तक):

INS Sandhayak (यार्ड 3025) – 3 फरवरी 2024 को कमीशन

INS Nirdeshak (यार्ड 3026) – 18 दिसम्बर 2024 को कमीशन

INS Ikshak (यार्ड 3027) – 6 नवम्बर 2025 को कमीशन

INS Sanshodhak (यार्ड 3028) – निर्माणाधीन

INS Ikshak पहला ऐसा SVL जहाज है जिसे दक्षिणी नौसेना कमान में स्थायी रूप से तैनात किया गया है।

रणनीतिक महत्व – भारत की समुद्री रणनीति में INS Ikshak की भूमिका

1. उन्नत समुद्री डोमेन जागरूकता (MDA)

INS Ikshak भारत को 22 लाख वर्ग किलोमीटर से अधिक समुद्री क्षेत्र के सटीक मानचित्रण की क्षमता देगा, जिससे:

वाणिज्यिक नौवहन में सुरक्षा

नौसैनिक अभियानों की बेहतर योजना

समुद्री व्यापार मार्गों की रक्षा संभव होगी।

2. भारत की ब्लू इकोनॉमी को सहयोग

सटीक समुद्री डाटा से सहायता मिलेगी:

अपतटीय तेल और गैस अन्वेषण में

बंदरगाह विकास और आधुनिकीकरण में

मत्स्य प्रबंधन में

नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं (ऑफशोर विंड, टाइडल एनर्जी) में।

3. हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक स्थिति

भारत की समुद्री सीमाओं की निगरानी और सर्वेक्षण क्षमता क्षेत्रीय शक्ति संतुलन में अहम भूमिका निभाएगी, जिससे:

नौवहन स्वतंत्रता की रक्षा

क्षेत्रीय साझेदारों (जैसे क्वाड) के साथ सहयोग

इंडो-पैसिफिक में भारत की भूमिका सशक्त होगी।

4. MSME और औद्योगिक विकास

INS Ikshak का उच्च स्वदेशी अनुपात भारत के रक्षा निर्माण पारिस्थितिकी तंत्र की वृद्धि को दर्शाता है, जिससे रोजगार सृजन और औद्योगिक आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलता है।

कमीशनिंग समारोह विवरण

तारीख: 6 नवम्बर 2025

स्थान: नौसेना बेस, कोच्चि

मुख्य अतिथि: एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी, नौसेना प्रमुख

महत्व: दक्षिणी नौसेना कमान में स्थायी रूप से तैनात पहला SVL श्रेणी का जहाज।

Atharva Examwise के संबंधित विषय

भारतीय नौसेना का आधुनिकीकरण और युद्धपोत अधिग्रहण कार्यक्रम

GRSE शिपबिल्डिंग परियोजनाएँ एवं रक्षा PSU की भूमिका

भारत की समुद्री सुरक्षा रणनीति और हिंद महासागर क्षेत्र

रक्षा विनिर्माण में आत्मनिर्भर भारत पहल।

UPSC परीक्षा तैयारी के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?

1. करेंट अफेयर्स और सरकारी पहलें

INS Ikshak आत्मनिर्भर भारत पहल का वास्तविक उदाहरण है। UPSC अक्सर पूछता है —
स्वदेशी रक्षा निर्माण, औद्योगिक नीति, और आयात निर्भरता कम करने के सरकारी प्रयासों पर प्रश्न।

2. समुद्री सुरक्षा और भू-राजनीति

INS Ikshak से भारत की Indo-Pacific में स्थिति मजबूत होगी। यह UPSC के लिए प्रासंगिक है जब प्रश्न आते हैं:

भारत की विदेश नीति

क्षेत्रीय सुरक्षा समीकरण

समुद्री साझेदारी और QUAD जैसी पहलें।

3. रक्षा और रणनीतिक अध्ययन

यह घटना भारतीय नौसेना के आधुनिकीकरण और स्वदेशी रक्षा निर्माण की दिशा में बड़ा कदम है। UPSC के लिए ध्यान रखें:

प्रमुख नौसैनिक परियोजनाएँ

रक्षा PSU की भूमिका (GRSE, Mazagon Dock आदि)

आत्मनिर्भरता लक्ष्य।

4. आर्थिक और औद्योगिक विकास

INS Ikshak के निर्माण में MSME और SAIL जैसी भारतीय कंपनियों की भागीदारी दर्शाती है कि रक्षा निवेश कैसे औद्योगिक वृद्धि और आपूर्ति श्रृंखला को प्रोत्साहित करता है।

5. UPSC उत्तर लेखन हेतु कीवर्ड

“INS Ikshak कमीशनिंग और आत्मनिर्भर भारत”

“Survey Vessel (Large) Class”

“80% Indigenous Content”

“GRSE और रक्षा PSU की भूमिका”

UPSC उन्मुख सारांश

पहलूUPSC हेतु मुख्य बिंदु
जहाज का नाम“Ikshak” – मार्गदर्शक, भारत की सांस्कृतिक पहचान
निर्माताGRSE – 63 वर्ष का रक्षा निर्माण अनुभव
स्वदेशी सामग्री80%+ – आत्मनिर्भर भारत का प्रतीक
तकनीकMBES, AUV, ROV – उन्नत हाइड्रोग्राफिक प्रणाली
मुख्य भूमिकातटीय और गहरे समुद्र सर्वेक्षण
रणनीतिक महत्वसमुद्री सुरक्षा और डोमेन जागरूकता
सरकारी पहलआत्मनिर्भर भारत नीति
गृह बंदरगाहकोच्चि (Southern Naval Command)

निष्कर्ष

INS Ikshak का आज का कमीशनिंग भारत की समुद्री आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और कदम है। UPSC के विद्यार्थियों के लिए यह उदाहरण रक्षा नीति, औद्योगिक विकास और समुद्री रणनीति — तीनों क्षेत्रों को जोड़ता है।

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