Popular Content

featured project

रूस की आधिकारिक घोषणा

रूस ने औपचारिक रूप से यह घोषणा की है कि अब वह 1987 की मध्यम दूरी परमाणु शक्ति संधि (INF Treaty) के तहत खुद को बंधा हुआ नहीं मानता। 4 अगस्त 2025 को, रूसी विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी किया: "मध्यम और छोटी दूरी की मिसाइलों की तैनाती पर एकपक्षीय, स्वयं-लगाए गए प्रतिबंध अब समाप्त हो गए हैं।"

यह निर्णय, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा "उपयुक्त क्षेत्रों" में दो परमाणु पनडुब्बियों की तैनाती के आदेश के बाद आया, जो कि रूसी पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव की "बहुत ज्यादा उकसाने वाली" टिप्पणी पर अमेरिका की प्रतिक्रिया थी।

INF संधि: ऐतिहासिक समझौता

पृष्ठभूमि और महत्व

INF (Intermediate-Range Nuclear Forces) संधि 8 दिसंबर 1987 को अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन और सोवियत नेता मिखाइल गोर्बाचेव द्वारा हस्ताक्षरित हुई थी। यह शीत युद्ध काल में परमाणु हथियार नियंत्रण की दिशा में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर थी, जिसने वैश्विक निरस्त्रीकरण के नए मानक स्थापित किए।

संधि की मुख्य विशेषताएँ

मिसाइल रेंज पर प्रतिबंध: 500 से 5,500 किलोमीटर रेंज वाली ज़मीन से लॉन्च होने वाली बैलिस्टिक और क्रूज़ मिसाइलों पर पूरी तरह प्रतिबंध।

पूर्ण निरस्त्रीकरण: यह ऐसी पहली संधि थी जिसने परमाणु हथियारों की एक पूरी श्रेणी को समाप्त कर दिया।

सत्यापन व्यवस्था: इसमें व्यापक ऑन-साइट निरीक्षण की व्यवस्था थी।

मिसाइलों का विनाश: 1991 तक कुल 2,692 मिसाइलें नष्ट की गईं।

संधि का पतन और वर्तमान स्थिति

अमेरिका की वापसी (2019)

2019 में ट्रम्प प्रशासन के दौरान अमेरिका ने संधि से हटने की घोषणा की। अमेरिका का आरोप था कि रूस ने 9M729 (SSC-8) मिसाइल का विकास और तैनाती कर संधि का उल्लंघन किया।

9M729 मिसाइल विवाद

विकास काल: रूस ने 2008 से इस मिसाइल का परीक्षण शुरू किया।

रेंज क्षमता: अमेरिकी आकलन के अनुसार इसकी रेंज 2,500 किलोमीटर तक है।

तैनाती: 2017 तक, इस मिसाइल की दो बटालियनों की तैनाती हो चुकी थी।

रूसी स्व-संयम (2019–2025)

अमेरिका की वापसी के बाद रूस ने कहा था कि वह तब तक मध्यम दूरी की मिसाइलें नहीं तैनात करेगा, जब तक अमेरिका ऐसा नहीं करता। लेकिन 2025 में रूस ने यह स्व-लगाया प्रतिबंध समाप्त कर दिया।

आधुनिक भू-राजनीतिक संदर्भ

अमेरिका की मिसाइल तैनातियाँ

रूस ने निम्नलिखित अमेरिकी कार्रवाइयों को अपने निर्णय का कारण बताया:

फिलीपींस में Typhon प्रणाली: 2024 में अमेरिका ने Typhon मिसाइल लॉन्चर फिलीपींस में तैनात किए।

जर्मनी में नियोजित तैनाती: 2026 से जर्मनी में मध्यम दूरी की मिसाइलों की आंशिक तैनाती।

ऑस्ट्रेलिया में अभ्यास: Talisman Sabre सैन्य अभ्यास के दौरान मिसाइल परीक्षण।

Typhon मिसाइल सिस्टम की मुख्य बातें

रेंज क्षमता: टॉमहॉक मिसाइलों के साथ 2,000 किलोमीटर तक निशाना साध सकती है।

दोहरी क्षमता: SM-6 इंटरसेप्टर तथा Tomahawk क्रूज़ मिसाइल दोनों दाग सकती है।

रणनीतिक महत्व: दक्षिण चीन सागर, ताइवान स्ट्रेट और चीन के कुछ हिस्सों को कवर कर सकती है।

परमाणु हथियार नियंत्रण पर प्रभाव

शीत युद्ध नियंत्रण तंत्र का विघटन

START संधि की अनिश्चितता: न्यू START संधि फरवरी 2026 में समाप्त हो रही है।

CTBT पर असमंजस: रूस ने Comprehensive Nuclear Test Ban Treaty की अपनी प्रतिबद्धता पर भी सवाल उठाए।

नई शस्त्र होड़ की आशंका: विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि इससे एक नई वैश्विक परमाणु शस्त्र होड़ शुरू हो सकती है।

भारत की स्थिति

भारत की परमाणु नीति और शस्त्र नियंत्रण पर रुख:

NPT का सदस्य नहीं: भारत Non-Proliferation Treaty (NPT) का सदस्य नहीं है।

नो-फर्स्ट-यूज़ नीति: भारत की परमाणु नीति के तीन प्रमुख स्तंभों में से एक "नो फर्स्ट यूज़" है।

TPNW पर रुख: भारत ने Treaty on the Prohibition of Nuclear Weapons (TPNW) पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।

UPSC एवं प्रतियोगी परीक्षाओं हेतु महत्वपूर्ण तथ्य

प्रमुख तिथियाँ एवं आँकड़े

घटनातिथिमहत्व
INF संधि पर हस्ताक्षर8 दिसंबर 1987रीगन-गोर्बाचेव समझौता
संधि लागू1 जून 1988शीत युद्ध में निरस्त्रीकरण का मील का पत्थर
मिसाइलों का विनाशमई 19912,692 मिसाइलें नष्ट
अमेरिकी वापसी2 अगस्त 2019ट्रम्प प्रशासन का निर्णय
रूसी वापसी4 अगस्त 2025वर्तमान तनाव का परिणाम

 

संधि में शामिल देश

मूल हस्ताक्षरकर्ता: अमेरिका और सोवियत संघ

उत्तराधिकारी देश: रूस, बेलारूस, कजाखस्तान, यूक्रेन

प्रभावित क्षेत्र: यूरोप, एशिया-प्रशांत

संबंधित संधियां एवं समझौते

SALT I & II: स्ट्रैटेजिक आर्म्स लिमिटेशन टॉक्स

START Treaties: स्ट्रैटेजिक आर्म्स रिडक्शन संधियाँ

New START: 2010 की संधि, 2026 में समाप्त होनी है

CTBT: कंप्रीहेन्सिव न्यूक्लियर टेस्ट बैन ट्रीटी

भारत-रूस-अमेरिका त्रिकोणीय समीकरण

भारत के लिए चुनौतियाँ

ऊर्जा सुरक्षा: अमेरिकी टैरिफ की धमकी और रूस से तेल आयात।

रणनीतिक संतुलन: अमेरिका और रूस दोनों से संबंध बनाए रखना।

क्षेत्रीय सुरक्षा: चीन-पाकिस्तान चुनौती के बीच परमाणु संतुलन।

भविष्य की संभावनाएँ

नई शस्त्र होड़: यूरोप और एशिया में मध्यम दूरी की मिसाइलों की संभावित तैनाती।

गठबंधन राजनीति: NATO व रूसी सुरक्षा गारंटी के बीच तनाव।

परमाणु अप्रसार जोखिम: गैर-परमाणु देशों में फैलाव की संभावना।

परीक्षा तैयारी के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?

रूस का INF संधि से बाहर होना UPSC और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए इसलिए अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि:

अंतरराष्ट्रीय संबंध (GS Paper 2): यह घटना शीत युद्ध के बाद के सैन्य नियंत्रण तंत्र के विघटन का प्रतीक है। परीक्षार्थियों को INF संधि का ऐतिहासिक महत्व, इसके प्रमुख प्रावधान एवं वर्तमान भू-राजनीतिक संदर्भ की गहरी समझ आवश्यक है।

सुरक्षा अध्ययन: इससे वैश्विक स्तर पर नई परमाणु हथियार होड़ की संभावना बढ़ी है, जो भारत की सुरक्षा गणना पर सीधा असर डालती है। Typhon मिसाइल सिस्टम, 9M729 मिसाइल विवाद, और इंडो-पैसिफिक की बदलती सुरक्षा स्थिति से जुड़े प्रश्न संभावित हैं।

समसामयिक घटनाएँ: यह घटना ट्रम्प प्रशासन की अमेरिकी विदेश नीति, रूस-यूक्रेन तनाव, और चीन-ताइवान मुद्दे से जुड़ती है। इन वैश्विक घटनाओं के आपसी संबंध को समझना जरूरी है।

भारतीय दृष्टिकोण: भारत की परमाणु नीति, NPT में स्थिति, और बदलते परमाणु वैश्विक व्यवस्था पर भारत की भूमिका, रूस से ऊर्जा साझेदारी और अमेरिकी दबाव यात्रा पर प्रश्न आ सकते हैं।