भारत की 44वीं यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल: एक ऐतिहासिक उपलब्धि
भारत के मराठा सैन्य परिदृश्य को पेरिस में आयोजित विश्व धरोहर समिति (WHC) की 47वीं बैठक में आधिकारिक तौर पर यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया। यह उपलब्धि भारत के लिए ऐतिहासिक है क्योंकि यह देश की 44वीं यूनेस्को विश्व धरोहर संपत्ति बन गई है।
यह निर्णय 11 जुलाई 2025 को लिया गया, जिसमें समिति के 20 सदस्यों में से 18 ने भारत के प्रस्ताव का समर्थन किया। इस उपलब्धि ने भारत की सांस्कृतिक विरासत को विश्व स्तर पर मान्यता दिलाई है और मराठा सैन्य वास्तुकला की असाधारण महत्व को उजागर किया है।
मराठा सैन्य परिदृश्यों को समझना
मराठा सैन्य परिदृश्य में 17वीं से 19वीं शताब्दी तक की अवधि के दौरान बने 12 महत्वपूर्ण किले शामिल हैं, जो मराठा साम्राज्य की सैन्य दृष्टि और वास्तुशिल्प प्रतिभा का परिचायक हैं। ये किले विविध भौगोलिक क्षेत्रों में स्थित हैं और एक प्रभावी रक्षा प्रणाली का हिस्सा रहे।
यूनेस्को सूची में शामिल 12 किले
महाराष्ट्र के 11 किले:
सल्हेर किला (1671) – नासिक जिले में पहाड़ी किला
शिवनेरी किला (1595) – पुणे जिले में पहाड़ी किला (शिवाजी का जन्मस्थान)
लोहगड किला (1648) – पुणे जिले में पहाड़ी किला
खंडेरी किला (1679) – रायगड जिले का द्वीप किला
रायगड किला (1674) – रायगड जिले का पहाड़ी किला (मराठा साम्राज्य का राजधानी)
राजगड किला (1647) – पुणे जिले में पहाड़ी किला
प्रतापगड किला (1656) – सतारा जिले में पहाड़ी वन किला
सुवर्णदुर्ग किला (1696) – रत्नागिरी जिले में द्वीप किला
पन्हाळा किला (1659) – कोल्हापुर जिले में पहाड़ी पठारी किला
विजयदुर्ग किला (1653) – सिंधुदुर्ग जिले का समुद्री किला
सिंधुदुर्ग किला (1664) – सिंधुदुर्ग जिले का द्वीप किला
तमिलनाडु का 1 किला:
जिंगी किला (1677) – विलुपुरम जिले में पहाड़ी किला
ये किले सह्याद्री पर्वतमाला, कोकण तट, दक्कन पठार और पूर्वी घाट जैसे विभिन्न भौगोलिक इलाकों में फैले हुए हैं, जो मराठा साम्राज्य की रणनीतिक सैन्य ताकत का परिचय देते हैं।
वास्तुकला और रणनीतिक महत्व
मराठा सैन्य परिदृश्यों को यूनेस्को की मापदंड (iv) और (vi) के अंतर्गत नामित किया गया है, जो उनकी असाधारण सांस्कृतिक परंपरा और ऐतिहासिक महत्व को दर्शाते हैं। इन किलों में विभिन्न प्रकार शामिल हैं:
पहाड़ी किले: सल्हेर, शिवनेरी, लोहगड, रायगड, राजगड, जिंगी
पहाड़ी वन क्षेत्र का किला: प्रतापगड
पहाड़ी पठारी किला: पन्हाळा
सामुद्रिक किला: विजयदुर्ग
द्वीप किले: खंडेरी, सुवर्णदुर्ग, सिंधुदुर्ग
इन किलों का विशिष्ट विश्व मान यह दर्शाता है कि कैसे मराठा साम्राज्य ने एक जटिल और एकीकृत सैन्य रक्षा प्रणाली विकसित की, जिसने भारतीय उपमहाद्वीप में उनकी हर क्षेत्रीय प्रभुसत्ता को सुरक्षित रखा।
छत्रपति शिवाजी महाराज: मराठा साम्राज्य के निर्माता
छत्रपति शिवाजी महाराज (1630-1680) भारतीय इतिहास के महान सैन्य रणनीतिकार थे। वे स्वयं एक पहाड़ी किले शिवनेरी में जन्मे थे, जो अब यूनेस्को सूची में शामिल है। उन्होंने 17वीं सदी में विभिन्न दक्कन राज्यों से स्वतंत्र मराठा राज्य की स्थापना की।
जीवन परिचय और राज्य निर्माण
शिवाजी का जन्म शहाजी भोंसले और जिजाबाई के घर हुआ और बचपन से ही उन्होंने मराठा क्षेत्र की पहाड़ियों की रणनीतिक अहमियत समझी। अपने 16वें वर्ष में उन्होंने टोरना किले पर कब्जा कर अपनी सैन्य जीवन की शुरुआत की।
गुरिल्ला युद्धकला की परख
शिवाजी की सेना की सीमाएं निम्न थीं:
कम संख्या में सैनिक और घोड़े
यूरोपीय हथियारों जैसे मस्कट और बारूद पर निर्भरता
खड़ी और घने जंगलों वाला तल
इसलिए, शिवाजी ने “गनिमी कव” नामक गुरिल्ला युद्धकला अपनाई जिसमें:
छोटे, तेज और सशस्त्र समूह दुश्मन पर अचानक हमला करते और शीघ्र पीछे हटते
पहाड़ी इलाके का लाभ लेकर छिपकर हमला करते
दुश्मन के रसद मार्गों पर वार करते
पहाड़ी किलों का रणनीतिक महत्व
मराठा क्षेत्रों की भौगोलिक स्थिति ने शिवाजी की सैन्य रणनीति को अलग बनाया था। पश्चिम में अरब सागर, बीच में कोकण मैदानी क्षेत्र और उत्तर-पश्चिम में पश्चिमी घाट की पहाड़ियां थीं जो प्राकृतिक बचाव प्रदान करती थीं।
पहाड़ी किलों के लाभ
मजबूत रक्षा और घातक मार्गों से दुश्मन को रोकना
दृश्यता के बेहतर स्थान जिससे हमले का पूर्वानुमान संभव
जलाशय, गोदाम और हथियार रखने का प्रबंध
मनोवैज्ञानिक बढ़त क्योंकि ये किले अजेय नज़र आते थे
शिवाजी के प्रसिद्ध किले:
टोरना (1646) — पहला किला जो 16 वर्ष की उम्र में लिया
राजगड (1647) — 26 साल तक राजधानी बनी
प्रतापगड (1656) — अफजल खान पर विजय का स्थल
सिण्हगड (1670) — तानाजी मालुसरे के नेतृत्व में रात के हमला से पुनः प्राप्त
प्रमुख युद्ध और सैन्य अभियान
युद्ध | वर्ष | महत्व |
---|---|---|
प्रतापगढ़ युद्ध | 1659 | अफजल खान (बिजापुर सुल्तान) पर शिवाजी की जीत |
सूरत का अभियान | 1664 | मोगल सागर बंदरगाह पर सफल छापा |
पुरंदर का युद्ध | 1665 | मोगल सेना से बोलबाला, पुरंदर संधि हुई |
सिण्हगड युद्ध | 1670 | रात के हमले से किले की वापसी |
सल्हेर का युद्ध | 1672 | मोगलों पर पहली बड़ी जीत |
संगमनेर का युद्ध | 1679 | शिवाजी का अंतिम युद्ध |
आगरा से शिवाजी का भागना (1666)
शिवाजी को औरंगजेब ने आगरा की अदालत में न्यौता दिया और बाद में नजरबंद किया। शिवाजी ने दैनिक भिक्षा वितरण की आड़ में बड़े टिकाऊ टोकरे बनवाए। जब मुगल प्रहरी टोकरों की जांच में ढील देने लगे, शिवाजी और उनके पुत्र संभाजी टोकरों में छिपकर आगरा से फरार हो गए।
शिवाजी का राज्याभिषेक और प्रशासनिक सुधार
राज्याभिषेक (1674)
6 जून 1674 को रायगड किले में शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक हुआ, जो मराठा राज्य की आधिकारिक स्थापना थी। यह हिन्दवी स्वराज्य का प्रतीक बना और मुगल साम्राज्य के सामने चुनौती प्रस्तुत की।
प्रशासनिक सुधार
राजस्व प्रणाली: जमींदारी प्रणाली खत्म कर सीधे किसानों से कर लेना;
फौजी सुधार: पेशेवर सैन्य और नकद वेतन प्रणाली;
स्थानीय शासन: पंचायत आधारित प्रशासन को बढ़ावा।
एंग्लो-मराठा युद्ध: पतन की शुरुआत
पहला एंग्लो-मराठा युद्ध (1775-1782)
कारण: पेशवा उत्तराधिकार विवाद
परिणाम: सालबाई संधि (1782) से शांति
दूसरा एंग्लो-मराठा युद्ध (1803-1805)
कारण: अंग्रेजों से सहमति और इलाकों पर कब्जे की समस्या
परिणाम: बसीन और दियागांव संधि से अंग्रेजों को क्षेत्रीय नियंत्रण मिला
तीसरा एंग्लो-मराठा युद्ध (1817-1819)
कारण: मराठा पुनः संगठित होकर अंग्रेजों से युद्ध
परिणाम: पूना, ग्वालियर, मांडसौर संधि के बाद मराठा साम्राज्य का अंत
यूनेस्को मान्यता और सांस्कृतिक महत्व
मराठा सैन्य परिदृश्य को यूनेस्को की मान्यता मिलना भारतीय सैन्य नवाचार, सांस्कृतिक निरंतरता और हिन्दू स्वराज्य के संरक्षण का परिचायक है। ये स्मारक न केवल वास्तुकला के उत्कृष्ट उदाहरण हैं, बल्कि भारतीय इतिहास के महत्वपूर्ण चरणों के जनक भी हैं।
संरक्षण और सुरक्षा
आयुक्तीय भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के अंतर्गत 8 किले
महाराष्ट्र सरकार के निदेशालय कला एवं संग्रहालयें के तहत 4 किले संरक्षित
इस संरक्षण व्यवस्था से किलों की दीर्घकालीन सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
यह आपके परीक्षा की तैयारी के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
UPSC प्रीलिम्स के लिए:
ऐतिहासिक स्मारक: भारत के 44 यूनेस्को स्थल
मराठा साम्राज्य: शिवाजी की सैन्य रणनीति और प्रशासन
भूगोल: पश्चिमी घाट और कोकण तट की रणनीतिक भूमिका
गुरिल्ला युद्धकला: गनिमी कव के तत्व
UPSC मेंस के लिए:
इतिहास और संस्कृति: मराठा प्रशासन, सैन्य नवाचार
राजनीति और शासन: छत्रपति शिवाजी का शासन
अंतरराष्ट्रीय संबंध: यूनेस्को संरक्षण और भारत की सांस्कृतिक कूटनीति
आर्थिक विकास: धरोहर पर्यटन और संरक्षण
राज्य PCS और अन्य परीक्षाओं के लिए:
क्षेत्रीय इतिहास और संस्कृति
सांस्कृतिक संरक्षण नीतियां
पर्यटन संभावनाएं
महत्वपूर्ण बिंदु याद रखें:
भारत की 44वीं यूनेस्को विश्व धरोहर - मराठा सैन्य परिदृश्य (2025)
महाराष्ट्र और तमिलनाडु के 12 किले
शिवाजी की गुरिल्ला युद्धकला और सफल सैन्य रणनीतियाँ
किलों के प्रकार: पहाड़ी, द्वीप, समुद्री, पठारी
शासकीय सुधार: रयतवारी और पेशेवर सेना
तीन एंग्लो-मराठा युद्ध और परिणाम
हिन्दू स्वराज्य की सांस्कृतिक धरोहर और राष्ट्रवाद
यह विषय आपकी इतिहास, संस्कृति, भूगोल, और समसामयिकी ज्ञान को जोड़ते हुए UPSC तथा अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में उत्कृष्टता पाने में सहायक होगा।
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