पीएम मोदी को साइप्रस का सर्वोच्च सम्मान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया साइप्रस यात्रा (15-16 जून, 2025) एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक उपलब्धि रही। साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडुलाइड्स ने पीएम मोदी को साइप्रस का सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'ग्रैंड क्रॉस ऑफ द ऑर्डर ऑफ मकारियोस III' प्रदान किया। यह सम्मान अंतरराष्ट्रीय संबंधों में असाधारण सेवा के लिए दिया जाता है।
सम्मान प्राप्त करते हुए पीएम मोदी ने कहा, "मैं यह सम्मान भारत और साइप्रस के मैत्रीपूर्ण संबंधों, हमारी साझा मूल्यों और आपसी समझ को समर्पित करता हूं।" उन्होंने शांति, सुरक्षा, संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और समृद्धि के लिए भारत की प्रतिबद्धता दोहराई।
'साइप्रस प्रश्न' पर भारत की रणनीतिक स्थिति
यह यात्रा 'साइप्रस प्रश्न'—1974 से विभाजित द्वीप के क्षेत्रीय विवाद—को लेकर भी महत्वपूर्ण रही। संयुक्त बयान में भारत ने "साइप्रस गणराज्य की स्वतंत्रता, संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और एकता के लिए अपना अडिग और निरंतर समर्थन" दोहराया।
भारत की मुख्य बातें:
द्वि-क्षेत्रीय, द्वि-समुदायीय संघ के आधार पर, राजनीतिक समानता के साथ, 'साइप्रस प्रश्न' के व्यापक और स्थायी समाधान के लिए समर्थन
संयुक्त राष्ट्र ढांचे और सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के अनुसार समाधान की आवश्यकता
एकतरफा कार्रवाइयों का विरोध, जो सार्थक वार्ता में बाधा डाल सकती हैं
1974 से साइप्रस दो हिस्सों में बंटा है—अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त 'रिपब्लिक ऑफ साइप्रस' और तुर्की समर्थित 'नॉर्दर्न साइप्रस'। तुर्की ही एकमात्र देश है जो 'नॉर्दर्न साइप्रस' को मान्यता देता है, जबकि भारत सहित बाकी दुनिया 'रिपब्लिक ऑफ साइप्रस' को ही संप्रभु मानती है।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहली विदेश यात्रा: रणनीतिक संदेश
पीएम मोदी की यह यात्रा 'ऑपरेशन सिंदूर' (मई 2025) के बाद उनकी पहली विदेशी यात्रा है। यह यात्रा तुर्की को अप्रत्यक्ष संदेश भी देती है, जो पाकिस्तान का करीबी सहयोगी माना जाता है।
ऑपरेशन सिंदूर 6 मई 2025 को भारत द्वारा पाकिस्तान और पाकिस्तान-प्रशासित कश्मीर में आतंकवादी ठिकानों पर की गई सैन्य कार्रवाई थी। यह कार्रवाई 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम, कश्मीर में हुए आतंकी हमले के जवाब में की गई थी, जिसमें 26 हिंदू तीर्थयात्रियों की मौत हो गई थी। साइप्रस ने इस आतंकी हमले की निंदा की थी।
द्विपक्षीय सहयोग: पांच वर्षीय कार्ययोजना
यात्रा के दौरान भारत और साइप्रस के बीच कई महत्वपूर्ण समझौते हुए:
2025-2029 के लिए पांच वर्षीय कार्ययोजना, जिसकी निगरानी दोनों देशों के विदेश मंत्रालय करेंगे
रक्षा और सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा, रक्षा उद्योग पर विशेष ध्यान
साइबर और समुद्री सुरक्षा पर अलग-अलग संवाद की शुरुआत
व्यापार, निवेश, विज्ञान, नवाचार और अनुसंधान में सहयोग बढ़ाने की प्रतिबद्धता
पीएम मोदी ने साइप्रस की 'विजन 2035' और भारत के 'विकसित भारत 2047' के बीच समानता पर भी जोर दिया।
2026 में ईयू काउंसिल प्रेसिडेंसी: भारत के लिए अवसर
साइप्रस 2026 की पहली छमाही में यूरोपीय संघ (EU) काउंसिल की अध्यक्षता करेगा। यह भारत के लिए यूरोपीय संघ के साथ संबंध मजबूत करने का रणनीतिक अवसर है।
साइप्रस के राष्ट्रपति ने कहा कि भारत के साथ संबंध मजबूत करना उनकी EU अध्यक्षता की प्राथमिकता होगी। पीएम मोदी ने भी घोषणा की कि भारत 2025 के अंत तक यूरोपीय संघ के साथ मुक्त व्यापार समझौता (FTA) करना चाहता है। साइप्रस ने भारतीय वस्तुओं के लिए यूरोप में प्रवेश द्वार बनने की पेशकश की है।
अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आपसी समर्थन
यात्रा के दौरान भारत और साइप्रस ने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर एक-दूसरे के समर्थन को रेखांकित किया:
साइप्रस, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन करता है
साइप्रस, कश्मीर मुद्दे पर भारत का समर्थन करता है और पाकिस्तान से सीमा पार आतंकवाद का विरोध करता है
साइप्रस, परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह और अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी में भारत का समर्थन करता है
भारत, साइप्रस विवाद के समाधान के लिए UNSC प्रस्तावों और अंतरराष्ट्रीय कानून का समर्थन करता है
वैश्विक संघर्ष: संवाद और कूटनीति पर साझा दृष्टिकोण
दोनों देशों के नेताओं ने यूरोप और पश्चिम एशिया में चल रहे संघर्षों पर चिंता जताई। पीएम मोदी ने इज़राइल-ईरान और रूस-यूक्रेन संघर्षों को संवाद और कूटनीति के माध्यम से समाप्त करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा, "यह युद्ध का युग नहीं है। मानवता स्थिरता और संवाद की मांग कर रही है।"
आपके परीक्षा की तैयारी के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
पीएम मोदी की साइप्रस यात्रा UPSC और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए कई कारणों से महत्वपूर्ण है:
अंतरराष्ट्रीय संबंधों का दृष्टिकोण: यह यात्रा भारत के द्विपक्षीय संबंधों और रणनीतिक साझेदारी को समझने के लिए आदर्श उदाहरण है।
'साइप्रस प्रश्न' अध्ययन: क्षेत्रीय विवादों, आत्मनिर्णय और संयुक्त राष्ट्र की भूमिका को समझने के लिए 'साइप्रस प्रश्न' एक बेहतरीन केस स्टडी है।
क्षेत्रीय अखंडता पर भारत का रुख: भारत का साइप्रस के प्रति रुख उसकी अपनी क्षेत्रीय अखंडता की नीति को भी दर्शाता है।
यूरोपीय संघ के साथ रणनीतिक संबंध: साइप्रस की EU अध्यक्षता से पहले यात्रा, भारत की विदेश नीति में दूरदर्शिता को दर्शाती है।
ऑपरेशन सिंदूर का संदर्भ: यात्रा का समय भारत की कूटनीतिक रणनीति और पाकिस्तान समर्थक देशों को संदेश देने के लिए महत्वपूर्ण है।
बहुपक्षीय कूटनीति: अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आपसी समर्थन, भारत की वैश्विक कूटनीति को मजबूत करता है।
इस यात्रा के माध्यम से भारत की विदेश नीति के कई आयाम—द्विपक्षीय संबंध, रणनीतिक साझेदारी, वैश्विक शासन और संघर्ष समाधान—को समझा जा सकता है, जो UPSC परीक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
आंतरिक लिंक:
भारत-यूरोपीय संघ संबंध: UPSC के लिए विस्तृत विश्लेषण
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सुधार: भारत की भूमिका
बाहरी संदर्भ:
Ministry of External Affairs, India – Press Release
UN Cyprus Issue Overview