भारत का रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) अत्याधुनिक पिनाका एमके-III मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर सिस्टम के परीक्षण शुरू करने जा रहा है, जो देश की स्वदेशी तोपखाने क्षमताओं में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यह विकास भारत के रक्षा आधुनिकीकरण प्रयासों में एक अहम कदम है और यूपीएससी व अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
पिनाका एमके-III रॉकेट लॉन्चर सिस्टम क्या है?
पिनाका एमके-III एक उन्नत गाइडेड मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर (MBRL) सिस्टम है, जिसे डीआरडीओ के आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टैब्लिशमेंट (ARDE) और अन्य प्रमुख प्रयोगशालाओं के सहयोग से विकसित किया गया है। यह अत्याधुनिक प्रणाली भारत के स्वदेशी पिनाका रॉकेट परिवार का सबसे परिष्कृत संस्करण है, जिसे अधिक रेंज और मारक क्षमता के साथ सटीक हमलों के लिए डिज़ाइन किया गया है।
मुख्य तकनीकी विशेषताएँ
रेंज और फायरपावर:
अधिकतम रेंज: 120 किलोमीटर (वर्तमान संस्करण)
वारहेड क्षमता: 250 किलोग्राम पेलोड
कैलिबर: 300 मिमी (पिछले 214 मिमी वेरिएंट्स से उन्नत)
सटीकता: सर्कुलर एरर प्रॉबेबल (CEP) 10 मीटर से कम
ऑपरेशनल क्षमताएँ:
44 सेकंड में 12 रॉकेट्स की सल्वो फायरिंग
700×500 मीटर के क्षेत्र को निष्क्रिय करने में सक्षम
मौजूदा पिनाका लॉन्चर सिस्टम्स के साथ संगत
हर मौसम में संचालन योग्य
दक्षिण एशियाई संदर्भ में रणनीतिक महत्व
क्षेत्रीय खतरों के प्रति प्रतिक्रिया
पिनाका एमके-III का विकास दक्षिण एशिया में बदलते सुरक्षा परिदृश्य के लिए एक सीधा रणनीतिक जवाब है। यह प्रणाली विशेष रूप से निम्नलिखित के मुकाबले के लिए विकसित की गई है:
चीन के PHL-03 लॉन्चर: LAC के पास 70-130 किमी रेंज के साथ तैनात
पाकिस्तान के A-100 सिस्टम: 120 किमी की ऑपरेशनल रेंज
बेहतर प्रतिरोधक क्षमता
पिनाका एमके-III भारत की प्रतिरोधक स्थिति को निम्नलिखित द्वारा मजबूत करता है:
विरोधी प्रणालियों से अधिक दूरी तक स्ट्राइक करने की क्षमता
महत्वपूर्ण ढाँचों और उच्च-मूल्य वाले लक्ष्यों पर सटीक हमला
लद्दाख और कारगिल जैसे पर्वतीय क्षेत्रों में त्वरित तैनाती
उन्नत तकनीक का एकीकरण
गाइडेंस और नेविगेशन सिस्टम
यह रॉकेट सिस्टम डीआरडीओ की रिसर्च सेंटर इमарат (RCI) द्वारा विकसित उन्नत तकनीकों से लैस है:
मुख्य तकनीकें:
गाइडेंस, नेविगेशन और कंट्रोल (GNC) किट
साजेम (साफ्रान इलेक्ट्रॉनिक्स एंड डिफेंस) का लेज़र-गायरो नेविगेशन सिस्टम
बेहतर सटीकता के लिए रैपअराउंड माइक्रोस्ट्रिप एंटीना
सटीक हमलों के लिए जीपीएस-आधारित गाइडेंस
पिछले वेरिएंट्स से तुलना
वेरिएंट | रेंज | मुख्य विशेषताएँ |
---|---|---|
पिनाका एमके-I | 40 किमी | बेसिक अनगाइडेड सिस्टम, 500 मीटर CEP |
पिनाका एमके-I एन्हांस्ड | 60 किमी | बेहतर रेंज और सटीकता |
पिनाका एमके-II | 60-90 किमी | विस्तारित ऑपरेशनल क्षमता |
गाइडेड पिनाका | 75-90 किमी | जीपीएस गाइडेंस, <10 मीटर CEP |
पिनाका एमके-III | 120 किमी | उन्नत गाइडेंस, 250 किग्रा वारहेड |
विकास समयरेखा और परीक्षण
वर्तमान स्थिति
पिनाका एमके-III विकास के उन्नत चरण में पहुँच चुका है और इसके प्री-प्रोडक्शन यूनिट्स पहले ही सोलर इंडस्ट्रीज इंडिया लिमिटेड की सहायक कंपनी इकॉनॉमिक एक्सप्लोसिव्स लिमिटेड (EEL) द्वारा तैयार किए जा चुके हैं। इस सिस्टम को 2025 की शुरुआत में हैदराबाद में एक रक्षा प्रदर्शनी में प्रदर्शित किया गया था।
आगामी परीक्षण प्रक्रिया
संयुक्त विकासात्मक और उपयोगकर्ता परीक्षण:
प्रत्येक निर्माण एजेंसी से 12 रॉकेट्स का परीक्षण होगा
विभिन्न फील्ड फायरिंग रेंजों में परीक्षण
रेंज, सटीकता, स्थिरता और फायरिंग दर का मूल्यांकन
मौजूदा कमांड-एंड-कंट्रोल सिस्टम्स के साथ एकीकरण का आकलन
स्वदेशी निर्माण साझेदारी
सोलर इंडस्ट्रीज इंडिया लिमिटेड ने पिनाका रॉकेट सिस्टम्स के लिए रक्षा मंत्रालय से ₹6,084 करोड़ का अनुबंध प्राप्त किया है, जो भारत के "आत्मनिर्भर भारत" अभियान को मजबूत करता है। यह साझेदारी रक्षा निर्माण में डीआरडीओ और निजी क्षेत्र के बीच सफल सहयोग का उदाहरण है।
भविष्य की विकास योजनाएँ
विस्तारित रेंज वेरिएंट्स
रिपोर्ट्स के अनुसार, डीआरडीओ भविष्य में और भी अधिक क्षमताओं वाले वेरिएंट्स विकसित कर रहा है:
200-300 किमी रेंज वेरिएंट्स विकासाधीन
संभावित रूप से शॉर्ट-रेंज बैलिस्टिक मिसाइल के रूप में वर्गीकृत
चीन के PHL-16 जैसे सिस्टम्स का मुकाबला करने की बेहतर क्षमता
संचालन में एकीकरण
सिस्टम की मौजूदा पिनाका लॉन्चर्स से संगतता सुनिश्चित करती है:
न्यूनतम इन्फ्रास्ट्रक्चर लागत
भारतीय सेना की तोपखाना रेजिमेंट्स में सहज एकीकरण
विविध भौगोलिक क्षेत्रों में त्वरित तैनाती
आपकी परीक्षा तैयारी के लिए क्यों महत्वपूर्ण है
यूपीएससी प्रासंगिकता
प्रारंभिक परीक्षा के लिए:
रक्षा प्रौद्योगिकी: स्वदेशी रक्षा प्रणालियों और उनकी क्षमताओं पर प्रश्न
रणनीतिक मामले: क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों के प्रति भारत की प्रतिक्रिया की समझ
विज्ञान और प्रौद्योगिकी: उन्नत गाइडेंस सिस्टम और रॉकेट तकनीक
मुख्य परीक्षा के लिए:
आंतरिक सुरक्षा: सीमा प्रबंधन में उन्नत तोपखाने की भूमिका
अंतरराष्ट्रीय संबंध: भारत-चीन और भारत-पाकिस्तान सामरिक संतुलन पर प्रभाव
सरकारी नीतियाँ: रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत पहल
मुख्य बिंदु याद रखें
प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए:
पिनाका एमके-III भारत का सबसे उन्नत स्वदेशी रॉकेट लॉन्चर है
120 किमी रेंज, भविष्य में 300 किमी वेरिएंट्स की योजना
चीनी PHL-03 और पाकिस्तानी A-100 सिस्टम्स के जवाब में विकसित
डीआरडीओ-सोलर इंडस्ट्रीज साझेदारी के तहत निर्माण
लद्दाख और कारगिल जैसे ऑपरेशनल क्षेत्रों में विशेष महत्व
रक्षा करंट अफेयर्स संदर्भ:
भारत के व्यापक रक्षा आधुनिकीकरण कार्यक्रम का हिस्सा
स्वदेशी रक्षा निर्माण की सफलता का उदाहरण
क्षेत्रीय प्रतिरोधक संतुलन बनाए रखने में रणनीतिक महत्व
यह विकास भारत की स्वदेशी रक्षा तकनीक में बढ़ती क्षमताओं को दर्शाता है और महत्वपूर्ण रक्षा प्रणालियों में देश की रणनीतिक स्वायत्तता की दिशा में एक बड़ा कदम है। यूपीएससी अभ्यर्थियों के लिए, ऐसी तकनीकी प्रगति और उनके रणनीतिक प्रभावों को समझना प्रारंभिक और मुख्य दोनों परीक्षाओं के लिए अत्यंत आवश्यक है।