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भारत की अनोखी AI गवर्नेंस रणनीति, वैश्विक तुलना और नीतिगत कमियों को समझें। UPSC, SSC और बैंकिंग परीक्षाओं के लिए अनिवार्य करंट अफेयर्स (मार्च 2025)।

भारत की AI रेगुलेशन यात्रा: प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए एक आलोचनात्मक विश्लेषण

जैसे-जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) अर्थव्यवस्थाओं और समाज को बदल रहा है, भारत की नियामक नीति अपने लचीलेपन और उद्देश्यपूर्ण दृष्टिकोण के लिए विशिष्ट मानी जा रही है। यूरोपीय संघ, चीन या अमेरिका के विपरीत, भारत ने अभी तक कोई औपचारिक AI कानून पारित नहीं किया है। इसके बजाय, यह "IndiaAI मिशन" और "डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन (DPDP) एक्ट, 2023" पर आधारित है। आइए इस नीति की रूपरेखा, वैश्विक तुलना और प्रमुख चुनौतियों को विस्तार से समझते हैं।

वैश्विक AI रेगुलेशन परिदृश्य

दुनिया के 85 से अधिक देशों ने राष्ट्रीय AI रणनीति प्रकाशित की है, लेकिन केवल कुछ ही (जैसे EU और चीन) बाध्यकारी कानून लागू करते हैं।

मुख्य मॉडल:

EU का रिस्क-बेस्ड AI अधिनियम:
खतरनाक AI (जैसे सोशल स्कोरिंग) पर प्रतिबंध और हाई-रिस्क सिस्टम में पारदर्शिता की अनिवार्यता।

चीन के क्षेत्रीय कानून:
जनरेटिव AI और डीप सिंथेसिस टेक्नोलॉजी पर केंद्रित विशेष कानून।

अमेरिका का विकेन्द्रीकृत दृष्टिकोण:
क्षेत्र-विशेष दिशा-निर्देश, सीमित संघीय नियंत्रण के साथ।

भारत का दृष्टिकोण:
भारत के पास कोई औपचारिक AI कानून या नीति दस्तावेज नहीं है। इसके बजाय यह दो प्रमुख स्तंभों पर निर्भर करता है:

IndiaAI Mission (2023 लॉन्च)

DPDP Act, 2023

भारत की रणनीति: लचीलापन बनाम कमियाँ

1. मिशन-आधारित दृष्टिकोण

IndiaAI मिशन के सात स्तंभ निम्नलिखित हैं:

फाउंडेशनल AI मॉडल्स

AI स्किल डेवलपमेंट

स्टार्टअप फंडिंग

एथिकल AI फ्रेमवर्क
इस दृष्टिकोण में चीन जैसी कठोरता नहीं है, जिससे नवाचार की संभावना बनी रहती है, लेकिन जवाबदेही का अभाव है।

2. नीति आयोग की 2018 की रणनीति

हालांकि इसे कभी आधिकारिक रूप से लागू नहीं किया गया, इसने सुझाव दिया:

क्षेत्र-विशेष AI अपनाना (जैसे स्वास्थ्य और कृषि में)

नैतिक दिशा-निर्देश, भेदभाव रोकने के लिए

शैक्षणिक संस्थानों और उद्योग के बीच सहयोग

3. DPDP अधिनियम, 2023

यह क्रॉस-सेक्टरल डाटा कानून EU के GDPR से प्रेरित है।
प्रमुख प्रावधान:

सहमति-आधारित व्यक्तिगत डाटा प्रोसेसिंग

उल्लंघन पर ₹250 करोड़ तक का जुर्माना

सार्वजनिक रूप से उपलब्ध डाटा को छूट (AI ट्रेनिंग के लिए महत्त्वपूर्ण)

मुख्य कमी: एल्गोरिदमिक भेदभाव या डीपफेक्स के लिए कोई विशेष सुरक्षा नहीं।

भारत में AI गवर्नेंस की चुनौतियाँ

स्वैच्छिक दिशा-निर्देश: अधिकांश AI एथिक्स गाइडलाइन्स बाध्यकारी नहीं हैं।

जनजागरूकता की कमी: बैंकिंग, हेल्थकेयर और शिक्षा में AI जोखिम पर सीमित चर्चा।

सामाजिक हानि: 2024 चुनावों के दौरान AI-जनित डीपफेक्स के कारण हिंसा।

उत्तरदायित्व का अभाव: सरकारी या निजी AI सिस्टम में गलती होने पर कोई स्पष्ट उत्तरदायित्व नहीं।

वैश्विक मॉडल से सीख

भारत को हाइब्रिड रेगुलेटरी फ्रेमवर्क अपनाने की आवश्यकता है:

मॉडलफायदेनुकसान
EU शैली GDPRमजबूत गोपनीयता सुरक्षानवाचार में बाधा
चीन के क्षेत्रीय कानूनहाई-रिस्क AI उपयोग पर फोकसकेंद्रीकरण से नवाचार में रुकावट
अमेरिकी मॉडलनवाचार को बढ़ावाअनुपालन में खंडितपन

तात्कालिक समाधान: एक राष्ट्रीय AI नीति तैयार करना जिसमें विज़न, इंफ्रास्ट्रक्चर योजनाएं और नैतिक मानक शामिल हों।

प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए प्रमुख बिंदु

भारत के पास कोई AI कानून नहीं है, केवल IndiaAI Mission और DPDP Act हैं।

DPDP Act, 2023 सार्वजनिक डाटा के उपयोग की अनुमति देता है लेकिन AI बायस से निपटने के लिए कोई स्पष्ट उपाय नहीं है।

वैश्विक मॉडल दर्शाते हैं कि नवाचार और जवाबदेही के बीच संतुलन आवश्यक है।

जोखिम: डीपफेक्स, नौकरियों का विस्थापन (2025 तक 75 मिलियन नौकरियाँ खतरे में), एल्गोरिदमिक भेदभाव।

नीतिगत सुझाव: जनजागरूकता अभियान, AI टूल्स की परीक्षण नीति, और क्षेत्र-विशेष ऑडिट।

यह विषय परीक्षाओं के लिए क्यों ज़रूरी है?

AI रेगुलेशन सीधे गवर्नेंस, एथिक्स, और अर्थव्यवस्था जैसे UPSC, SSC और बैंकिंग परीक्षाओं के मुख्य विषयों से जुड़ा है।

पूछे जा सकने वाले प्रश्न:

DPDP Act का AI विकास में क्या योगदान है?

IndiaAI मिशन के सात स्तंभ क्या हैं?

भारत की नीति की तुलना EU के AI Act या चीन के कानूनों से कैसे करें?

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