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परिचय भारत में ब्लू-कॉलर श्रमिकों का प्रवास दशकों से आर्थिक और सामाजिक परिवर्तनों का महत्वपूर्ण कारक रहा है। हाल के वर्षों में, उत्तरी और पूर्वी राज्यों से ग्लोबल माइग्रेशन जारी है, जबकि दक्षिणी राज्यों से प्रवास में गिरावट देखी गई है। इसके साथ ही, विदेशी प्रेषण (Remittances) के स्रोतों में भी बदलाव आया है, जिससे भारत के विभिन्न राज्यों की आर्थिक स्थिति प्रभावित हो रही है।

ग्लोबल माइग्रेशन और प्रेषण में प्रमुख बदलाव

1. खाड़ी देशों से घटता प्रेषण

यूएई से भारत आने वाला प्रेषण 2016-17 में 26.9% था, जो 2023-24 में घटकर 19.2% रह गया।

सऊदी अरब का योगदान 11.6% से घटकर 6.7% और कुवैत का 6.5% से घटकर 3.9% हो गया।

इसके विपरीत, अमेरिका (22.9% से 27.7%), यूके (3.4% से 10.8%), सिंगापुर (5.5% से 6.6%), और कनाडा (3% से 3.8%) से प्रेषण में वृद्धि हुई।

2. राज्य-वार प्रेषण में बदलाव

महाराष्ट्र की प्रेषण में हिस्सेदारी 16.7% से बढ़कर 20.5% हो गई।

केरल (19% से 19.7%) और तमिलनाडु (8% से 10.4%) में भी वृद्धि देखी गई।

उत्तर प्रदेश (3.1% से 3%), पश्चिम बंगाल, राजस्थान और बिहार का योगदान लगातार 1-3% के बीच रहा।

3. दक्षिणी राज्यों से कम होता प्रवास

इमीग्रेशन क्लीयरेंस (ECs) डेटा के अनुसार:

केरल से प्रवास 2014-16 में 82,000 से घटकर 60,000 (2021-24) हुआ।

तमिलनाडु से प्रवास 1.3 लाख से 78,000, तेलंगाना से 69,000 से 35,000 और आंध्र प्रदेश से 87,000 से 55,000 हुआ।

पंजाब में यह आंकड़ा 94,000 से घटकर 39,000 हो गया।

4. उत्तर और पूर्वी राज्यों से बढ़ता प्रवास

उत्तर प्रदेश से 2021-24 में 4 लाख से अधिक श्रमिक विदेश गए।

बिहार से यह संख्या 2 लाख से अधिक बनी रही।

पश्चिम बंगाल और राजस्थान में प्रवास में गिरावट आई, लेकिन यह दक्षिणी राज्यों की तुलना में कम रही।

 

गहराते सवाल: प्रवास और आर्थिक प्रभाव

क्या दक्षिणी राज्यों के प्रवासी अब खाड़ी देशों के बजाय पश्चिमी देशों में जा रहे हैं?

क्या बिहार और उत्तर प्रदेश के श्रमिक अभी भी कम मजदूरी पर भी खाड़ी देशों में जाने के लिए मजबूर हैं?

क्या यह बदलाव राज्यों के आर्थिक विकास और रोजगार के अवसरों पर असर डाल रहा है?

 

समाधान और सुझाव

अंतरराष्ट्रीय अवसरों का विस्तार: दक्षिणी राज्यों को चाहिए कि वे अमेरिका, यूके, कनाडा और यूरोप में अधिक अवसर तलाशें।

कौशल विकास (Skill Development): उत्तर और पूर्वी राज्यों को बेहतर प्रशिक्षण और तकनीकी शिक्षा पर ध्यान देना चाहिए ताकि श्रमिकों को उच्च वेतन वाले देशों में अवसर मिल सकें।

सरकार की नीतियां:

विदेश मंत्रालय और श्रम मंत्रालय को खाड़ी देशों में भारतीय श्रमिकों की मजदूरी सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए।

ई-माइग्रेट पोर्टल को और मजबूत बनाकर प्रवासी श्रमिकों को उचित मार्गदर्शन देना चाहिए।

 

निष्कर्ष

भारत में ब्लू-कॉलर माइग्रेशन का पैटर्न बदल रहा है। दक्षिणी राज्यों के प्रवासी अब खाड़ी देशों की तुलना में पश्चिमी देशों की ओर जा रहे हैं, जबकि बिहार और उत्तर प्रदेश के श्रमिक अभी भी कम मजदूरी पर खाड़ी देशों में जा रहे हैं

सरकार को रोजगार अवसरों में संतुलन लाने और प्रवासी श्रमिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नीतिगत सुधारों की आवश्यकता है।

 

"भारत से प्रवासी श्रमिकों के माइग्रेशन पैटर्न में बदलाव: दक्षिणी राज्यों से कम होता खाड़ी देशों का प्रवास और उत्तरी राज्यों का बढ़ता योगदान। जानिए विस्तार से।"

बाहरी लिंकिंग

भारतीय रिजर्व बैंक - आधिकारिक रिपोर्ट

ई-माइग्रेट पोर्टल

By Team Atharva Examwise #atharvaexamwise