हेली गुब्बी ज्वालामुखी का विस्फोट: एक प्रमुख भूवैज्ञानिक घटना
इथियोपिया के अफार क्षेत्र में स्थित हेली गुब्बी ज्वालामुखी, जो अदीस अबाबा से लगभग 800 किमी उत्तर-पूर्व में है, 23 नवंबर 2025 को फट गया — और यह लगभग 12,000 वर्षों में पहली दर्ज की गई गतिविधि है। इस विशाल विस्फोट से लगभग 15–16 किमी (45,000 फीट) ऊँचा राख का बादल उठा, जो दो अलग-अलग दिशाओं में विभाजित हो गया—एक उत्तर-पूर्व की ओर और दूसरा उत्तर-पश्चिम की ओर। यह राख का बादल लाल सागर, यमन, ओमान होते हुए पश्चिमी भारत तक पहुँच गया, जिससे कई देशों में विमानन गतिविधियों में भारी व्यवधान उत्पन्न हुआ।
इथियोपियाई ज्वालामुखी 12,000 साल बाद फटा: क्या जानते हैं हम
यह विस्फोट 11:30 AM स्थानीय समय (08:30 GMT) पर हुआ और इसे सब-प्लिनियन (sub-Plinian) श्रेणी में रखा गया—जिसकी विशेषता है तेज़ी से ऊपर उठता राख स्तंभ और व्यापक फैलाव। पड़ोसी गाँव अफडे़रा के निवासियों पर भारी मात्रा में राख गिरी, लेकिन कोई चोट या मृत्यु की खबर नहीं है।
ईस्ट अफ्रीकन रिफ्ट सिस्टम को समझना
हेली गुब्बी, अफार डिप्रेशन में स्थित है—जो पृथ्वी के सबसे अधिक सक्रिय रिफ्ट क्षेत्रों में से एक है। यह क्षेत्र व्यापक ईस्ट अफ्रीकन रिफ्ट सिस्टम (EARS) का हिस्सा है, जहाँ तीन प्रमुख टेक्टोनिक प्लेटें अलग हो रही हैं:
अरबियन प्लेट
न्युबियन (अफ्रीकी) प्लेट
सोमाली प्लेट
अफार क्षेत्र की प्रमुख भूवैज्ञानिक विशेषताएँ
अफार ट्रिपल जंक्शन महाद्वीपीय रिफ्टिंग का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जो समुद्र तल के फैलाव की ओर ले जाता है। यह भूवैज्ञानिक व्यवस्था ज्वालामुखीय गतिविधि के लिए आदर्श स्थितियाँ बनाती है, जिनमें शामिल हैं:
प्लेटों के अलग होने से भू-पर्पटी का पतला होना
अफार मेंटल प्लूम से गर्मी और मैग्मा की आपूर्ति
फिशर (दरार) विस्फोटों से बड़े पैमाने पर बेसाल्टिक लावा का बहाव
रिफ्टिंग प्रक्रिया से जुड़ी बार-बार आने वाली भूकंपीय गतिविधियाँ
हेली गुब्बी एक शील्ड ज्वालामुखी है, जिसकी संरचना चौड़ी और ढलानदार होती है और यह अत्यधिक तरल बेसाल्टिक लावा से बनता है। यह अर्टा अले ज्वालामुखीय श्रृंखला का हिस्सा है, जिसमें इथियोपिया का सबसे सक्रिय ज्वालामुखी — अर्टा अले — शामिल है।
वैश्विक ज्वालामुखी आँकड़े: प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए प्रमुख तथ्य
भूगोल सेक्शन की तैयारी के लिए वैश्विक ज्वालामुखीय गतिविधि को समझना महत्वपूर्ण है।
| पैरामीटर | डेटा |
|---|---|
| विश्व में संभावित सक्रिय ज्वालामुखियों की संख्या | ~1,350 |
| पैसिफिक रिंग ऑफ फायर में ज्वालामुखी | विश्व के कुल ज्वालामुखियों का ~75% |
| इंडोनेशिया में सक्रिय ज्वालामुखी | 127+ (दुनिया में सर्वाधिक) |
| प्रति वर्ष वैश्विक ज्वालामुखी विस्फोट | 40–60 |
| सितंबर 2025 तक जारी विस्फोट | 44 ज्वालामुखी |
| वर्ष 2025 में पुष्टि किए गए विस्फोट | 58 ज्वालामुखियों से 63 विस्फोट |
पैसिफिक रिंग ऑफ फायर: पृथ्वी का सबसे ज्वालामुखीय क्षेत्र
पैसिफिक रिंग ऑफ फायर 25,000 मील (40,000 किमी) लंबा घोड़े की नाल जैसा क्षेत्र है, जो प्रशांत महासागर को घेरे हुए है। यहाँ दुनिया के लगभग 75% सक्रिय और सुप्त ज्वालामुखी और 90% भूकंप होते हैं।
यह क्षेत्र उन सबडक्शन जोन्स के कारण बना है, जहाँ महासागरीय प्लेटें महाद्वीपीय प्लेटों के नीचे धँसती हैं—जिससे अत्यधिक दबाव, घर्षण और मैग्मा बनता है, और यही ज्वालामुखीय विस्फोटों का कारण होता है।
सबसे अधिक ज्वालामुखी वाले देश:
संयुक्त राज्य अमेरिका: 165 होलोसीन ज्वालामुखी
जापान: 120
रूस: 114
इंडोनेशिया: 107+
चिली: 90
भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी: बैरन आइलैंड
बैरन आइलैंड, पोर्ट ब्लेयर से लगभग 140 किमी पूर्व स्थित, भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी है और दक्षिण एशिया का भी एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखीय स्थल है।
बैरन आइलैंड के प्रमुख तथ्य
| विशेषता | विवरण |
|---|---|
| स्थान | अंडमान सागर, पोर्ट ब्लेयर से 140 किमी उत्तर-पूर्व |
| ऊँचाई | समुद्र तल से 354 मीटर |
| क्षेत्रफल | ~8.3 वर्ग किमी |
| पहली दर्ज गतिविधि | 1787 |
| टेक्टोनिक सेटिंग | इंडियन प्लेट – बर्मा माइक्रोप्लेट |
| स्थिति | निर्जन |
2025 की हाल की गतिविधि
सितंबर 2025 में बैरन आइलैंड में दो छोटे विस्फोट हुए—13 सितंबर और 20 सितंबर को।
20 सितंबर का विस्फोट, दो दिन पहले आए 4.2 तीव्रता के भूकंप के बाद हुआ।
2 अक्टूबर 2025 को भी विस्फोट दर्ज किया गया जिसमें राख का स्तंभ लगभग 10,000 फीट तक उठा।
वैज्ञानिक इस ज्वालामुखीय गतिविधि को पूरी तरह मैग्मैटिक प्रक्रियाओं का परिणाम बताते हैं—मैग्मा कक्ष लगभग 18–20 किमी गहराई पर है।
ऐतिहासिक दृष्टि: माउंट टैम्बोरा और बिना गर्मी वाला वर्ष
1815 में इंडोनेशिया के माउंट टैम्बोरा का विस्फोट दर्ज इतिहास का सबसे बड़ा ज्वालामुखीय विस्फोट माना जाता है — जिसकी तीव्रता VEI-7 थी।
टैम्बोरा विस्फोट के प्रभाव
लगभग 24 घन मील (100 घन किमी) राख, प्यूमिस और एयरोसोल का उत्सर्जन
60 मेगाटन से अधिक सल्फर वातावरण में गया
सूर्य का प्रकाश अवरुद्ध हुआ
वैश्विक तापमान लगभग 3°C गिर गया
परिणाम: 1816 — 'बिना गर्मी वाला वर्ष'
पूरे उत्तरी गोलार्ध में कड़ाके की ठंड
जून में बर्फबारी, जुलाई में पाला
फसलें खराब
भारी अकाल
100,000+ मौतें
यह घटना दिखाती है कि ज्वालामुखीय विस्फोट वैश्विक जलवायु और समाज पर दीर्घकालिक प्रभाव डाल सकते हैं।
ज्वालामुखियों के प्रकार: शील्ड बनाम स्ट्रैटोवोल्केनो
UPSC Prelims व राज्य PCS के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण।
| विशेषता | शील्ड ज्वालामुखी | स्ट्रैटोवोल्केनो (समग्र) |
|---|---|---|
| आकार | चौड़ा, ढलानदार | तीखा, शंक्वाकार |
| मैग्मा | बेसाल्टिक (कम सिलिका, तरल) | एंडेसाइटिक से रयोलाइटिक (ज़्यादा सिलिका, गाढ़ा) |
| विस्फोट का प्रकार | शांत, लावा प्रवाह | विस्फोटक, हिंसक |
| उदाहरण | हेली गुब्बी, मौना लोआ | माउंट टैम्बोरा, माउंट फ़ूजी |
| टेक्टोनिक सेटिंग | डायवर्जेंट, हॉटस्पॉट | सबडक्शन ज़ोन |
हेली गुब्बी एक असामान्य उदाहरण है जहाँ शील्ड ज्वालामुखी ने सब-प्लिनियन विस्फोट किया — क्योंकि मैग्मा में ट्रैकाइट/रयोलाइट जैसे सिलिका-समृद्ध तत्व थे, जिन्होंने गैसों को फंसा कर दबाव बढ़ाया।
यह आपकी परीक्षा तैयारी के लिए क्यों महत्वपूर्ण है
हेली गुब्बी विस्फोट और इससे जुड़े भूवैज्ञानिक सिद्धांत UPSC और अन्य परीक्षाओं में कई विषयों के अंतर्गत पूछे जा सकते हैं।
UPSC Prelims (GS-1):
ज्वालामुखी, प्लेट टेक्टॉनिक्स, East African Rift
भारत के ज्वालामुखी (बैरन आइलैंड, नारकोंडम)
Ring of Fire की विशेषताएँ
वैश्विक ज्वालामुखी-भूकंप वितरण
UPSC Mains (GS-1 – Geography):
भूभौतिकीय घटनाएँ
टेक्टोनिक प्रक्रियाएँ
महत्वपूर्ण भूगोलिक विशेषताओं का वितरण
त्वरित पुनरावर्तन (Quick Revision)
हेली गुब्बी एक शील्ड ज्वालामुखी है — ~12,000 साल बाद 23 नवंबर 2025 को फटा
यह अफार ट्रिपल जंक्शन पर स्थित है — अरबियन, न्युबियन व सोमाली प्लेटें अलग हो रही हैं
भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी: बैरन आइलैंड
दुनिया के 75% सक्रिय ज्वालामुखी पैसिफिक रिंग ऑफ फायर में
1815 का टैम्बोरा विस्फोट → 'बिना गर्मी वाला वर्ष' 1816
विश्व में ~1,350 संभावित सक्रिय ज्वालामुखी
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