परिचय
जैसे-जैसे दक्षिण एशिया में भू-राजनीतिक तनाव बढ़ रहा है, भारत–भूटान संबंध एक निर्णायक मोड़ पर खड़े हैं। क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामकता और भूटान से जुड़े सीमा विवादों के बीच, भारत के इस छोटे हिमालयी पड़ोसी के साथ रणनीतिक साझेदारी पहले से अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया भूटान यात्रा, बाहरी चुनौतियों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को सुदृढ़ करने की भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।
यह लेख भारत–भूटान संबंधों, डोकलाम विवाद और व्यापक रणनीतिक प्रभावों का एक समग्र विश्लेषण प्रस्तुत करता है — जो UPSC अभ्यर्थियों और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए अनिवार्य अध्ययन है।
भारत–भूटान रणनीतिक संबंधों की समझ
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और राजनयिक संबंध
भारत और भूटान के बीच गहरे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध हैं:
1949: भारत–भूटान मैत्री एवं सहयोग संधि — औपचारिक राजनयिक संबंधों से लगभग दो दशक पूर्व
1968: दोनों देशों के बीच औपचारिक राजनयिक संबंध स्थापित
1972: भूटान के तृतीय राजा के निधन पर भारत ने इस संक्रमण काल में विशेष सहयोग दिया
2008: भूटान का संवैधानिक राजतंत्र में रूपांतरण — भारत ने लोकतांत्रिक परिवर्तन में सक्रिय सहयोग दिया
2014 एवं 2019: प्रधानमंत्री मोदी ने कार्यभार संभालने के बाद अपनी पहली विदेशी यात्रा भूटान को समर्पित की — यह भारत की प्राथमिकता को दर्शाता है
भारत भूटान को प्राथमिकता क्यों देता है
भारत भूटान को एक विशेष रणनीतिक साझेदार मानता है क्योंकि:
भौगोलिक निकटता: भारत की भूटान के साथ 699 किलोमीटर लंबी सीमा साझा है
बफर स्टेट का महत्व: भूटान, भारत और चीन के बीच एक रणनीतिक बफर के रूप में कार्य करता है
साझा सुरक्षा चिंता: दोनों देशों पर चीनी क्षेत्रीय दावों का दबाव
सांस्कृतिक समानता: ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक रिश्ते अत्यंत गहरे हैं
आर्थिक परस्परता: भूटान सुरक्षा, रक्षा और अर्थव्यवस्था के लिए भारत पर निर्भर है
डोकलाम विवाद: भारत का अटल समर्थन
डोकलाम क्या है?
डोकलाम वह त्रि-जंक्शन क्षेत्र है जहाँ भारत, भूटान और चीन की सीमाएँ मिलती हैं।
इस क्षेत्र का भारत के लिए अत्यधिक रणनीतिक महत्व है:
स्थान: सिलीगुड़ी कॉरिडोर (जिसे "चिकन नेक" कहा जाता है) के निकट — जो मुख्य भारत को उत्तर-पूर्वी राज्यों से जोड़ने वाला संकरा गलियारा है
रणनीतिक महत्व: यह कॉरिडोर भारत की सुरक्षा और उत्तर-पूर्वी राज्यों की कनेक्टिविटी के लिए जीवनरेखा है
संवेदनशीलता: यह त्रि-जंक्शन सीधे इस कॉरिडोर को ओवरलुक करता है, जिससे यह अत्यंत सुरक्षा-संवेदनशील क्षेत्र बन जाता है
2017 का गतिरोध: भारत की दृढ़ स्थिति
2017 में चीन ने डोकलाम क्षेत्र में सड़क निर्माण का प्रयास किया, जिसे भूटान अपने क्षेत्र का हिस्सा मानता है।
चीन का दावा: डोकलाम चीन का हिस्सा है
भूटान का रुख: डोकलाम उसकी संप्रभु भूमि है
भारत की प्रतिक्रिया: भारत ने भूटान के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सैन्य तैनाती की
अवधि: यह गतिरोध 73 दिनों (जून–अगस्त 2017) तक चला
परिणाम: चीन को पीछे हटना पड़ा और सड़क निर्माण अधूरा रह गया — यह भारत की एक राजनयिक और रणनीतिक विजय थी
वर्तमान चीन–भूटान सीमा विवाद
विवाद अब भी पूरी तरह सुलझा नहीं है
चीन भूटान की कई सीमाई क्षेत्रों पर दावे कर रहा है
भारत लगातार भूटान की संप्रभुता का समर्थन करता है
यह विवाद चीन की व्यापक विस्तारवादी रणनीति का हिस्सा है
प्रधानमंत्री मोदी की 2025 की यात्रा: संबंधों का सुदृढ़ीकरण
हालिया यात्रा का महत्व
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूटान यात्रा भारत की रणनीतिक प्रतिबद्धता को पुनः पुष्ट करती है:
पहली विदेशी यात्रा: 2014 और 2019 में चुनाव जीतने के बाद मोदी ने पहली यात्रा भूटान की की
2024 चुनाव-पूर्व यात्रा: इस यात्रा में उन्हें भूटान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान प्रदान किया गया
ऐतिहासिक सम्मान: मोदी पहले विदेशी नागरिक बने जिन्हें यह सम्मान मिला — यह दोनों देशों के बीच असाधारण संबंधों का प्रतीक है
मुख्य परिणाम और निहितार्थ
रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग को गहराना
हाइड्रोपावर परियोजनाओं के माध्यम से आर्थिक साझेदारी बढ़ाना
सांस्कृतिक और जन–जन के संबंधों को मजबूत करना
बाहरी चुनौतियों के विरुद्ध संयुक्त कूटनीतिक रणनीति बनाना
चीनी दबाव के बीच भूटान को भारत का निरंतर समर्थन सुनिश्चित करना
रणनीतिक परिप्रेक्ष्य: चीनी चुनौती
भारत के लिए चीन की गतिविधियाँ क्यों महत्वपूर्ण हैं
बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव: चीन पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में अपना प्रभाव बढ़ाना चाहता है
सीमा विवाद: चीन केवल भूटान ही नहीं बल्कि भारत (LAC) से भी विवादित क्षेत्र रखता है
क्षेत्रीय प्रभुत्व: चीन भारत को घेरने की रणनीति अपना रहा है
सिलीगुड़ी कॉरिडोर की संवेदनशीलता: इस गलियारे पर नियंत्रण भारत के उत्तर–पूर्व को शेष भारत से अलग कर सकता है
भारत की रणनीतिक प्रतिक्रिया
भारत बहुआयामी रणनीति अपना रहा है:
द्विपक्षीय संवाद: भारत–भूटान संबंधों को मजबूत बनाना
रक्षा सहयोग: भूटान को सैन्य सहायता एवं सुरक्षा आश्वासन
आर्थिक एकीकरण: संयुक्त हाइड्रोपावर एवं विकास परियोजनाएँ
कूटनीतिक समन्वय: अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भूटान का समर्थन
क्षेत्रीय संपर्क: भारत–भूटान सीमा पर इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाएँ
भारत–भूटान सहयोग ढाँचा
| सहयोग का क्षेत्र | विवरण |
|---|---|
| रक्षा एवं सुरक्षा | संयुक्त सैन्य अभ्यास, खुफिया साझा करना, रक्षा खरीद |
| हाइड्रोपावर परियोजनाएँ | भूटान भारत को अधिशेष जलविद्युत आपूर्ति करता है |
| व्यापार एवं वाणिज्य | भारत भूटान का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार |
| अवसंरचना | सड़क, टेलीकॉम, और कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट |
| शिक्षा | भूटानी छात्रों के लिए भारतीय छात्रवृत्तियाँ |
| सांस्कृतिक आदान–प्रदान | पर्यटन, धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम |
हालिया द्विपक्षीय समझौते
उन्नत रक्षा सहयोग प्रोटोकॉल
सीमा क्षेत्रों के विकास हेतु संयुक्त परियोजनाएँ
प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौते
कृषि एवं ग्रामीण विकास में क्षमता निर्माण
डिजिटल कनेक्टिविटी परियोजनाएँ
परीक्षा हेतु प्रमुख तथ्य
भारत–भूटान मैत्री संधि – 1949
औपचारिक राजनयिक संबंध – 1968
भारत–भूटान सीमा – 699 किमी
डोकलाम त्रि-जंक्शन: भारत–भूटान–चीन सीमा मिलन बिंदु
2017 गतिरोध अवधि: 73 दिन (जून–अगस्त)
सिलीगुड़ी कॉरिडोर: रणनीतिक "चिकन नेक" क्षेत्र
प्रधानमंत्री मोदी: भूटान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान प्राप्त करने वाले पहले विदेशी नागरिक
चीन का दबाव: क्षेत्रीय स्थिरता के लिए भारत–भूटान साझेदारी आवश्यक
UPSC तैयारी के लिए महत्व
Prelims हेतु:
भारत–भूटान संधियों, सीमाओं, और रणनीतिक स्थानों पर तथ्यात्मक प्रश्न
डोकलाम विवाद और सिलीगुड़ी कॉरिडोर से संबंधित प्रश्न
मोदी की भूटान यात्रा पर आधारित सामयिकी प्रश्न
Mains हेतु:
GS Paper-II: भारत की "पड़ोसी पहले" नीति और क्षेत्रीय कूटनीति
GS Paper-III: सीमा प्रबंधन, रणनीतिक गहराई, और रक्षा सहयोग का विश्लेषण
उत्तर लेखन में भारत–भूटान संबंधों को भारत की व्यापक इंडो-पैसिफिक रणनीति से जोड़ें
अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रासंगिकता
SSC (CGL, CHSL): सामयिकी अनुभाग में भारत–भूटान संबंधों पर प्रश्न
बैंकिंग परीक्षाएँ: सामान्य जागरूकता अनुभाग
राज्य सिविल सेवा: उत्तर–पूर्वी भारत की क्षेत्रीय सुरक्षा दृष्टि से महत्त्वपूर्ण
व्यापक अध्ययन संबंध
भारत की क्षेत्रीय कूटनीति और छोटे पड़ोसियों के साथ संबंध
चीन की विस्तारवादी नीति का पैटर्न
भारत की रणनीतिक स्वायत्तता
सीमा प्रबंधन और सुरक्षा जटिलताएँ
विकासात्मक कूटनीति के माध्यम से राजनीतिक सहयोग
अभ्यर्थियों के लिए अध्ययन सुझाव
1949 से अब तक भारत–भूटान संबंधों की टाइमलाइन तैयार करें
नक्शे पर प्रमुख स्थान चिह्नित करें: डोकलाम, सिलीगुड़ी कॉरिडोर आदि
डोकलाम बनाम लद्दाख विवाद की तुलना करें
इंडो-पैसिफिक रणनीति और QUAD से जोड़कर विश्लेषण करें
इसे भारत की सफल “स्मॉल नेबर डिप्लोमेसी” के केस स्टडी के रूप में उपयोग करें
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LAC विवाद: भारत–चीन सीमा तनाव
सिलीगुड़ी कॉरिडोर का रणनीतिक महत्व
चीन की BRI पहल और दक्षिण एशिया पर प्रभाव
भारत की रणनीतिक साझेदारियाँ: QUAD, BIMSTEC
रक्षा सहयोग समझौते: द्विपक्षीय एवं बहुपक्षीय दृष्टि से
निष्कर्ष
भारत–भूटान संबंध एक बहुध्रुवीय विश्व में भारत की क्षेत्रीय रणनीति की आधारशिला हैं। जैसे-जैसे चीन की आक्रामकता बढ़ती है, भारत की यह प्रतिबद्धता कि वह अपने छोटे पड़ोसियों के साथ खड़ा रहेगा, और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा दो बार भूटान को पहली विदेश यात्रा बनाना इस संबंध की प्राथमिकता का स्पष्ट संकेत है।
UPSC और अन्य परीक्षाओं के लिए, भारत–भूटान संबंधों, डोकलाम विवाद, और उनके रणनीतिक प्रभावों की गहराई से समझ आवश्यक है।
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