प्रधानमंत्री मोदी भारत की सबसे महत्वाकांक्षी परमाणु परियोजना का शुभारंभ करेंगे
25 सितंबर, 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजस्थान के माही-बांसवाड़ा परमाणु ऊर्जा संयंत्र की आधारशिला रखेंगे, जो भारत के परमाणु ऊर्जा विस्तार में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है । यह परियोजना भारत में अब तक की सबसे बड़ी परमाणु ऊर्जा सुविधा का प्रतिनिधित्व करती है और 2047 तक 100 GW परमाणु क्षमता प्राप्त करने की राष्ट्र की प्रतिबद्धता को दर्शाती है ।
माही-बांसवाड़ा परमाणु ऊर्जा संयंत्र की मुख्य तकनीकी विशेषताएं
माही-बांसवाड़ा राजस्थान परमाणु ऊर्जा परियोजना (MBRAPP) भारत के परमाणु क्षेत्र में नए मानदंड स्थापित करेगी :
कुल क्षमता: 2,800 MW (700 MW की चार इकाइयां)
निवेश: ₹42,000-45,000 करोड़
क्षेत्रफल: 623-1,366 हेक्टेयर
तकनीक: स्वदेशी प्रेशराइज्ड हेवी वाटर रिएक्टर (IPHWR-700)
अनुमानित पूर्णता: पहली इकाई 2031 तक, पूर्ण परियोजना 2036 तक
संयुक्त उद्यम: अश्विनी (NPCIL और NTPC की साझेदारी)
भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए रणनीतिक महत्व
बांसवाड़ा परियोजना NTPC का परमाणु ऊर्जा में पहला प्रवेश है , जो भारत की ऊर्जा रणनीति में एक आदर्श बदलाव का प्रतिनिधित्व करता है। यह सुविधा राजस्थान की परमाणु क्षमता को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाएगी, जो वर्तमान में रावतभाटा संयंत्र से लगभग 1,080 MW है । एक बार चालू होने पर, राजस्थान की कुल परमाणु उत्पादन क्षमता 5,900 MW तक पहुंच जाएगी , जिससे यह एक प्रमुख परमाणु ऊर्जा केंद्र बन जाएगा।
यह परियोजना विकसित भारत के लिए परमाणु ऊर्जा मिशन के साथ संरेखित है, जिसकी घोषणा केंद्रीय बजट 2025-26 में की गई थी, जिसमें परमाणु विस्तार के लिए ₹20,000 करोड़ आवंटित किए गए थे। वर्तमान में, भारत 8.88 GW क्षमता के साथ 25 परमाणु रिएक्टर संचालित करता है और 2031-32 तक 22.48 GW तक पहुंचने का लक्ष्य रखता है।
भारत की व्यापक परमाणु विस्तार योजना
वर्तमान परमाणु अवसंरचना की स्थिति
भारत का परमाणु क्षेत्र 2014 में 4,780 MW से 2025 में 8,880 MW तक महत्वपूर्ण रूप से बढ़ा है। देश कई राज्यों में परमाणु सुविधाएं संचालित करता है:
कुडनकुलम, तमिलनाडु: 2,000 MW (सबसे बड़ा परिचालित)
राजस्थान परमाणु ऊर्जा स्टेशन: 1,080 MW
काएगा, कर्नाटक: 808 MW
तारापुर, महाराष्ट्र: 1,280 MW
विकासाधीन 18 नए रिएक्टर
इनपुट डेटा में उल्लिखित अनुसार, छह राज्यों में 18 नए परमाणु रिएक्टर की योजना है:
निर्माणाधीन:
कुडनकुलम इकाइयां 3-6 (तमिलनाडु): 3,668 MW
गोरखपुर इकाइयां 1-2 (हरियाणा): 1,260 MW
राजस्थान इकाई 8: 630 MW
प्रस्तावित परियोजनाएं:
माही-बांसवाड़ा (राजस्थान): 4 इकाइयां × 700 MW
काएगा इकाइयां 5-6 (कर्नाटक): 1,260 MW
चुटका (मध्य प्रदेश): 1,260 MW
गोरखपुर इकाइयां 3-4 (हरियाणा): 1,260 MW
आर्थिक और रोजगार प्रभाव
बांसवाड़ा परियोजना पर्याप्त सामाजिक-आर्थिक लाभ उत्पन्न करेगी :
प्रत्यक्ष रोजगार: 5,000 नौकरियां
अप्रत्यक्ष रोजगार: 20,000 नौकरियां
क्षेत्रीय विकास: आदिवासी क्षेत्रों में बेहतर अवसंरचना
स्वच्छ ऊर्जा योगदान: कार्बन उत्सर्जन में महत्वपूर्ण कमी
तकनीक और सुरक्षा सुविधाएं
परियोजना में स्वदेशी IPHWR-700 रिएक्टर का उपयोग होता है, जो काकरापार और राजस्थान स्टेशनों की सफल इकाइयों के समान हैं । ये रिएक्टर भारत की उन्नत परमाणु प्रौद्योगिकी क्षमताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं और परमाणु क्षेत्र में देश की बढ़ती आत्मनिर्भरता को प्रदर्शित करते हैं।
परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड (AERB) ने पहले ही साइटिंग सहमति प्रदान की है, जो अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा मानकों के अनुपालन को सुनिश्चित करती है ।
100 GW परमाणु लक्ष्य की दिशा में भारत का पथ
महत्वाकांक्षी 2047 तक 100 GW लक्ष्य प्राप्त करने के लिए, भारत को वर्तमान स्तर से परमाणु क्षमता को ग्यारह गुना से अधिक बढ़ाना होगा। इसके लिए लगभग सालाना 4.15 GW जोड़ना आवश्यक है, जिससे माही-बांसवाड़ा जैसी परियोजनाएं महत्वपूर्ण पड़ाव बन जाती हैं।
विस्तार रणनीति में शामिल है:
स्वदेशी रिएक्टरों का फ्लीट मोड निर्माण
लघु मॉड्यूलर रिएक्टर (SMRs) विकास
संयुक्त उद्यमों के माध्यम से निजी क्षेत्र की भागीदारी
रूस, अमेरिका और फ्रांस के साथ अंतर्राष्ट्रीय सहयोग
आपकी परीक्षा तैयारी के लिए यह क्यों महत्वपूर्ण है
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए:
भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम लिमिटेड (NPCIL) और परमाणु विस्तार में इसकी भूमिका
परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड (AERB) के कार्य और नियामक ढांचा
प्रेशराइज्ड हेवी वाटर रिएक्टर (PHWRs) तकनीक और स्वदेशी क्षमताएं
भारत का त्रिस्तरीय परमाणु कार्यक्रम और थोरियम उपयोग
परमाणु ऊर्जा मिशन 2025-26 और बजटीय आवंटन
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए:
भारत के विकास में ऊर्जा सुरक्षा चुनौतियां और परमाणु ऊर्जा की भूमिका
2070 तक नेट-जीरो उत्सर्जन प्राप्त करने में स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण
परमाणु ऊर्जा जैसे रणनीतिक क्षेत्रों में सार्वजनिक-निजी साझेदारी
बड़ी अवसंरचना परियोजनाओं के माध्यम से क्षेत्रीय विकास
परमाणु प्रौद्योगिकी और ईंधन आपूर्ति में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग
करंट अफेयर्स महत्व:
यह विकास टिकाऊ ऊर्जा वृद्धि के लिए भारत की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है और साथ ही परमाणु प्रौद्योगिकी में रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखता है। परियोजना का समय पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती के साथ मेल खाता है, जो राष्ट्रीय विकास लक्ष्यों के लिए प्रतीकात्मक महत्व जोड़ता है।
प्रतियोगी परीक्षाओं में भारत की ऊर्जा नीति, पर्यावरणीय स्थिरता, तकनीकी उन्नति और आर्थिक विकास रणनीतियों से संबंधित प्रश्नों के लिए परमाणु ऊर्जा विस्तार को समझना महत्वपूर्ण है।