आईएनएस निस्तार समुद्री बेड़े में शामिल: भारत का पहला स्वदेशी डाइविंग सपोर्ट वेसल – करेंट अफेयर्स 19 जुलाई 2025 | UPSC के लिए महत्वपूर्ण

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नौसेना को मिला नया मजबूती का स्तंभ

भारतीय नौसेना ने 18 जुलाई, 2025 को एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए आईएनएस निस्तार को अपने बेड़े में शामिल किया। यह भारत का पहला पूर्णतः स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित डाइविंग सपोर्ट वेसल (DSV) है। इसे विशाखापट्टनम के नौसेना डॉकयार्ड में रक्षा राज्यमंत्री संजय सेठ की उपस्थिति में नौसेना को सौंपा गया। इस खास आयोजन में नौसेना अध्यक्ष एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी भी उपस्थित थे।

आईएनएस निस्तार भारत की सामुद्रिक रणनीतिक क्षमता और आत्मनिर्भर भारत मिशन के तहत एक बड़ी उपलब्धि है।

डिज़ाइन, निर्माण और प्रमुख तकनीक

तकनीकी विशिष्टताएँ (Specifications):

पैरामीटरविवरण
लंबाई118.4 मीटर
चौड़ाई (Beam)22.8 मीटर
वजनी क्षमता10,500 टन से अधिक
अधिकतम गति18 नॉट
क्रूजिंग गति14 नॉट
समुद्री सहनशक्ति60+ दिन
दल सदस्य125 (12 अधिकारी, 113 नौसैनिक)

 

परिचालन क्षमताएँ (Operational Capabilities):

गहराई में डाइविंग और सबमरीन रेस्क्यू

300 मीटर तक सैचुरेशन डाइविंग क्षमता

75 मीटर तक साइड डाइविंग स्टेज ऑपरेशन्स

अत्याधुनिक सैचुरेशन डाइविंग कम्प्लेक्स

सबमरीन बचाव (Submarine Rescue):

डीप सबमर्जेंस रेस्क्यू व्हीकल (DSRV) का संचालन

650 मीटर तक सबमरीन रेस्क्यू क्षमता

12-व्यक्ति स्व-प्रणोदित हाइपरबैरिक लाइफ बोट आपात स्थितियों में उपयोगी

तकनीकी विशेषताएँ:

डायनामिक पोजीशनिंग सिस्टम (DP-II)

ROV (Remotely Operated Vehicle) – 1000 मीटर की गहराई तक सक्षम

15 टन सबसी क्रेन

साइड-स्कैन सोनार – समुद्री तल पर सर्वे हेतु उपयोगी

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और रणनीतिक महत्व

ऐतिहासिक विरासत:

1971 में पहली बार 'आईएनएस निस्तार' को नौसेना में शामिल किया गया था

1971 युद्ध के दौरान पाकिस्तानी पनडुब्बी 'पीएनएस गाजी' के अवशेष की पहचान आईएनएस निस्तार ने की थी

आधुनिक रणनीतिक उपयोग:

एडमिरल त्रिपाठी के अनुसार – "निस्तार केवल एक तकनीकी प्लेटफ़ॉर्म नहीं, बल्कि रणनीतिक संचालन की रीढ़ है"

"प्रेफर्ड सबमरीन रेस्क्यू पार्टनर" के रूप में पहचान

हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की भागीदारी को मज़बूत करता है

स्वदेशी डिजाइन से आत्मनिर्भरता को बढ़ावा

आत्मनिर्भर भारत की मिसाल: निर्माण विवरण

निर्माणकर्ता: हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड (HSL), विशाखापट्टनम

120 एमएसएमई कंपनियों की भागीदारी

80% से अधिक स्वदेशी सामग्री का उपयोग

परियोजना लागत: ₹2,400 करोड़ (दो DSV — निस्तार और निपुण के लिए)

समयरेखा:

अनुबंध: 20 सितंबर, 2018

निर्माण प्रारंभ: 2019

लॉन्चिंग: सितंबर 2022

नौसेना में शामिल: 18 जुलाई 2025

चिकित्सा और सहायक सुविधाएँ (Medical & Aviation Support)

चिकित्सा सुविधाएँ:

आधुनिक सर्जरी ऑपरेशन थिएटर

समर्पित ICU (गहन चिकित्सा इकाई)

8-बेड वाला अस्पताल

6-व्यक्ति हाइपरबैरिक चेंबर

लंबी अवधि की डाइविंग में उपयोगी चिकित्सा सहायता

हेलिकॉप्टर डेक:

15 टन हेलिकॉप्टर के संचालन में सक्षम

आपातकालीन केजुएल्टी एवैक्यूएशन

रेस्क्यू और सप्लाई मिशनों में सहायता

वैश्विक सन्दर्भ और भारत की स्थिति

विश्व स्तर पर विशिष्ट वर्ग में भारत

आईएनएस निस्तार ने भारत को उन कुछ देशों की श्रेणी में पहुंचा दिया है जो:

स्वदेशी रूप से तकनीकी रूप से उन्नत डाइविंग सपोर्ट वेसल विकसित करते हैं

सबमरीन रेस्क्यू क्षमता रखते हैं

अंतरराष्ट्रीय साझेदारी:

2021 में इंडोनेशिया नौसेना की सबमरीन दुर्घटना में भारत ने सहायता का प्रस्ताव दिया

गोवा मरीटाइम कॉन्क्लेव - 2021 और मिलन 2022, 2024 में डेमो

आगामी Pacific Reach Exercise-2025, सिंगापुर में भागीदारी प्रस्तावित

सुरक्षा तंत्र:

2 × AK-630 30mm CIWS (नजदीकी हथियार प्रणाली)

एडवांस फायर कंट्रोल एवं रडार सिस्टम

समुद्री निगरानी एवं बचाव सुरक्षा को सुनिश्चित करता है

यह परीक्षा की दृष्टि से क्यों महत्वपूर्ण है

UPSC और अन्य प्रतियोगिता परीक्षाओं में उपयोगी बिंदु:

प्रीलिम्स के लिए तथ्य:

आईएनएस निस्तार: भारत का पहला स्वदेशी डाइविंग सपोर्ट वेसल

निर्मित: हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड, विशाखापट्टनम

विशेषता: 300 मीटर गहराई तक डाइविंग क्षमता

80%+ स्वदेशी तकनीक, 120 MSME की भागीदारी

नाम का अर्थ: निस्तार (संस्कृत) — उद्धार, मुक्ति, बचाव

ऐतिहासिक भूमिका: PNS गाजी की पहचान में योगदान (1971 युद्ध)

मेन्स के लिए विश्लेषण:

आत्मनिर्भर भारत की सफलता, रक्षा उत्पादन में घरेलू कंपनियों की भूमिका

डिफेंस टेक्नोलॉजी में आत्मनिर्भरता का सशक्त उदाहरण

समुद्री कूटनीति और क्षेत्रीय सुरक्षा में भारत की भूमिका

MSME सेक्टर का योगदान, आर्थिक दृष्टिकोण से प्रभाव

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📌 निष्कर्ष:
आईएनएस निस्तार, न केवल एक अत्याधुनिक युद्धपोत है बल्कि भारत के रक्षा निर्माण क्षेत्र की आत्मनिर्भरता, तकनीकी श्रेष्ठता और रणनीतिक सोच का प्रतीक है। UPSC, State PCS, CDS, CAPF एवं अन्य परीक्षाओं में रक्षा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, और अंतरराष्ट्रीय संबंधों से जुड़े प्रश्नों में यह समाचार अति महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।

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