भारत ने स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। देश की कुल स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता का 50% से अधिक हिस्सा अब गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों जैसे सौर, पवन, हाइड्रो, परमाणु और बायोएनर्जी से आ रहा है। यह उपलब्धि पेरिस जलवायु समझौते में निर्धारित 2030 के लक्ष्य से 5 साल पहले हासिल की गई है, जो भारत की पर्यावरण संरक्षण एवं जलवायु परिवर्तन के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
भारत की स्वच्छ ऊर्जा में महत्वपूर्ण उपलब्धि
आंकड़ों का विस्तृत विवरण
जुलाई 2025 तक भारत की कुल स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता 484.8 गीगावॉट (GW) है, जिसमें से 242.8 GW (50.1%) गैर-जीवाश्मी स्रोतों से प्राप्त हो रही है। यह क्षमता विभिन्न स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों से प्राप्त हो रही है:
थर्मल पावर: 242.04 GW (49.92%)
सोलर और विंड: 184.62 GW (38.08%)
हाइड्रो पावर: 49.38 GW (10.19%)
परमाणु ऊर्जा: 8.78 GW (1.81%)
अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं से आगे
यह उपलब्धि विशेष महत्व रखती है क्योंकि यह भारत द्वारा पेरिस समझौते के तहत 2030 तक तय किए गए लक्ष्य को 5 साल पहले प्राप्त कर ली गई है। नवीनीकृत ऊर्जा मंत्री प्रहलाद जोशी ने इसे गर्व की बात बताया और कहा, "भारत विश्व के सामने जलवायु समाधान प्रस्तुत कर रहा है। यह उपलब्धि देश की पर्यावरणीय प्रतिबद्धता की मिसाल है।"
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 2014 के बाद से सौर एवं अन्य नवीनीकृत ऊर्जा क्षेत्र में कई नीतियों और योजनाओं को लागू किया गया है, जिसने इस उपलब्धि को संभव बनाया है।
स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में सरकार की प्रमुख पहलें
पीएम सूर्य घर योजना
2024 में शुरू की गई 'PM Surya Ghar' योजना ने घरों में रूफटॉप सोलर पावर इंस्टालेशन को बढ़ावा दिया है। इस योजना के तहत लगभग एक करोड़ परिवारों को सौर ऊर्जा मुहैया कराने का लक्ष्य रखा गया है। अब तक लगभग 11.01 लाख परिवारों ने इसका लाभ उठाया है, जिससे करीब 3.29 GW अतिरिक्त सौर क्षमता जुड़ी है।
पीएम-कुसुम योजना
किसानों को सौर ऊर्जा आधारित पंप उपलब्ध कराने वाली पीएम-कुसुम योजना ने ग्रामीण क्षेत्रों में ऊर्जा सुरक्षा और सतत कृषि को बढ़ावा दिया है। यह योजना किसानों को स्वच्छ ऊर्जा से आत्मनिर्भर बना रही है।
उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना
सोलर उपकरणों के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए PLI स्कीम शुरू की गई है। पिछले दशक में सौर मॉड्यूल उत्पादन क्षमता 2 GW से बढ़कर लगभग 70 GW हो गई है। इस योजना से लगभग ₹41,000 करोड़ के निवेश आए हैं और 11,650 लोगों को नौकरियां मिली हैं।
विकास की गति और ऐतिहासिक प्रगति
सौर ऊर्जा का अभूतपूर्व विकास
2014 में सौर ऊर्जा क्षमता मात्र 2.63 GW थी, जो 2025 तक बढ़कर 108 GW हो गई है, जो लगभग 41 गुना वृद्धि है। इस क्षेत्र में भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा देश बन चुका है।
पवन ऊर्जा का विस्तार
2025 तक पवन ऊर्जा क्षमता 48 GW पहुंच गई है, जहां तमिलनाडु, गुजरात और महाराष्ट्र प्रमुख राज्य हैं।
कुल नवीनीकृत ऊर्जा सुधार
2014 में कुल नवीनीकृत ऊर्जा क्षमता: 76.38 GW
2024 में कुल क्षमता: 203 GW (लगभग 165% वृद्धि)
2024 में जोड़ी गई नई ऊर्जा क्षमता: 29 GW
नीति और रणनीतिक पहलें
राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन
2030 तक प्रतिवर्ष 5 मिलियन टन ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिससे भारत हाइड्रोजन उत्पादन में वैश्विक अग्रणी बने।
ग्रीन एनर्जी ओपन एक्सेस नियम 2022
यह नियम उपभोक्ताओं के लिए स्वच्छ ऊर्जा तक सरल पहुंच के लिए बनाए गए हैं, जिससे उपयोग बढ़ाने में मदद मिली है।
ऑफशोर विंड रणनीति
2030 तक 37 GW ऑफशोर विंड प्रोजेक्ट्स के लिए नीलामी की योजना है, जिससे समुंद्री पवन ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा।
आर्थिक और निवेश स्थिति
विशाल निवेश आवश्यकताएं
2030 तक 500 GW नवीनीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य पूरा करने के लिए लगभग ₹42 लाख करोड़ का निवेश आवश्यक है।
निजी क्षेत्र की भागीदारी
2024-25 में 60% से अधिक नए नवीनीकृत ऊर्जा प्रोजेक्ट निजी क्षेत्र द्वारा संचालित थे।
भविष्य में वृद्धि
FY26 और FY27 में भारत 75 GW नवीनीकृत ऊर्जा जोड़ने वाला है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 53% अधिक है। निवेश ₹3.8 लाख करोड़ तक बढ़ने की उम्मीद है।
चुनौतियां और समाधान
ग्रिड स्थिरता और ऊर्जा भंडारण
भारत में भंडारण क्षमता अभी भी सीमित है (लगभग 5 GW), जिससे ग्रिड में उतार-चढ़ाव प्रबंधन चुनौतीपूर्ण है। इससे निपटने के लिए बैटरी और पंप्ड स्टोरेज में निवेश आवश्यक है।
ट्रांसमिशन इंफ्रास्ट्रक्चर विकास
ट्रांसमिशन क्षेत्र में अब तक सुधार हुआ है, परंतु आगे ₹0.9-1 लाख करोड़ की आवश्यक पूंजी निवेश की उम्मीद है।
पावर खरीद अनुबंध (PPA) की समस्या
पिछले कुछ वर्षों में मिली सरकारी परियोजनाओं के केवल आधे PPAs अंतिम रूप में आए हैं, जिसका कारण राज्य विद्युत वितरण कंपनियों की सीमित रुचि है।
वैश्विक संदर्भ और तुलना
विश्व में नेतृत्व की स्थिति
REN21 की रिपोर्ट के अनुसार भारत विश्व में 4वीं सबसे बड़ी कुल नवीनीकृत ऊर्जा क्षमता, 4वीं सबसे बड़ी पवन ऊर्जा क्षमता और 5वीं सबसे बड़ी सौर ऊर्जा क्षमता वाला देश है।
अन्य देशों की तुलना
यूरोपीय संघ, ब्रिटेन, जर्मनी, स्वीडन समेत लगभग 10 देश पहले ही 50% गैर-जीवाश्म पीढ़न क्षमता वाले हो चुके हैं। भारत का व्यापक स्तर पर और तेजी से यह लक्ष्य प्राप्त करना महत्वपूर्ण है।
जलवायु कार्रवाई नेतृत्व
भारत कम कार्बन उत्सर्जन वाली देशों में से है और अपने घोषित NDC लक्ष्यों को सफलतापूर्वक प्राप्त कर रहा है।
भविष्य के लक्ष्य और दीर्घकालिक दृष्टिकोण
2030 और उसके बाद की योजना
2030 तक 500 GW गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता
2030 तक ऊर्जा मांग का 50% हिस्सा नवीनीकृत स्रोतों से
2070 तक नेट-शून्य कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य
2030 तक 5 मिलियन टन ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन
रेलवे क्षेत्र की प्रतिबद्धता
भारतीय रेलवे भी 2030 तक नेट-शून्य कार्बन उत्सर्जन प्राप्त करने जा रहा है।
निर्माण और प्रौद्योगिकी विकास
‘मेक इन इंडिया’ के तहत सौर मॉड्यूल की क्षमता विस्तार और तकनीकी नवाचारों को प्राथमिकता दी जा रही है।
पर्यावरणीय और सामाजिक लाभ
जलवायु परिवर्तन में कमी
यह उपलब्धि ग्लोबल वार्मिंग को 1.5°C तक सीमित करने के लक्ष्य में सहायक है।
ऊर्जा सुरक्षा
पेट्रोलियम और गैस आयात पर निर्भरता कम करके भारत की ऊर्जा सुरक्षा बढ़ी है।
रोजगार निर्माण
नवीनीकृत ऊर्जा क्षेत्र में हजारों लोगों को रोजगार मिला है, जो ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में फैला है।
ग्रामीण विकास
PM-KUSUM जैसी योजनाओं से किसानों को स्वच्छ ऊर्जा मिल रही है और रोज़गार के अवसर बढ़े हैं।
तकनीकी और नवाचार विकास
हाइब्रिड और स्टोरेज-लिंक्ड प्रोजेक्ट
ब्लेंडेड ऊर्जा प्रणालियों और भंडारण तकनीकों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।
ग्रीन हाइड्रोजन तकनीकी
सरकार ग्रीन हाइड्रोजन को बढ़ावा दे रही है, जो भविष्य की प्रमुख ऊर्जा स्त्रोत बन सकता है।
स्मार्ट ग्रिड विकास
स्मार्ट ग्रिड और ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर परियोजनाओं से नया तकनीकी आधार तैयार किया जा रहा है।
राज्य स्तरीय योगदान एवं क्षेत्रीय विकास
अग्रणी राज्य
राजस्थान: भदला सौर पार्क जैसे बड़े प्रोजेक्ट्स
गुजरात, तमिलनाडु, महाराष्ट्र: सौर और पवन ऊर्जा के प्रमुख केंद्र
ओडिशा: 140 GW सौर क्षमता और ग्रीन हाइड्रोजन संभावनाएं
वित्तीय व्यवस्थाएं और समर्थन
वायबिलिटी गैप फंडिंग
ऑफशोर विंड और बैटरी स्टोरेज प्रोजेक्ट्स के लिए वित्तीय सहायता योजनाएं।
विदेशी निवेश
नवीनीकृत ऊर्जा सेक्टर में 100% FDI की अनुमति है, जिससे निवेश आया है।
ग्रीन बॉन्ड और क्लाइमेट फाइनेंस
विभिन्न वित्तीय साधनों से क्षेत्र को वृद्धि मिली है।
अनुसंधान एवं विकास पहलें
संयुक्त उत्कृष्टता केंद्र
नई R&D प्रयोगशालाएं सरकार के सहयोग से स्थापित की जाएंगी।
स्टार्टअप के लिए हैकथॉन
नवीनीकृत ऊर्जा क्षेत्र में नवाचार बढ़ाने के लिए कार्यक्रम।
अंतर्राष्ट्रीय सहयोग
इंटरनेशनल सोलर एलायंस, ग्लोबल बायोफ्यूल्स एलायंस जैसे मंचों में सक्रिय भागीदारी।
आपके परीक्षा तैयारी के लिए यह क्यों महत्वपूर्ण है
यह विषय UPSC और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पर्यावरण संरक्षण, जलवायु परिवर्तन नीति, तकनीक और ऊर्जा सुरक्षा जैसे प्रश्नों में अक्सर पूछा जाता है।
UPSC Prelims के लिए जरूरी पॉइंट्स:
भारत की स्वच्छ ऊर्जा क्षमता और लक्ष्य
प्रमुख सरकारी योजनाएं (PM Surya Ghar, PM-KUSUM)
पेरिस समझौते की प्रतिबद्धताएं
ऊर्जा स्रोतों की हिस्सेदारी
UPSC Mains में उपयोग:
GS Paper 3: पर्यावरण, तकनीक मिशन और ऊर्जा सुरक्षा
GS Paper 2: सरकार की नीतियाँ और अंतर्राष्ट्रीय समझौते
निबंध विषय: सतत विकास और पर्यावरणीय चुनौतियाँ
अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए:
50% गैर-जीवाश्म ऊर्जा का लक्ष्य
प्रमुख मंत्री और योजनाएं
भारत की वैश्विक स्थिति
यह विषय आपको भारत के सतत विकास और वैश्विक जलवायु प्रयासों की समझ विकसित करने में मदद करेगा, जो हर परीक्षा में जरूरी होता है।