होर्मुज जलडमरूमध्य संकट: UPSC करेंट अफेयर्स जून 2025 - रणनीतिक चोकपॉइंट पर खतरा

featured project

हाल ही में जून 2025 में इज़राइल-ईरान संघर्ष और उसके बाद हुए संघर्षविराम ने एक बार फिर होर्मुज जलडमरूमध्य के रणनीतिक महत्व को वैश्विक स्तर पर चर्चा में ला दिया है। यह संकरा समुद्री मार्ग, जिसे दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण तेल चोकपॉइंट भी कहा जाता है, वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा में अहम भूमिका निभाता है और अंतरराष्ट्रीय संबंध एवं भूगोल की तैयारी कर रहे प्रतियोगी परीक्षार्थियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

होर्मुज जलडमरूमध्य क्या है?

होर्मुज जलडमरूमध्य एक संकरा समुद्री मार्ग है, जो उत्तर में ईरान और दक्षिण में ओमान व संयुक्त अरब अमीरात के बीच स्थित है। इसकी चौड़ाई सबसे संकरी जगह पर केवल 33 किलोमीटर (20 मील) है, जिसमें से केवल लगभग 3 किलोमीटर ही शिपिंग लेन है। यह जलडमरूमध्य फारस की खाड़ी को ओमान की खाड़ी और अरब सागर से जोड़ता है, और खाड़ी देशों से तेल टैंकरों के लिए वैश्विक बाजारों तक पहुंचने का एकमात्र समुद्री मार्ग है।

रणनीतिक दृष्टि से देखें तो इस क्षेत्र के आठ प्रमुख द्वीपों में से सात पर ईरान का नियंत्रण है, जिससे उसे क्षेत्रीय नौवहन पर महत्वपूर्ण प्रभाव मिलता है। इसके अलावा, ईरान ने चाबहार, बंदर अब्बास और बुशहर जैसे तटीय क्षेत्रों में नौसैनिक अड्डे स्थापित कर अपनी सैन्य उपस्थिति को और मजबूत किया है।

वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा पर प्रभाव

तेल और गैस ट्रांजिट के आंकड़े

होर्मुज जलडमरूमध्य से प्रतिदिन लगभग 20% वैश्विक पेट्रोलियम तरल पदार्थ (लगभग 2 करोड़ बैरल प्रतिदिन) गुजरते हैं। यूएस एनर्जी इन्फॉर्मेशन एडमिनिस्ट्रेशन के अनुसार, यह सालाना लगभग $600 बिलियन के ऊर्जा व्यापार का मार्ग है। इसी रास्ते से वैश्विक तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) का एक-तिहाई हिस्सा भी गुजरता है।

सऊदी अरब, ईरान, इराक, कुवैत, कतर और यूएई जैसे प्रमुख तेल उत्पादक देश अपने पेट्रोलियम उत्पादों के निर्यात के लिए इस मार्ग पर निर्भर हैं। यह तथ्य महत्वपूर्ण है कि होर्मुज जलडमरूमध्य से होकर गुजरने वाला तेल वैश्विक समुद्री तेल व्यापार का एक-चौथाई से भी अधिक है।

वैकल्पिक मार्ग और उनकी सीमाएँ

कुछ वैकल्पिक पाइपलाइन मार्ग मौजूद हैं, लेकिन उनकी क्षमता सीमित है। केवल सऊदी अरब और यूएई के पास ही ऐसे पाइपलाइन हैं, जो होर्मुज जलडमरूमध्य को बायपास कर सकते हैं। सऊदी अरामको की ईस्ट-वेस्ट पाइपलाइन प्रतिदिन 5 मिलियन बैरल तेल ले जा सकती है, जिसे 2019 में अस्थायी रूप से 7 मिलियन बैरल प्रतिदिन तक बढ़ाया गया था। फिर भी, ये विकल्प पूरी तरह से जलडमरूमध्य से गुजरने वाले भारी मात्रा के तेल की भरपाई नहीं कर सकते।

ईरान की रणनीतिक स्थिति और खतरे का मूल्यांकन

होर्मुज को ब्लॉक करने की ईरान की क्षमता

ईरान ने कई बार तनाव के समय होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने की धमकी दी है, लेकिन वास्तव में कभी भी इसे पूरी तरह बंद नहीं किया है। इसके पीछे कई कारण हैं:

आर्थिक स्वार्थ: ईरान की अपनी अर्थव्यवस्था भी इसी मार्ग से तेल निर्यात पर निर्भर है।

क्षेत्रीय संबंध: सऊदी अरब जैसे पड़ोसी देशों से संबंध बेहतर होने के कारण ईरान उन्हें नुकसान नहीं पहुंचाना चाहता।

चीनी निर्भरता: चीन, ईरान का सबसे बड़ा तेल खरीदार है, और अगर मार्ग बंद होता है तो चीन की ऊर्जा जरूरतें भी प्रभावित होंगी।

हाल की घटनाएँ

जून 2025 में इज़राइल-ईरान संघर्ष के दौरान, अमेरिका ने 21 जून 2025 को ईरान के फोर्दो, नतांज और इस्फहान स्थित तीन परमाणु ठिकानों पर हवाई हमले किए। जवाब में, ईरान की संसद ने होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने का प्रस्ताव पारित किया, हालांकि इसका अंतिम निर्णय ईरान की सुप्रीम नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के पास है। 25 जून 2025 को अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने संघर्षविराम की घोषणा की।

भारत के लिए रणनीतिक महत्व

ऊर्जा आयात पर निर्भरता

भारत की ऊर्जा सुरक्षा इस जलडमरूमध्य पर काफी हद तक निर्भर है:

कच्चा तेल: भारत के लगभग 70% कच्चे तेल का आयात इसी मार्ग से होता है।

LNG: लगभग 40% LNG आयात भी इसी मार्ग से होता है।

कुल आयात: भारत प्रतिदिन लगभग 2.1 मिलियन बैरल कच्चा तेल होर्मुज जलडमरूमध्य से आयात करता है, जो कुल आयात का लगभग 39% है।

विविधीकरण रणनीति

भारत ने तेल स्रोतों के विविधीकरण की रणनीति अपनाई है:

रूसी तेल: जून 2025 में भारत के कुल तेल आयात का 41% से अधिक रूस से आया, जो खाड़ी देशों से अधिक है।

वैकल्पिक आपूर्तिकर्ता: अमेरिका, पश्चिमी अफ्रीका और लैटिन अमेरिका से भी भारत ने तेल आयात बढ़ाया है, जो होर्मुज जलडमरूमध्य पर निर्भरता को कम करता है।

रणनीतिक भंडार: भारत ने आपूर्ति बाधित होने की स्थिति में रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार भी बनाया है।

चाबहार पोर्ट: भारत का रणनीतिक निवेश

पोर्ट विकास समझौता

मई 2024 में भारत और ईरान के बीच चाबहार पोर्ट के विकास के लिए 10 वर्षीय समझौता हुआ। इसमें इंडियन पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (IPGL) ने लगभग $120 मिलियन निवेश का वादा किया है, साथ ही $250 मिलियन की अतिरिक्त क्रेडिट लाइन भी दी गई है।

रणनीतिक महत्व

चाबहार पोर्ट भारत के लिए कई मायनों में महत्वपूर्ण है:

पाकिस्तान को बायपास: यह पोर्ट भारत को अफगानिस्तान और मध्य एशिया से सीधे जोड़ता है, जिससे पाकिस्तान को दरकिनार किया जा सकता है।

अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा: चाबहार पोर्ट इस गलियारे का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो भारतीय महासागर को उत्तरी यूरोप से जोड़ता है।

स्थानिक लाभ: चाबहार पोर्ट फारस की खाड़ी के बाहर स्थित है, जिससे अरब सागर तक सीधी पहुंच मिलती है और होर्मुज जलडमरूमध्य पर निर्भरता कम होती है।

यह पोर्ट भारत के कांडला पोर्ट से 550 नॉटिकल मील और मुंबई से 786 नॉटिकल मील दूर है, जिससे भारतीय व्यापार के लिए यह रणनीतिक रूप से बेहद उपयोगी है।

वैश्विक आर्थिक प्रभाव

तेल कीमतों में अस्थिरता

हालिया तनाव के चलते वैश्विक ऊर्जा बाजारों में तेल की कीमतों में भारी उछाल देखा गया। जून 2025 में ब्रेंट क्रूड की कीमत $69 प्रति बैरल से बढ़कर $74 प्रति बैरल हो गई। यदि जलडमरूमध्य पूरी तरह बंद हो जाता है, तो कीमतें $130 प्रति बैरल तक जा सकती हैं।

आर्थिक परिदृश्य

ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स के अनुसार तीन संभावित परिदृश्य हैं:

माइल्ड शॉक (प्रतिबंधों में वृद्धि): वैश्विक तेल आपूर्ति में 1% कमी, ब्रेंट क्रूड $75 प्रति बैरल

मध्यम शॉक (ईरानी निर्यात बंद): 4% आपूर्ति में कमी, ब्रेंट क्रूड $90 प्रति बैरल

गंभीर शॉक (जलडमरूमध्य बंद): ब्रेंट क्रूड $130 प्रति बैरल, वैश्विक GDP पर बड़ा असर

क्षेत्रीय और वैश्विक चोकपॉइंट्स

होर्मुज जलडमरूमध्य के अलावा, अन्य महत्वपूर्ण समुद्री चोकपॉइंट्स हैं:

स्वेज नहर और बाब-ए-लमंदेब जलडमरूमध्य: वैश्विक समुद्री व्यापार का 12%

मलक्का जलडमरूमध्य: 30% वैश्विक व्यापार

पनामा नहर: 5% वैश्विक कंटेनर व्यापार

इन सभी चोकपॉइंट्स पर भी भौगोलिक, जलवायु और राजनीतिक जोखिम बने रहते हैं।

आपकी परीक्षा की तैयारी के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?

होर्मुज जलडमरूमध्य संकट UPSC और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए इसलिए महत्वपूर्ण है:

भूगोल: यह समुद्री चोकपॉइंट्स का उत्कृष्ट उदाहरण है, जो विश्व भूगोल का महत्वपूर्ण टॉपिक है।

अंतरराष्ट्रीय संबंध: ईरान-इज़राइल संघर्ष, अमेरिकी हस्तक्षेप और क्षेत्रीय सुरक्षा की जटिलता को समझने के लिए यह केस स्टडी बेहद उपयोगी है।

आर्थिक भूगोल: ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक विकास के बीच संबंध, विशेषकर भारत जैसे आयात-निर्भर देशों के लिए, अक्सर परीक्षाओं में पूछा जाता है।

करेंट अफेयर्स: जून 2025 की घटनाएँ समसामयिक उदाहरणों के रूप में निबंध लेखन और सामान्य अध्ययन में उपयोगी हैं।

भारत केंद्रित प्रश्न: चाबहार पोर्ट समझौता और भारत की ऊर्जा सुरक्षा रणनीति, भारत की विदेश नीति और पड़ोसी देशों से संबंधों के संदर्भ में भी महत्वपूर्ण हैं।