यूपीएससी करेंट अफेयर्स 17 जून 2025: भारत में परमाणु ऊर्जा निवेश के लिए न्यूक्लियर दायित्व कानून में बड़ा संशोधन प्रस्तावित | दैनिक जीके अपडेट

featured project

भारत में न्यूक्लियर दायित्व कानून में ऐतिहासिक संशोधन की तैयारी

भारत सरकार परमाणु ऊर्जा क्षेत्र को पुनर्जीवित करने के लिए संसद के आगामी मानसून सत्र में सिविल लायबिलिटी फॉर न्यूक्लियर डैमेज एक्ट (CLNDA) 2010 में व्यापक संशोधन लाने की तैयारी कर रही है। यह कदम 2047 तक 100 गीगावॉट परमाणु ऊर्जा का महत्वाकांक्षी लक्ष्य प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

पृष्ठभूमि: 17 वर्षों से परमाणु गतिरोध

2008 में ऐतिहासिक भारत-अमेरिका सिविल न्यूक्लियर समझौते के 17 साल बाद ये संशोधन प्रस्तावित किए जा रहे हैं। इस ऐतिहासिक समझौते के बावजूद, जो दोनों देशों के बीच तीन दशकों से चले आ रहे परमाणु व्यापार प्रतिबंध को समाप्त करता है, भारत के अद्वितीय न्यूक्लियर दायित्व ढांचे के कारण वास्तविक क्रियान्वयन में बाधा आई है।

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कार्नेगी इंडिया ग्लोबल टेक्नोलॉजी समिट 2025 में इस चुनौती को स्वीकार किया: "मौजूदा कानून ने अंतरराष्ट्रीय परमाणु उद्योग को भारत में परियोजनाएं शुरू करने के लिए पर्याप्त भरोसा नहीं दिलाया है।" उन्होंने कहा कि कई विकल्प आजमाने के बाद सरकार इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि कानून में मूलभूत संशोधन जरूरी हैं।

मौजूदा न्यूक्लियर दायित्व कानून के प्रमुख प्रावधान

CLNDA 2010: वैश्विक स्तर पर अनूठा ढांचा

भारत का सिविल लायबिलिटी फॉर न्यूक्लियर डैमेज एक्ट 2010 भारत-अमेरिका परमाणु समझौते को लागू करने के अंतिम चरणों में से एक था। इस कानून में कई विवादास्पद प्रावधान हैं जो इसे अंतरराष्ट्रीय परमाणु दायित्व ढांचे से अलग बनाते हैं:

ऑपरेटर दायित्व संरचना:

अधिकतम दायित्व सीमा ₹1,500 करोड़ (मूल ₹500 करोड़ से बढ़ाकर)

सरकार की दायित्व सीमा ₹2,100-2,300 करोड़ (300 मिलियन स्पेशल ड्राइंग राइट्स)

न्यूक्लियर प्लांट ऑपरेटरों पर सख्त नो-फॉल्ट दायित्व

विवादास्पद आपूर्तिकर्ता दायित्व क्लॉज:

धारा 17(बी) के तहत ऑपरेटर दोषपूर्ण उपकरण के लिए आपूर्तिकर्ता से पुनरावृत्ति की मांग कर सकता है

यह प्रावधान कन्वेंशन ऑन सप्लीमेंटरी कंपन्सेशन (CSC) ढांचे से आगे जाता है

धारा 46 के माध्यम से आपूर्तिकर्ताओं के लिए असीमित दायित्व की संभावना

अंतरराष्ट्रीय ढांचा बनाम भारतीय कानून

अंतरराष्ट्रीय परमाणु दायित्व व्यवस्था, जिसमें 1997 में अपनाया गया CSC शामिल है, ऑपरेटर के विशेष दायित्व के सिद्धांत पर आधारित है। आमतौर पर दो ही स्थितियों में ऑपरेटर आपूर्तिकर्ता से पुनरावृत्ति कर सकता है:

स्पष्ट संविदात्मक समझौता

जानबूझकर क्षति पहुँचाने की मंशा

हालांकि, भारत के कानून में "स्पष्ट या छिपे दोष" के लिए आपूर्तिकर्ता दायित्व शामिल किया गया है, जो 1984 के भोपाल गैस त्रासदी के अनुभव से प्रेरित है।

प्रस्तावित संशोधन: गेम-चेंजर सुधार

ड्राफ्ट विधेयक के मुख्य बिंदु

सरकारी सूत्रों के अनुसार, परमाणु ऊर्जा विभाग ने व्यापक मसौदा तैयार किया है जिसमें कई महत्वपूर्ण बदलाव प्रस्तावित हैं:

प्रमुख प्रस्तावित बदलाव:

मुआवजा दावों को मूल अनुबंध मूल्य तक सीमित करना

दायित्व दावों के लिए निश्चित समय सीमा तय करना

आपूर्तिकर्ताओं के लिए असीमित दायित्व को हटाना

अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप, जहां ऑपरेटर ही मुख्य सुरक्षा जिम्मेदार होता है

संसद में समय-सीमा

संशोधित विधेयक जुलाई 2025 के मानसून सत्र में पेश होने की संभावना है। यह समय-सीमा प्रधानमंत्री मोदी की संभावित अमेरिका यात्रा और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन के साथ चल रही चर्चाओं के अनुरूप है।

न्यूक्लियर एनर्जी मिशन 2025: ₹20,000 करोड़ का निवेश

बजट 2025 की घोषणाएं

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट 2025-26 में ₹20,000 करोड़ के परिव्यय के साथ न्यूक्लियर एनर्जी मिशन की घोषणा की। इस मिशन के प्रमुख बिंदु:

स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR) विकास:

स्वदेशी SMR के लिए अनुसंधान एवं विकास कार्यक्रम

लक्ष्य: 2033 तक पांच SMR चालू करना

औद्योगिक क्षेत्रों और दूरदराज के इलाकों में तैनाती

निजी क्षेत्र की भागीदारी:

परमाणु ऊर्जा अधिनियम 1962 में संशोधन से निजी निवेश को अनुमति

परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में 49% तक विदेशी निवेश की अनुमति

विदेशी निवेश के लिए सरकारी मंजूरी आवश्यक

2047 के लिए महत्वाकांक्षी लक्ष्य

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि 100 GW परमाणु क्षमता प्राप्त करने के लिए हर साल लगभग 4 GW जोड़ना होगा। वर्तमान में भारत के पास 22 परमाणु रिएक्टर हैं, जिनकी कुल क्षमता 8 GW से थोड़ी अधिक है, जो कुल स्थापित विद्युत क्षमता का केवल 2% है।

रुकी हुई विदेशी परियोजनाओं पर असर

जैतापुर न्यूक्लियर पावर प्रोजेक्ट

फ्रांस समर्थित जैतापुर परियोजना, जो 2009 में हस्ताक्षरित हुई थी, एक दशक से अधिक समय से रुकी हुई है। इस परियोजना में Electricité de France (EDF) द्वारा छह परमाणु रिएक्टरों का निर्माण शामिल है, जिनकी कुल क्षमता 10,380 मेगावाट है। हालिया घटनाक्रम:

पर्यावरणीय स्वीकृति दिसंबर 2022 के बाद नवीनीकरण के अधीन

तकनीकी समझौते अंतिम, वाणिज्यिक शर्तों पर चर्चा जारी

भारत के 100 GW लक्ष्य में 10% योगदान की संभावना

अमेरिकी कंपनियों की रुचि

संशोधन की घोषणाओं के बाद प्रमुख अमेरिकी परमाणु कंपनियों ने फिर से रुचि दिखाई है:

वेस्टिंगहाउस इलेक्ट्रिक: आंध्र प्रदेश के कोव्वाडा में छह रिएक्टर लगाने की योजना

जनरल इलेक्ट्रिक: संशोधन के बाद संभावित बाजार प्रवेश

दोनों कंपनियों ने पहले दायित्व संबंधी चिंताओं को मुख्य बाधा बताया था

अंतरराष्ट्रीय संदर्भ और रणनीतिक महत्व

भारत-अमेरिका परमाणु संबंध

प्रस्तावित संशोधन भारत-अमेरिका परमाणु सहयोग में सुधार के साथ मेल खाते हैं। जनवरी 2025 में वाशिंगटन ने तीन भारतीय परमाणु संस्थाओं पर लगे प्रतिबंध हटा दिए, जिससे नए सहयोग के रास्ते खुले। ये संशोधन महत्वपूर्ण हैं:

2030 तक $500 बिलियन के द्विपक्षीय व्यापार सौदों के लिए

अमेरिका के साथ रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने के लिए

वैश्विक परमाणु तकनीक और निवेश आकर्षित करने के लिए

वैश्विक परमाणु पुनर्जागरण

अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) के अनुसार, 2025 में परमाणु ऊर्जा उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने की संभावना है, जो वैश्विक कम-कार्बन संक्रमण प्रयासों से प्रेरित है। भारत के संशोधन इस वैश्विक परमाणु पुनर्जागरण और जलवायु प्रतिबद्धताओं के अनुरूप हैं।

कानूनी और संवैधानिक चुनौतियां

धारा 46 की अस्पष्टता

कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि CLNDA की धारा 46 अन्य कानूनों के तहत नागरिक दावों की अनुमति देती है, जिससे ऑपरेटर दायित्व सीमा के बावजूद आपूर्तिकर्ताओं के लिए असीमित दायित्व की संभावना बनी रहती है। यह प्रावधान कानून के उद्देश्य - केवल ऑपरेटर पर दायित्व केंद्रित करने - के विपरीत है।

CSC अनुपालन मुद्दे

भारत ने 2016 में कन्वेंशन ऑन सप्लीमेंटरी कंपन्सेशन (CSC) को अनुमोदित किया था, लेकिन आपूर्तिकर्ता दायित्व संबंधी प्रावधान CSC के विशेष ऑपरेटर दायित्व सिद्धांत से मेल नहीं खाते। प्रस्तावित संशोधन इस असंगति को दूर करने का प्रयास हैं।

आपकी परीक्षा की तैयारी के लिए क्यों महत्वपूर्ण है

यूपीएससी प्रीलिम्स के लिए प्रासंगिकता

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी: परमाणु ऊर्जा, रिएक्टर तकनीक, स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR)

करेंट अफेयर्स: हालिया नीति परिवर्तन, अंतरराष्ट्रीय समझौते, ऊर्जा सुरक्षा

राजव्यवस्था: विधायी प्रक्रिया, संवैधानिक संशोधन, संसदीय कार्यवाही

अंतरराष्ट्रीय संबंध: भारत-अमेरिका संबंध, परमाणु सहयोग समझौते, रणनीतिक साझेदारी

यूपीएससी मेन्स के लिए महत्व

GS पेपर II (शासन): नीति निर्माण, विधायी चुनौतियां, सरकारी पहल

GS पेपर II (अंतरराष्ट्रीय संबंध): द्विपक्षीय समझौते, रणनीतिक साझेदारी, ऊर्जा कूटनीति

GS पेपर III (अर्थव्यवस्था): ऊर्जा क्षेत्र में सुधार, विदेशी निवेश नीति, अवसंरचना विकास

GS पेपर III (पर्यावरण): स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण, जलवायु परिवर्तन शमन, सतत विकास

पुनरावृत्ति के लिए मुख्य शब्द

CLNDA 2010: सिविल लायबिलिटी फॉर न्यूक्लियर डैमेज एक्ट के प्रावधान और विवाद

धारा 17(बी): भारतीय कानून की विशिष्ट आपूर्तिकर्ता दायित्व धारा

CSC ढांचा: कन्वेंशन ऑन सप्लीमेंटरी कंपन्सेशन के सिद्धांत

न्यूक्लियर एनर्जी मिशन: 2025 के लिए ₹20,000 करोड़ की सरकारी पहल

SMR तकनीक: स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर और उनकी रणनीतिक महत्ता

100 GW लक्ष्य: 2047 तक भारत का परमाणु क्षमता लक्ष्य

परीक्षा रणनीति सुझाव

परमाणु दायित्व सुधारों को भारत की ऊर्जा सुरक्षा रणनीति से जोड़ें

विदेशी निवेश आकर्षण और घरेलू सुरक्षा चिंताओं के बीच संतुलन को समझें

घरेलू परमाणु नीति को आकार देने में अंतरराष्ट्रीय कानून की भूमिका का विश्लेषण करें

भोपाल गैस त्रासदी के ऐतिहासिक संदर्भ का प्रभाव समझें

परमाणु नीति और जलवायु परिवर्तन प्रतिबद्धताओं/सतत विकास लक्ष्यों के अंतर्संबंध का अध्ययन करें

यह घटनाक्रम भारत की परमाणु ऊर्जा नीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ है, जो प्रतियोगी परीक्षाओं के समग्र करेंट अफेयर्स की तैयारी के लिए अत्यंत आवश्यक है।

आंतरिक लिंक:

भारत की ऊर्जा सुरक्षा रणनीति और परमाणु ऊर्जा

भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी: रक्षा और तकनीकी सहयोग

बाहरी संदर्भ:

IAEA: कन्वेंशन ऑन सप्लीमेंटरी कंपन्सेशन फॉर न्यूक्लियर डैमेज

विदेश मंत्रालय: भारत-अमेरिका सिविल न्यूक्लियर सहयोग