क्लाइमेट चेंज परफॉर्मेंस इंडेक्स 2025: मुख्य रैंकिंग, भारत की स्थिति और Nexus रिपोर्ट | Atharva Examwise

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क्लाइमेट चेंज परफॉर्मेंस इंडेक्स 2025: जलवायु जवाबदेही का एक महत्वपूर्ण टूल

क्लाइमेट चेंज परफॉर्मेंस इंडेक्स (CCPI) 2025, जिसे Germanwatch, CAN International और NewClimate Institute द्वारा जारी किया गया है, 63 देशों और यूरोपीय संघ के जलवायु कार्रवाई के प्रयासों का मूल्यांकन करता है। 64 बड़े उत्सर्जक देशों में से केवल 22 ही प्रगति कर रहे हैं, यह रिपोर्ट वैश्विक जलवायु शमन में गंभीर खामियों को उजागर करती है। यह लेख प्रमुख निष्कर्ष, भारत की स्थिति और IPBES Nexus रिपोर्ट से जुड़े तथ्यों को संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत करता है — UPSC अभ्यर्थियों के लिए अनिवार्य।

क्लाइमेट चेंज परफॉर्मेंस इंडेक्स (CCPI) क्या है?

उद्देश्य: चार श्रेणियों में राष्ट्रीय जलवायु शमन प्रयासों को ट्रैक करता है:

GHG उत्सर्जन (कुल स्कोर का 40%)

नवीकरणीय ऊर्जा (20%)

ऊर्जा उपयोग (20%)

जलवायु नीति (20%)

प्रकाशक: Germanwatch, NewClimate Institute और Climate Action Network International

दायरा: वैश्विक GHG उत्सर्जन का 90% कवर करता है

CCPI 2025 की मुख्य झलकियाँ

वैश्विक रैंकिंग: प्रगति बनाम पिछड़ापन

शीर्ष प्रदर्शनकर्ता:

डेनमार्क (4वां स्थान): नवीकरणीय ऊर्जा (बहुत उच्च) और जलवायु नीति (उच्च) में अग्रणी।

नीदरलैंड (5वां): GHG उत्सर्जन में मजबूत कमी।

यूनाइटेड किंगडम (6वां): कोयला चरणबद्धता और जीवाश्म ईंधन लाइसेंस प्रतिबंधों के कारण सुधार।

भारत की रैंक: 10वां (स्कोर: 67.99), GHG उत्सर्जन और ऊर्जा उपयोग में उत्कृष्ट, लेकिन नवीकरणीय ऊर्जा में पिछड़ रहा है।

निचले 10: ईरान (17.47), सऊदी अरब (18.15), UAE (19.54), रूस (23.54)

महत्वपूर्ण निष्कर्ष:

केवल 22 देश ट्रैक पर हैं; 42 पिछड़ रहे हैं।

G20 देश (75% उत्सर्जन) में अधिकांश निम्न रैंकिंग पर, सिर्फ भारत और UK अपवाद।

कोयला निर्भरता के कारण भारत की प्रगति बाधित, हालांकि सौर ऊर्जा में उल्लेखनीय वृद्धि।

भारत की जलवायु कार्रवाई: प्रगति और चुनौतियाँ

नवीकरणीय ऊर्जा:

बड़े स्तर पर सौर ऊर्जा परियोजनाएँ और रूफटॉप सोलर योजना का क्रियान्वयन।

विशेष रूप से दोपहिया वाहनों में इलेक्ट्रिक वाहन (EV) को बढ़ावा

कोयला निर्भरता:

कोयला उत्पादन बढ़ाने की योजनाएँ; चरणबद्धता धीमी गति से।

नीति अंतराल: ऊर्जा दक्षता मानकों और नवीकरणीय ऊर्जा कवरेज में कमी।

CCPI से आगे: IPBES Nexus रिपोर्ट

Nexus रिपोर्ट (IPBES) ने पांच संकटों को जोड़ा: जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता हानि, खाद्य असुरक्षा, जल संकट और स्वास्थ्य जोखिम। मुख्य बिंदु:

आपस में जुड़े संकट:

उदाहरण: कृषि भूमि बढ़ाना खाद्य उत्पादन को बढ़ाता है, लेकिन जैव विविधता और जल संसाधनों को नुकसान पहुंचाता है।

समन्वित समाधान:

कार्बन-समृद्ध पारिस्थितिक तंत्र (जैसे वन, मैंग्रोव) का पुनर्स्थापन।

सतत आहार और प्रकृति-आधारित शहरी समाधान अपनाना।

आर्थिक लागत: इन मुद्दों की अनदेखी से हर साल $10–25 ट्रिलियन का नुकसान।

आपके परीक्षा की तैयारी के लिए क्यों जरूरी है?

UPSC प्रीलिम्स:

CCPI, IPBES जैसे इंडेक्स और रिपोर्ट्स पर सीधे प्रश्न।

उदाहरण: "क्लाइमेट चेंज परफॉर्मेंस इंडेक्स किस संस्था द्वारा प्रकाशित किया जाता है?"

मेन (GS III):

विषय: पर्यावरणीय शासन, नवीकरणीय ऊर्जा, सतत विकास।

निबंध विषय: "जलवायु और जैव विविधता संकट के लिए समन्वित दृष्टिकोण।"

इंटरव्यू:

भारत की कोयला नीति या वैश्विक रैंकिंग पर विश्लेषणात्मक चर्चा।

अन्य प्रतियोगी परीक्षाएँ:

SSC, राज्य PSC: जलवायु इंडेक्स और अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट्स पर करेंट अफेयर्स।

आंतरिक लिंक:

ग्लोबल बायोडायवर्सिटी फ्रेमवर्क 2030: UPSC के लिए विश्लेषण

भारत में नवीकरणीय ऊर्जा नीतियाँ

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