वैश्विक सैन्य खर्च 2024 में रिकॉर्ड $2.7 ट्रिलियन पार: UPSC करेंट अफेयर्स के लिए SIPRI रिपोर्ट विश्लेषण

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परिचय: दुनिया में अभूतपूर्व सैन्य निर्माण की होड़

स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की हालिया रिपोर्ट (अप्रैल 2025) के अनुसार, दुनिया शीत युद्ध के बाद सबसे बड़े सैन्य खर्च की गवाह बन रही है। वैश्विक सैन्य खर्च 2024 में रिकॉर्ड $2.7 ट्रिलियन (2718 अरब डॉलर) तक पहुँच गया है, जो 2023 की तुलना में 9.4% अधिक है और लगातार दसवें वर्ष वृद्धि दर्शाता है। यह वृद्धि मुख्य रूप से यूक्रेन और गाजा में जारी संघर्षों तथा इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में बढ़ती तनावपूर्ण स्थितियों के कारण देखी जा रही है।

सैन्य खर्च में इस उछाल के साथ ही हथियार उद्योग भी तेजी से बढ़ा है। दुनिया की शीर्ष 100 हथियार कंपनियों का कुल राजस्व 2023 में $632 अरब डॉलर रहा, जो पिछले वर्ष की तुलना में 4.2% अधिक है। ये घटनाक्रम अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा पर गहरा प्रभाव डालते हैं और UPSC एवं अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

वैश्विक सैन्य खर्च के रुझान: आँकड़ों का विश्लेषण

खर्च के रिकॉर्ड स्तर

कुल सैन्य खर्च: $2.718 ट्रिलियन (2024)

वैश्विक GDP में हिस्सा: 2.5%

प्रति व्यक्ति खर्च: $334 (1990 के बाद सबसे अधिक)

2015-2024 के बीच वृद्धि: 37%

100+ देशों ने सैन्य बजट बढ़ाया

शीर्ष 15 खर्चीले देश: सभी ने बजट में वृद्धि की

क्षेत्रीय वितरण

यूरोप: 17% की वृद्धि (यूक्रेन युद्ध का प्रभाव)

मध्य पूर्व: 15% की वृद्धि (गाजा संघर्ष के कारण)

सभी क्षेत्रों में लगातार दूसरे वर्ष वृद्धि

शीर्ष सैन्य खर्चीले देश: पाँच देशों का दबदबा

अमेरिका: सबसे आगे

खर्च: $997 अरब (2024)

वैश्विक हिस्सेदारी: 37%

NATO खर्च में हिस्सा: 66%

प्रमुख निवेश: F-35 विमान, नौसेना पोत, मिसाइल सिस्टम

चीन: रणनीतिक निवेश

खर्च: $314 अरब (2024)

हथियार कंपनियों का कुल राजस्व: $103 अरब

रूस: युद्धकालीन खर्च

खर्च: $149 अरब (2024)

2023 की तुलना में वृद्धि: 38%

GDP में हिस्सा: 7.1%

सरकारी खर्च में हिस्सा: 19%

जर्मनी: यूरोप में अग्रणी

खर्च: $88.5 अरब (2024)

2023 की तुलना में वृद्धि: 28%

वैश्विक रैंक: चौथा

भारत: बढ़ता रक्षा निवेश

खर्च: $86.1 अरब (2024)

2023 की तुलना में वृद्धि: 1.6%

पाकिस्तान की तुलना में 9 गुना अधिक

वैश्विक हथियार उद्योग का राजस्व

शीर्ष 100 कंपनियों का रिकॉर्ड राजस्व

कुल राजस्व: $632 अरब (2023)

2022 की तुलना में वृद्धि: 4.2%

73 कंपनियों ने राजस्व में वृद्धि दर्ज की

क्षेत्रीय वितरण

अमेरिका: 41 कंपनियाँ, $317 अरब (कुल का 50%)

यूरोप: $133 अरब

एशिया-ओशिनिया: $136 अरब

शीर्ष 5 हथियार कंपनियाँ (अमेरिका आधारित)

लॉकहीड मार्टिन: $60.8 अरब (F-35, PAC-3, C-130, THAAD)

RTX (पूर्व नाम रेथियॉन): $40.7 अरब (पैट्रियट मिसाइल, टॉमहॉक)

नॉर्थ्रॉप ग्रुम्मन: $35.6 अरब (B-21 बॉम्बर, UAV, मिसाइल)

बोइंग: $31.1 अरब (F-15, F/A-18, अपाचे)

जनरल डायनामिक्स: $30.2 अरब (M1A2 टैंक, पनडुब्बी)

प्रमुख हथियार सौदे

अमेरिका-सऊदी अरब: $142 अरब की ऐतिहासिक रक्षा डील (अब तक की सबसे बड़ी)

अमेरिका-कतर: MQ-9B ड्रोन के लिए लगभग $2 अरब की डील

कतर: F-15, अपाचे हेलीकॉप्टर, मिसाइल डिफेंस सिस्टम की खरीद

वैश्विक हथियार व्यापार में भारत की स्थिति

आयात पर निर्भरता

वैश्विक आयात में हिस्सा: 8.3% (दूसरा स्थान)

यूक्रेन पहले स्थान पर: 8.8% (युद्ध के कारण)

भारत की आत्मनिर्भरता की चुनौती

घरेलू रक्षा उद्योग

तीन भारतीय कंपनियाँ: HAL, BEL, MDL (कुल राजस्व $6.74 अरब, 5.8% वृद्धि)

HAL: $3.7 अरब (लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट, हेलीकॉप्टर)

प्रमुख निर्यातक देशों से संबंध

फ्रांस: भारत को 38% निर्यात

रूस: 34%

इज़राइल: 28%

भू-राजनीतिक प्रभाव और सुरक्षा परिदृश्य

संघर्ष-प्रेरित खर्च

यूक्रेन: GDP का 34% सैन्य खर्च (2024 में सबसे अधिक)

सैन्य खर्च: $64.7 अरब (सभी टैक्स राजस्व सैन्य खर्च में)

क्षेत्रीय सुरक्षा प्रतिस्पर्धा

एशिया-प्रशांत: दक्षिण कोरिया (+39%), जापान (+35%), ताइवान (+27%)

मध्य पूर्व: इज़राइल का खर्च 65% बढ़ा (गाजा युद्ध)

आर्थिक-सामाजिक प्रभाव

वैश्विक सरकारी खर्च में सैन्य खर्च: 7.1%

अन्य क्षेत्रों पर असर: शिक्षा, स्वास्थ्य आदि पर बजट कम

प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए मुख्य तथ्य

महत्वपूर्ण आँकड़े

वैश्विक सैन्य खर्च: $2.718 ट्रिलियन (2024)

वैश्विक GDP में हिस्सा: 2.5%

शीर्ष 5 देश: 60% खर्च

हथियार उद्योग राजस्व: $632 अरब (2023)

भारत का खर्च: $86.1 अरब (5वाँ स्थान)

भारत का आयात: 8.3% (दूसरा स्थान)

प्रमुख रक्षा सौदे

अमेरिका-सऊदी अरब: $142 अरब

अमेरिका-कतर: $2 अरब (ड्रोन)

GE वर्नोवा-सऊदी अरब: $14.2 अरब (ऊर्जा)

क्षेत्रीय रुझान

यूरोप: 17% वृद्धि (यूक्रेन युद्ध)

मध्य पूर्व: 15% (गाजा)

सभी क्षेत्रों में वृद्धि

आपकी परीक्षा तैयारी के लिए क्यों महत्वपूर्ण है

UPSC मुख्य परीक्षा में प्रासंगिकता

GS पेपर-2 (अंतरराष्ट्रीय संबंध): सैन्य खर्च से बदलते वैश्विक शक्ति संतुलन, सुरक्षा गठबंधन, क्षेत्रीय सुरक्षा जटिलताएँ समझें।

GS पेपर-3 (आंतरिक सुरक्षा): भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता, मेक इन इंडिया, रक्षा खरीद की जटिलता, रणनीतिक स्वायत्तता।

आर्थिक-सामाजिक प्रभाव: संसाधनों का आवंटन, अवसर लागत, सामाजिक क्षेत्र पर प्रभाव।

करेंट अफेयर्स में उपयोग

आधुनिक सुरक्षा चुनौतियाँ, हथियार व्यापार, रक्षा बजट, अंतरराष्ट्रीय सहयोग जैसे विषयों पर ठोस डेटा।

निबंध और साक्षात्कार: "मिलिट्री-इंडस्ट्रियल कॉम्प्लेक्स", "वैश्विक सुरक्षा चुनौतियाँ", "भारत की रणनीतिक स्वायत्तता" जैसे विषयों के लिए उपयुक्त उदाहरण।

इंटरनल लिंक (Atharva Examwise के संबंधित लेख)

भारत की रक्षा नीति और आत्मनिर्भरता

अंतरराष्ट्रीय संबंधों में हालिया घटनाक्रम

एक्सटर्नल रेफरेंस

SIPRI रिपोर्ट 2025

आपकी परीक्षा तैयारी के लिए क्यों जरूरी है

यह विषय UPSC के GS-2, GS-3, निबंध एवं इंटरव्यू के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

वैश्विक सुरक्षा, हथियार व्यापार, भारत की रक्षा नीति, और आर्थिक-सामाजिक प्रभाव जैसे मुद्दों पर ठोस तथ्यों के साथ उत्तर लिखने में मदद करेगा।

इंटरव्यू में समसामयिक सुरक्षा चुनौतियों, भारत के रक्षा संबंधों, और रणनीतिक स्वायत्तता पर आधारित प्रश्नों के लिए तैयार रहने में सहायक।

नोट: ऐसे करेंट अफेयर्स विषयों पर गहरी समझ और डेटा आधारित विश्लेषण आपकी उत्तर लेखन क्षमता और चयन की संभावना को बढ़ा सकते हैं।

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