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भारत ने अप्रैल 2025 के पहलगाम आतंकी हमले के बाद सिंधु जल संधि को स्थगित किया। जानिए इसका इतिहास, प्रावधान, और परीक्षा की दृष्टि से महत्व।

सिंधु जल संधि: ऐतिहासिक जल समझौते से वर्तमान भू-राजनीतिक तनाव तक

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परिचय

सिंधु जल संधि, भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में हस्ताक्षरित एक ऐतिहासिक जल साझाकरण समझौता है। यह न सिर्फ अंतरराष्ट्रीय जल कानून का एक सफल उदाहरण रहा है, बल्कि दो युद्धरत देशों के बीच विश्वास का आधार भी बना।
हालांकि 23 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने इस संधि को तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया, जिससे क्षेत्रीय भू-राजनीति में नया मोड़ आ गया।

सिंधु जल संधि की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

भारत-पाक जल विवाद की शुरुआत

1947 के विभाजन के बाद सिंधु नदी प्रणाली के स्रोत भारत में और बहाव पाकिस्तान में होने से जल बंटवारा विवादित हो गया।

भारत ने 1948 में अस्थायी रूप से पाकिस्तान की जल आपूर्ति रोक दी थी, जिसके बाद विवाद संयुक्त राष्ट्र तक गया।

विश्व बैंक की मध्यस्थता और संधि का जन्म

अमेरिकी विशेषज्ञ डेविड लिलिएंथल और विश्व बैंक की पहल पर दोनों देशों के बीच बातचीत शुरू हुई।

6 साल की वार्ता के बाद 1960 में नेहरू और अयूब खान ने संधि पर हस्ताक्षर किए।

सिंधु जल संधि के प्रमुख प्रावधान

नदियों का बंटवारा

पूर्वी नदियाँ (रावी, ब्यास, सतलुज) — भारत को

पश्चिमी नदियाँ (सिंधु, झेलम, चिनाब) — पाकिस्तान को

भारत के लिए सीमित उपयोग

701,000 एकड़ सिंचाई हेतु

1.54 अरब घन मीटर भंडारण की सीमा

बिजली उत्पादन, घरेलू और गैर-खपत उपयोग की अनुमति

विवाद निवारण तंत्र

स्थायी सिंधु आयोग की स्थापना

तीन-स्तरीय समाधान प्रक्रिया: प्रश्न → मतभेद → विवाद

1960 में राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

कांग्रेस के भीतर भी विरोध था लेकिन पंडित नेहरू की आलोचना कोई खुलकर नहीं कर पाया।

कई विशेषज्ञों ने इसे पाकिस्तान के लिए अधिक अनुकूल माना।

🇮🇳 भारत बनाम 🇵🇰 – संधि के लाभ और सीमाएं

भारत के लिए:

लाभ:

पूर्वी नदियों पर पूर्ण नियंत्रण

शांतिपूर्ण वैश्विक छवि

सीमाएं:

केवल 20% जल हिस्सेदारी

जम्मू-कश्मीर में जल संकट

रावी नदी का पानी अप्रयुक्त बहता रहा

पाकिस्तान के लिए:

लाभ:

80% जल पर अधिकार

कृषि के लिए पर्याप्त सिंचाई जल

सीमाएं:

भारत पर निर्भरता

जल प्रबंधन में स्वायत्तता की कमी

संधि का द्विपक्षीय संबंधों पर प्रभाव

1965, 1971, और 1999 के युद्धों के बावजूद संधि बनी रही

संवाद के लिए स्थायी सिंधु आयोग सक्रिय रहा

लेकिन कश्मीर और आतंकवाद ने तनाव बढ़ाया

अप्रैल 2025: पहलगाम आतंकी हमला और भारत की प्रतिक्रिया

23 अप्रैल 2025 को पहलगाम में 26 नागरिक मारे गए

भारत की प्रमुख प्रतिक्रियाएं:

सिंधु जल संधि स्थगित

अटारी बॉर्डर बंद

पाकिस्तानी नागरिकों के वीज़ा रद्द

विदेश सचिव विक्रम मिश्री: "जब तक पाकिस्तान आतंकवाद का त्याग नहीं करता, संधि निलंबित रहेगी"

संधि स्थगन के प्रभाव

पाकिस्तान पर प्रभाव

जल संकट: कृषि, पेयजल और जीवनशैली पर गहरा असर

आर्थिक संकट: खाद्य उत्पादन घटेगा, ग्रामीण अर्थव्यवस्था चरमरा सकती है

राजनीतिक दबाव: अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अलगाव का खतरा

भारत के लिए रणनीतिक लाभ

राजनीतिक संदेश स्पष्ट: "रक्त और पानी एकसाथ नहीं बह सकते"

संधि को ‘स्थगित’ करना कानूनी रूप से रद्दीकरण नहीं है, लेकिन दबाव की रणनीति है

प्रमुख तथ्य – एक नज़र में

✅ 1960 में हस्ताक्षरित, विश्व बैंक की मध्यस्थता से बनी

✅ भारत को 20%, पाकिस्तान को 80% जल मिला

✅ भारत ने पहली बार संधि को स्थगित किया (अप्रैल 2025)

✅ सिंधु नदी प्रणाली पाकिस्तान की कृषि का आधार है

✅ संधि का निलंबन पाकिस्तान की जल-सुरक्षा को खतरे में डालता है

Why this matters for exams

UPSC/MPPSC Prelims & Mains: International treaties, bilateral relations, India-Pakistan issues

Essay Paper: Water as a tool of diplomacy or conflict

Geography: River basins and inter-country water treaties

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