डायर वुल्फ की पुनः वापसी! Game of Thrones से प्रसिद्ध यह विशाल भेड़िया प्रजाति ‘डी-एक्सटिंक्शन’ तकनीक से फिर जीवित. जानें प्रक्रिया, चुनौतियाँ व परीक्षाओं में महत्व.
डायर वुल्फ की वापसी – एक अनोखी खोज
विलुप्त हो चुकी प्रजातियों को दोबारा जीवित करने की कोशिशें इन दिनों वैज्ञानिक दुनिया में चर्चा का विषय हैं। हाल ही में अमेरिकी वैज्ञानिकों ने डायर वुल्फ के डीएनए में बदलाव कर कुछ नए भेड़ियों को जन्म दिया है। यह आर्टिकल current affairs March 2025 के अंतर्गत आपके लिए एक ताज़ा daily GK update प्रस्तुत करता है। आइए समझते हैं कि यह प्राचीन प्रजाति क्यों खास है और इसे वापस लाने में कौन-सी तकनीक उपयोग में लाई गई।
डायर वुल्फ कौन थे और क्यों हुए विलुप्त?
डायर वुल्फ विशालकाय भेड़ियों की एक प्रजाति थी, जो लगभग 13,000 साल पहले धरती से विलुप्त हो गई।
इनके विलुप्त होने के पीछे मुख्य कारण थे – शिकार की कमी और मानव-शिकारियों द्वारा बड़े पैमाने पर इनका शिकार किया जाना।
यह वही प्रजाति है जो लोकप्रिय अमेरिकी ड्रामा सीरीज़ Game of Thrones में दिखाई गई, जिससे ये पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बन गए।
यह खबर Atharva Examwise current news के जरिये छात्रों के बीच भी काफी लोकप्रिय है, खासकर उन लोगों के लिए जो competitive exam news पर नज़र रखते हैं।
डी-एक्सटिंक्शन तकनीक – डायर वुल्फ की वापसी का रहस्य
कोलोसल बायोसाइंसेज, डलास स्थित बायोटेक कंपनी ने डायर वुल्फ के अस्तित्व को फिर से संभव बनाया। इस प्रक्रिया को ‘डी-एक्सटिंक्शन’ कहा जाता है, जिसमें जीवाश्म से प्राप्त डीएनए को संशोधित कर आधुनिक प्रजातियों के साथ जोड़ा जाता है।
कैसे की गई यह प्रक्रिया?
डीएनए का संग्रह:
वर्ष 2021 में वैज्ञानिकों ने डायर वुल्फ के जीवाश्मों से डीएनए निकाला।
आधुनिक जीन में बदलाव:
ग्रे वुल्फ के 20 जीनों में बदलाव किए गए ताकि डायर वुल्फ जैसी कुछ विशेषताएँ – बड़ा आकार और घना, हल्का कोट – प्राप्त की जा सकें।
भ्रूण निर्माण:
बदले हुए जीन से भ्रूण बनाए गए और उन्हें सरोगेट कुत्तों में प्रत्यारोपित किया गया।
नए भेड़ियों का जन्म:
इस प्रक्रिया से रोमुलस, रेमुस और खलीसी नाम के तीन भेड़िये पैदा हुए।
नए भेड़ियों की खासियत
ये भेड़िए ग्रे वुल्फ की तुलना में 20% बड़े हैं।
इनका कोट सफेद और घना है।
ये पूरी तरह मूल डायर वुल्फ नहीं हैं, क्योंकि असली डायर वुल्फ से तुलना करने पर 80 जीन अलग हैं। वर्तमान प्रक्रिया में केवल 20 जीन बदले गए हैं।
तकनीक का महत्व और संभावनाएँ
कोलोसल की चीफ साइंटिस्ट बेथ शापिरो का मानना है कि यह तकनीक आगे चलकर संकटग्रस्त प्रजातियों जैसे रेड वुल्फ को बचाने में मदद कर सकती है। इसके अलावा, वैज्ञानिक इस तकनीक से 2028 तक वूल्ली मैमथ को भी पुनर्जीवित करने की योजना बना रहे हैं।
चुनौतियाँ और विवाद
कैद में जन्म: वर्तमान में पैदा हुए भेड़िए कैद में जन्मे हैं। उन्हें अगर जंगल में छोड़ा जाए, तो वे छोटे शिकार पर निर्भर होंगे, जहाँ उनकी टक्कर ग्रे वुल्फ से होगी।
संरक्षण चुनौतियाँ: मौजूदा भेड़ियों (जैसे ग्रे वुल्फ, रेड वुल्फ) के लिए पहले से ही संरक्षण-संबंधी परेशानियाँ हैं।
असली डायर वुल्फ या नहीं? कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि जीन के सीमित संशोधन की वजह से ये पूरी तरह डायर वुल्फ नहीं कहे जा सकते।
इन चुनौतियों के बावजूद, यह खबर competitive exam news के लिहाज़ से बेहद अहम मानी जा रही है, क्योंकि यह तकनीक भविष्य में कई अन्य विलुप्त प्रजातियों को वापस लाने की संभावनाओं को खोलती है।
मुख्य बिंदु (Key Takeaways)
डायर वुल्फ: 13,000 साल पहले विलुप्त विशाल भेड़िया प्रजाति, जो Game of Thrones से प्रसिद्ध हुई।
डी-एक्सटिंक्शन तकनीक: जीवाश्म से डीएनए प्राप्त कर आधुनिक प्रजाति में जीन संशोधन के जरिए विलुप्त प्रजातियों को पुनर्जीवित करने की विधि।
कोलोसल बायोसाइंसेज: डलास की बायोटेक कंपनी, जिसने डायर वुल्फ को वापस लाने में सफलता हासिल की।
परिणाम: तीन नए भेड़िए (रोमुलस, रेमुस, खलीसी) पैदा हुए, जो ग्रे वुल्फ से 20% बड़े हैं।
आगे की योजनाएँ: 2028 तक वूल्ली मैमथ को वापस लाने का प्रयास।
चुनौतियाँ: पूरी तरह असली डायर वुल्फ नहीं होना, जंगली पर्यावरण में सर्वाइवल और मौजूदा भेड़िया संरक्षण से जुड़ी समस्याएँ।
Summary / Why this matters for exams
विलुप्त हो चुकी प्रजातियों की वापसी से जुड़े प्रश्न अक्सर UPSC, SSC, बैंकिंग और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में देखने को मिलते हैं। डायर वुल्फ जैसे उदाहरणों से न सिर्फ जैव-तकनीक (Biotechnology) का महत्व उजागर होता है, बल्कि संरक्षण (Conservation) और पर्यावरण (Environment) के विषयों पर भी गंभीर चर्चा को प्रेरणा मिलती है। यह मामला आधुनिक विज्ञान की प्रगति, नैतिक प्रश्नों और पर्यावरण संतुलन जैसे मुद्दों से जुड़ा है, जिन्हें परीक्षाओं में अक्सर शामिल किया जाता है।
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