क्या भारत को अमेरिकी मांगों के अनुसार टैरिफ कम करने चाहिए? जानिए इस UPSC प्रासंगिक बहस में वैश्विक व्यापार, टैरिफ और भारत की नीति का विश्लेषण।
क्या अमेरिका की नीतियों को देखते हुए भारत को टैरिफ कम कर देना चाहिए?
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा कई देशों पर प्रतिस्पर्धी टैरिफ लगाने के फैसले ने वैश्विक व्यापार व्यवस्था में हलचल मचा दी है। इससे भारत के सामने यह अहम सवाल खड़ा हुआ है — क्या भारत को टैरिफ घटाने चाहिए?
यह विषय UPSC, SSC और बैंकिंग परीक्षाओं की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों के लिए न केवल समसामयिक है, बल्कि अर्थव्यवस्था और अंतरराष्ट्रीय संबंध जैसे टॉपिक्स के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
टैरिफ क्या होते हैं और ये क्यों महत्वपूर्ण हैं?
टैरिफ (शुल्क) वह कर होता है जो सरकार विदेशी वस्तुओं के आयात पर लगाती है। इसका मुख्य उद्देश्य होता है:
घरेलू उद्योगों की रक्षा करना
सरकारी राजस्व बढ़ाना
व्यापार के संतुलन को नियंत्रित करना
लेकिन इसका नकारात्मक प्रभाव यह है कि उपभोक्ताओं को महंगी वस्तुएं खरीदनी पड़ती हैं और देश की आर्थिक दक्षता पर असर पड़ता है।
📝 UPSC तैयारी टिप: GS पेपर 3 (अर्थव्यवस्था) में टैरिफ से जुड़ी नीतियों पर सवाल आ सकते हैं, जैसे — "टैरिफ के माध्यम से आत्मनिर्भरता बनाम वैश्वीकरण पर चर्चा करें।"
विशेषज्ञों की राय: टैरिफ और आर्थिक विकास
क्यों अर्थशास्त्री कम टैरिफ के पक्षधर हैं
लवीश भंडारी के अनुसार:
कम टैरिफ उपभोक्ताओं और बाजार दक्षता के लिए फायदेमंद हैं
अधिक टैरिफ से प्रतिस्पर्धा घटती है
गैर-टैरिफ बाधाओं को भी खत्म करना जरूरी है
अजय शाह का तर्क:
विविध दरों वाले टैरिफ बाजार को विकृत करते हैं
यदि टैरिफ लगाएं तो सीमित और समान दरें होनी चाहिए
अस्पर्धात्मक कंपनियों को बंद होना चाहिए, ताकि संसाधनों का बेहतर उपयोग हो सके
🇮🇳🔁🇺🇸 ट्रंप की टैरिफ नीति और भारत की रणनीति
क्या ट्रंप की टैरिफ नीति सिर्फ सौदेबाजी का जरिया थी?
लवीश भंडारी मानते हैं:
ट्रंप की नीति आक्रामक जरूर थी, लेकिन WTO जैसे मंच आज अप्रभावी हो चुके हैं
अलग-अलग देशों के लिए अलग नियम बनाना नुकसानदायक हो सकता है
फिर भी, किसी भी देश को अपने टैरिफ कम करवाने का यही एकमात्र तरीका हो सकता था
अजय शाह कहते हैं:
ट्रंप की रणनीति सभी देशों के खिलाफ थी, केवल चीन के नहीं
उनका दृष्टिकोण अस्पष्ट था — अगर भारत टैरिफ कम कर भी दे, तब भी यह तय नहीं कि अमेरिका शुल्क खत्म करेगा
इससे वैश्विक व्यापार प्रणाली को गहरा नुकसान हो सकता है
गैर-टैरिफ व्यापार बाधाएं: भारत के लिए कितनी अहम?
गैर-टैरिफ बाधाएं (NTBs) जैसे:
गुणवत्ता मानक
लाइसेंसिंग नियम
सीमा शुल्क प्रक्रियाएं
ये अक्सर सीधी रोक नहीं लगातीं लेकिन आयात को कठिन बना देती हैं।
भंडारी और शाह दोनों सहमत हैं कि:
गैर-टैरिफ बाधाएं अधिक गहन और छुपी हुई होती हैं
यह वैश्विक व्यापार को गहराई से प्रभावित करती हैं
भारत समेत लगभग सभी देश इनका उपयोग करते हैं
📌 बैंकिंग परीक्षा रणनीति: NTB जैसे विषय सामान्य जागरूकता और अर्थव्यवस्था सेक्शन में पूछे जाते हैं। उदाहरण: यूरोप में भारतीय अंगूर के लिए गुणवत्ता मानक।
🇮🇳 भारत क्या करे? संरक्षणवाद या वैश्वीकरण?
नीति विशेषज्ञों के सुझाव
तुरंत टैरिफ कम न करें, उद्योगों को समायोजित करने का समय दें
लंबी अवधि की योजना घोषित करें जैसे — हर वर्ष टैरिफ 5% कम हो
वैश्विक प्रतिस्पर्धा को अपनाएं, इससे निवेश में वृद्धि होगी
अंतरराष्ट्रीय व्यापार समझौते करें — अमेरिका, यूरोपीय संघ, जापान आदि के साथ
क्या भारत को सभी देशों के साथ एकतरफा मुक्त व्यापार घोषित कर देना चाहिए?
यह जोखिमपूर्ण लग सकता है, लेकिन:
इससे उपभोक्ता को बेहतर विकल्प और सस्ती चीजें मिलेंगी
उद्योगों में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी
निर्यात में सुधार होगा
परीक्षा तैयारी के लिए मुख्य बिंदु
✅ UPSC के लिए:
GS Paper 3 (Economy) और Paper 2 (IR) में उपयोगी
निबंध या वैकल्पिक विषयों में "भारत की व्यापार नीति और संरक्षणवाद" पर लेखन अभ्यास करें
✅ SSC और Banking के लिए:
टैरिफ, NTBs, WTO, FTA जैसे टॉपिक की परिभाषा और वर्तमान घटनाओं पर ध्यान दें
Current Affairs + Economics सेक्शन के लिए यह बहस अत्यंत उपयोगी है
यह विषय प्रतियोगी छात्रों के लिए क्यों ज़रूरी है?
आज भारत की टैरिफ नीति केवल आर्थिक नहीं, बल्कि राजनयिक और रणनीतिक निर्णय भी बन चुकी है। UPSC, SSC और बैंकिंग परीक्षार्थियों को समझना चाहिए:
वैश्विक आर्थिक नीतियों का भारतीय नीतियों पर प्रभाव
भारत का भूमिका एक वैश्विक ट्रेड खिलाड़ी के रूप में
व्यापार बनाम आत्मनिर्भरता की बहस के दोनों पक्ष
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