डीप-सी माइनिंग से समुद्री जैव विविधता और मिडवॉटर ज़ोन खतरे में। जानें March 2025 के टॉप पर्यावरणीय करंट अफेयर्स | Atharva Examwise
डीप-सी माइनिंग क्या है और क्यों बना यह March 2025 का बड़ा करंट अफेयर?
डीप-सी माइनिंग यानी समुद्र की गहराई से निकेल, कोबाल्ट, मैंगनीज़ जैसे बहुमूल्य धातुओं को निकालना। ये धातुएं बैटरियों, मोबाइल्स, विंड टरबाइनों और सैन्य उपकरणों में इस्तेमाल होती हैं।
आजकल माइनिंग कंपनियाँ प्रशांत महासागर के Clarion-Clipperton Zone जैसी जगहों पर इन धातुओं को पाने के लिए समुद्र तल को खंगाल रही हैं।
लेकिन यह प्रक्रिया समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र (Marine Ecosystem) को गहरे स्तर पर नुकसान पहुँचा सकती है – खासकर Midwater Zone को।
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मिडवॉटर ज़ोन: महासागर का अदृश्य जीवन क्षेत्र
Midwater Zone यानी वह क्षेत्र जो समुद्र की सतह से 200 मीटर नीचे शुरू होता है। इसमें Twilight Zone और Midnight Zone शामिल हैं, जहाँ:
अंधेरे में चमकने वाले जीव रहते हैं
व्हेल और ट्यूना जैसे मछलियाँ भोजन के लिए इन्हीं जीवों पर निर्भर हैं
यह क्षेत्र कार्बन डाईऑक्साइड को अवशोषित कर जलवायु परिवर्तन को धीमा करता है
डीप-सी माइनिंग से होने वाले खतरे
1. तलछट (Sediment) के बादल
माइनिंग से उठे मिट्टी और कचरे के बादल पानी में फैलते हैं
यह मछलियों की सांस और भोजन प्रक्रिया को बाधित करते हैं
जैलीफ़िश और सिफोनोफोर जैसे नाज़ुक जीवों पर खास असर
2. समुद्री आवास का विनाश
नोड्यूल्स की खुदाई से जीवों का प्राकृतिक आवास समाप्त
CCZ क्षेत्र के 88-92% जीव वैज्ञानिकों के लिए नए हैं
3. ध्वनि प्रदूषण
भारी मशीनें समुद्री जीवों की संचार और नेविगेशन क्षमता को प्रभावित करती हैं
4. जलवायु चक्र में हस्तक्षेप
Zooplankton के माध्यम से वातावरण से CO₂ हटता है
माइनिंग से इस प्रक्रिया में रुकावट, जलवायु परिवर्तन को और तेज़ कर सकती है
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कब क्या हो रहा है?
International Seabed Authority (ISA) - संयुक्त राष्ट्र द्वारा 1994 में स्थापित संस्था जो डीप-सी माइनिंग को रेगुलेट करती है।
जून 2025: कंपनियाँ ISA को माइनिंग के लिए आवेदन देंगी
जुलाई 2025: ISA की बैठक में रेगुलेशन और पर्यावरण सुरक्षा पर निर्णय होंगे
परीक्षा उपयोगी तथ्य (Key Takeaways for Exams)
Clarion-Clipperton Zone – महासागर में धातुओं का सबसे बड़ा भंडार
200 मीटर नीचे शुरू होता है Midwater Zone
88–92% प्रजातियाँ CCZ में नई खोजी गई हैं
माइनिंग से बना स्लरी पानी में फैल कर हजारों जीवों को प्रभावित कर सकता है
Zooplankton का योगदान जलवायु संतुलन में अहम
परीक्षा के लिए क्यों जरूरी है यह टॉपिक?
UPSC GS Paper 3 – Environment & Biodiversity
MPPSC एवं राज्य PCS – Science & Tech + Current Affairs
SSC, बैंकिंग, रेलवे – Daily GK Update & Static GK
यह विषय सस्टेनेबल डेवलपमेंट बनाम संसाधन दोहन की बहस को उजागर करता है – एक प्रमुख परीक्षा बिंदु।