जानिए 2023-24 में तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के आर्थिक प्रदर्शन, बेरोजगारी दर, प्रति व्यक्ति आय और सेक्टोरल बदलावों की पूरी रिपोर्ट।
📊 परिचय: राष्ट्रीय औसत से पीछे दक्षिणी राज्यों की विकास दर
भारत की GDP जहां 2023-24 में 9.2% की दर से बढ़ी, वहीं दक्षिणी राज्य इस औसत से पीछे रहे। आर्थिक रूप से मजबूत माने जाने वाले तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में विकास दर और रोजगार दोनों को लेकर चिंता जताई जा रही है।
📌 मुख्य तथ्य:
हालांकि इन राज्यों की प्रति व्यक्ति आय ज्यादा है, लेकिन उसका लाभ केवल कुछ ही जिलों तक सीमित है।
📈 राज्यों की GSDP वृद्धि दर (2023-24): भारत बनाम दक्षिणी राज्य
राज्य | GSDP वृद्धि दर (%) |
---|---|
भारत | 9.2% |
तमिलनाडु | 8.2% |
तेलंगाना | 7.4% |
कर्नाटक | 6.6% |
केरल | 6.3% |
आंध्र प्रदेश | 6.2% |
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💰 प्रति व्यक्ति आय: ऊँची लेकिन असमान
2022-23 के आंकड़ों के अनुसार:
तेलंगाना की प्रति व्यक्ति आय सबसे ज्यादा ₹3.11 लाख रही।
लेकिन वहां केवल 3 जिलों की आय राज्य औसत से अधिक है।
केरल ही एकमात्र राज्य है जहां 14 में से 7 जिलों की आय औसत से ऊपर है।
राज्य | औसत प्रति व्यक्ति आय (₹) | औसत से अधिक आय वाले जिले |
---|---|---|
तेलंगाना | ₹3,11,646 | 3 में से 33 जिले |
कर्नाटक | ₹3,04,448 | 4 में से 31 जिले |
केरल | ₹2,96,665 | 7 में से 14 जिले |
तमिलनाडु | ₹2,77,802 | 8 में से 38 जिले |
आंध्र प्रदेश | ₹2,20,671 | 2 में से 26 जिले |
🚧 बेरोजगारी दर: अब भी बड़ी चुनौती
हालांकि 2017-18 की तुलना में सुधार हुआ है, फिर भी भारत की औसत बेरोजगारी दर (4.1%) से ऊपर है अधिकांश राज्यों की स्थिति।
राज्य | बेरोजगारी दर (%) 2023-24 |
---|---|
आंध्र प्रदेश | 7.5% |
तेलंगाना | 6.2% |
तमिलनाडु | 4.5% |
केरल | 3.2% |
कर्नाटक | 2.7% |
भारत औसत | 4.1% |
🔎 नोट करने योग्य:
केवल कर्नाटक की बेरोजगारी दर भारत के औसत से कम है।
👷 श्रम भागीदारी दर (LFPR): अधिकांश राज्य राष्ट्रीय औसत से पीछे
2023-24 में भारत की औसत LFPR 60.1% थी।
आंध्र प्रदेश: 63.3%
तेलंगाना: 61.2%
तमिलनाडु: 58.8%
कर्नाटक: 56.8%
केरल: 56.2%
⚠️ उच्च शिक्षा और आय के बावजूद केरल और कर्नाटक श्रम भागीदारी दर में पिछड़े हैं।
🔄 रोज़गार संरचना में बदलाव: स्वरोजगार में वृद्धि
2017-18 से 2023-24 के बीच:
कैज़ुअल लेबर में कमी आई है
स्वरोज़गार बढ़ा है — खासकर घरेलू उद्यमों में मददगार के रूप में काम करने वाले लोग
नियमित वेतनभोगी कामों में ज़्यादा बदलाव नहीं आया
उदाहरण:
तमिलनाडु: स्वरोज़गार 32.8% से बढ़कर 34.2%, कैज़ुअल लेबर घटकर 31%
तेलंगाना: स्वरोज़गार 8% बढ़कर 55.9%, कैज़ुअल लेबर घटकर 18.7%
🔍 सेक्टरल योगदान: सेवाएं आगे, आंध्र में कृषि का उभार
राज्य | सेवा क्षेत्र (%) FY24 | कृषि क्षेत्र (%) FY24 |
---|---|---|
तेलंगाना | 65.9% | 13.3% |
केरल | 66.1% | 11.5% |
कर्नाटक | 66.7% | 14.2% |
तमिलनाडु | 62.7% | 12.4% |
आंध्र प्रदेश | 50.3% | 34.2% |
🔎 महत्वपूर्ण:
आंध्र प्रदेश में सेवाओं का योगदान घटा, जबकि कृषि क्षेत्र का योगदान बढ़कर 34% से अधिक हो गया।
👉 जानें: भारतीय राज्यों में सेक्टर-वार GDP बदलाव
📌 निष्कर्ष: UPSC, MPPSC और सरकारी परीक्षा विद्यार्थियों के लिए क्या जरूरी है?
रोजगार सृजन की आवश्यकता अभी भी बड़ी चुनौती है
आर्थिक प्रगति कुछ ही जिलों में केंद्रित है
सेवा क्षेत्र दक्षिणी राज्यों की रीढ़ बन चुका है, लेकिन उद्योग क्षेत्र अब भी पीछे
नीतिगत बदलावों और स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम्स की जरूरत है
📚 यह विषय अर्थव्यवस्था, भौगोलिक असमानता, सामयिक घटनाएं, और नीतिगत विश्लेषण जैसे UPSC और MPPSC के विषयों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।