समुद्री तापमान में वृद्धि और पारिस्थितिकी असंतुलन: UPSC करेंट अफेयर्स 2025 के लिए गहन विश्लेषण

भूमिका: समुद्री पारिस्थितिक तंत्र पर मंडराता संकट

धरती की अतिरिक्त गर्मी का 90% हिस्सा समुद्र अवशोषित करते हैं, लेकिन अब ये महासागर अभूतपूर्व पारिस्थितिक असंतुलन का सामना कर रहे हैं। कम्युनिकेशन्स अर्थ एंड एनवायरनमेंट में प्रकाशित 2025 की एक स्टडी चेतावनी देती है कि अगर पेरिस समझौते के तहत वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5°C तक भी सीमित कर लिया जाए, तब भी बर्फ की चादरों के पिघलने से समुद्र स्तर में वृद्धि होगी और लाखों लोग विस्थापित हो सकते हैं। UPSC अभ्यर्थियों के लिए यह विषय GS पेपर III (पर्यावरण) और जलवायु परिवर्तन पर निबंध के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। आइए कारण, प्रभाव और समाधान रणनीतियों का विश्लेषण करें।

समुद्री तापमान क्यों बढ़ रहा है?

1. फंसी हुई गर्मी और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन

जीवाश्म ईंधन के जलने से उत्पन्न 90% अतिरिक्त गर्मी समुद्रों द्वारा अवशोषित होती है।

CO₂ का स्तर (2025 में 420 ppm) गर्मी को फँसा देता है, जिससे वह अंतरिक्ष में नहीं जा पाती।

2. ध्रुवीय बर्फ का पिघलना और समुद्री धाराओं में बदलाव

ग्रीनलैंड और अंटार्कटिका हर साल 475 अरब टन बर्फ खो रहे हैं—1990 के दशक से 4 गुना अधिक

पिघलता पानी थर्मोहेलाइन सर्कुलेशन को बाधित करता है, जिससे गहरे जल में ऑक्सीजन की कमी होती है।

3. मानवीय प्रदूषण

हर वर्ष 2.3 करोड़ टन प्लास्टिक समुद्रों में जाता है, जिससे समुद्री जीवन संकट में है।

औद्योगिक अपशिष्ट और तेल रिसाव जैसे कारण प्रवाल भित्तियों सहित निवास स्थानों को नुकसान पहुंचाते हैं।

बढ़ते समुद्री तापमान के प्रभाव

1. आंधी-तूफानों की तीव्रता और तटीय बाढ़

1985 से उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की तीव्रता 30% बढ़ी है।

मुंबई, चेन्नई, कोलकाता जैसे शहर 2050 तक हर साल बाढ़ से $1 ट्रिलियन का नुकसान झेल सकते हैं।

2. जैव विविधता का क्षरण

1.5°C तापमान वृद्धि पर 70–90% प्रवाल भित्तियां नष्ट हो सकती हैं, जिससे खाद्य श्रृंखला टूट सकती है।

आर्कटिक प्रजातियां जैसे सील और ध्रुवीय भालू, बर्फ के 13% वार्षिक सिकुड़ने से आवास खो रहे हैं।

3. आर्थिक और सामाजिक विस्थापन

23 करोड़ लोग समुद्र स्तर से 1 मीटर के भीतर रहते हैं; 1 अरब लोग 10 मीटर के भीतर।

सुंदरबन और मालदीव जैसे क्षेत्र खारे पानी के प्रवेश से अस्तित्व संकट में हैं।

सतत भविष्य के लिए समाधान रणनीतियाँ

1. वैश्विक जलवायु समझौते

पेरिस समझौते के लक्ष्य और कड़े हों: ध्रुवीय बर्फ बचाने के लिए तापमान वृद्धि 1°C तक सीमित करें।

ब्लू कार्बन परियोजनाएँ (मैन्ग्रोव, समुद्री घास) CO₂ अवशोषित करने में मदद करें।

2. प्रदूषण नियंत्रण उपाय

यूएनईपी का ग्लोबल प्लास्टिक ट्रीटी: 2040 तक प्लास्टिक कचरा 80% तक घटाने का लक्ष्य।

सर्कुलर इकॉनमी को बढ़ावा दें, औद्योगिक अपशिष्ट कम करें।

3. तटीय अनुकूलन योजनाएँ

तूफान-रोधी अवसंरचना बनाएं (नीदरलैंड्स का डेल्टा वर्क्स मॉडल उदाहरण)।

जलवायु जोखिम मानचित्र के आधार पर संवेदनशील समुदायों का पुनर्वास करें।

केस स्टडी: भारत की तटीय संवेदनशीलता

भारत की 12.5% आबादी (16 करोड़) तटीय जिलों में रहती है।

मुंबई 2100 तक समुद्र स्तर वृद्धि से 40% क्षेत्र खो सकता है।

सरकारी पहलें:

राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन कार्य योजना (NAPCC)

समेकित तटीय क्षेत्र प्रबंधन कार्यक्रम (ICZMP)

UPSC तैयारी के लिए क्यों महत्वपूर्ण है

1. GS पेपर III (पर्यावरण)

तापमान वृद्धि को SDG 13 (जलवायु कार्रवाई) और SDG 14 (जल के नीचे जीवन) से जोड़ें।

राष्ट्रीय समुद्री नीति और भारत के INDC लक्ष्यों पर चर्चा करें।

2. निबंध एवं नैतिकता पेपर

विषय: “गर्म होती दुनिया में जलवायु न्याय” या “समुद्री संरक्षण बनाम आर्थिक विकास”

लक्षद्वीप में कोरल ब्लीचिंग या सुंदरबन प्रवास जैसे डेटा का उपयोग करें।

3. करेंट अफेयर्स और केस स्टडी

2025 IPCC रिपोर्ट में बर्फ पिघलने के टर्निंग पॉइंट्स।

किगाली संशोधन से HFCs में कटौती और महासागरीय अम्लीकरण पर प्रभाव।

UPSC अभ्यर्थियों के लिए मुख्य बातें

जलवायु मापदंडों को प्राथमिकता दें: नोट्स में CO₂ स्तर, बर्फ पिघलने की दर, समुद्र का pH ट्रैक करें।

स्थानीय और वैश्विक उदाहरण जोड़ें: मुंबई की बाढ़ प्रबंधन की तुलना जकार्ता से करें।

समाधान केंद्रित रहें: गुजरात में ज्वारीय ऊर्जा जैसे नवाचारों को उजागर करें।

इंटरनल लिंक:

भारत की जलवायु नीति रूपरेखा

समुद्री जैव विविधता संरक्षण

एक्सटर्नल रेफरेंस:

IPCC SROCC रिपोर्ट 2025

यूएनईपी प्लास्टिक प्रदूषण डेटा

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